अलविदा आईएनएस विराटः भारत को चाहिए एक और एयरक्राफ्ट कैरियर

जनता जनार्दन रक्षा संवाददाता , Mar 09, 2017, 15:10 pm IST
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अलविदा आईएनएस विराटः भारत को चाहिए एक और एयरक्राफ्ट कैरियर नई दिल्लीः किसी भी देश की नौसेना की ताकत होता है विमान-वाहक युद्धपोत यानि एयरक्राफ्ट कैरियर. जिस किसी भी देश की नौसेना के जंगी बेड़े में ये शक्तिशाली युद्धपोत होता है, उस देश की समुद्री ताकत दुगनी या यूं कहें कि तिगनी-चौगनी हो जाती है.

एयरक्राफ्ट कैरियर चाहे अपनी समुद्री-सीमा में हो या सात-समंदर पार, वो अपने देश का प्रतिनिधित्व तो करता ही है अपने-आप में संप्रभुता का प्रतीक भी होता है. दूसरे शब्दों में वो समुद्र में ‘चलता-फिरता किला’ है.

जैसा कि नाम से विदित है, एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत उसपर तैनात लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. मिग, सुखोई, मिराज, इत्यादि सुपरसोनिक फाइटर प्लेन, जो आवाज की गति से भी तेज उड़ते हैं और पलक झपकते ही दुश्मन को नेश्तानबूत करने का माद्दा रखते हैं, वे इस जंगी युद्धपोत को और अधिक घातक बना देते हैं.

ये जहाज कितना विशालकाय होता है इसका पता इस बात से सहज लगाया जा सकता है कि इसका फ्लाई-डेक यानि जहां से फाइटर प्लेन टैक-ऑफ या लैंडिग (उड़ान) भरते हैं वो दो-तीन फुटबॉल ग्राउंड की बराबर होता है.

लेकिन एक एयरक्राफ्ट कैरियर जितना महंगा होता है (20 हजार करोड़ से लेकर 50-60 हजार करोड़ कीमत), उसका रखरखाव भी उतना ही मंहगा होता है. माना जाता है कि एक विमान-वाहक युद्धपोत के रखरखाव में हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का खर्चा आता है.

जबतक एयरक्राफ्ट कैरियर ‘ओपरेशनल’ यानि सक्षम होता है, तबतक तो हर देश की नौसेना उसका खर्चा उठाती है, लेकिन उसके रिटायर (अक्षम) होने पर काफी मुश्किल आती है. उसके रख-रखाव में होने वाला खर्च किसी को भी चुभने लगता है. लेकिन जिस देश की सेवा में उस जहाज ने 25-30 या फिर 40-50 साल लगाएं हों उससे इमोशनल-अटैचमेंट भी काफी हो जाता है.

यही वजह है कि पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने सभी तटीय-राज्यों को चिठ्ठी लिखकर विराट को म्यूजियम बनाने की पेशकश की थी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, चंद्रबाबू नायडू ने इसको खरीदने की इच्छा जताई है. आंध्र प्रदेश की तटीय-राजधानी, विशाखापट्टनम में पहले से ही पनडुब्बी म्यूजियम है.

भारतीय नौसेना की 30 साल तक शान रहा युद्धपोत आईएनएस विराट  रिटायर हो गया है. मुंबई में एक समारोह में आईएनएस विराट औपचारिक रूप से भारतीय सेना विदाई हो गई.

आपको बता दें कि भारत से पहले यह युद्धपोत ब्रिटेन के रॉयल नेवी में 27 सालों तक सेवा दे चुका था. एचएमएस हर्मीस के नाम से पहचाने जाने वाला यह पोत 1959 से रॉयल नेवी की सेवा में था.

ग्रेट ओल्ड लेडी के नाम से जाने जाना वाला युद्धपोत आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है. ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतने लंबे समय तक सीमा की सुरक्षा में डंटा रहा.

हालांकि ना तो करगिल युद्ध और ना ही श्रीलंका के पीसकीपिंग मिशन में विराट का इस्तेमाल किया गया लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. आखिरीबार, विराट को दुनिया ने विशाखापट्टनम में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) में दिखाई दिया था. लेकिन इससे पहले विराट ने अमेरिका और जापान के साथ साझा युद्धभ्यास, मालाबार में हिस्सा लिया था.

रक्षा मंत्रालय ने विराट के रिटायरमेंट से पहले म्यूजियम बनाने की पेशकश इसलिए की क्योंकि जब हाल ही में भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘आईएनएस विक्रांत’ को तोड़कर (और पिघलाकर) स्क्रैप यानि कबाड़ में तब्दील कर दिया गया, तब देश में काफी हाय-तौबा मचा. ‘आईएनएस विक्रांत’ करीब 17 साल पहले नौसेना से रिटायर हुआ था.

भारत ने आईएनएस ‘विक्रांत’ को ब्रिटेन से 60 के दशक में तब खरीदा था जब वो ब्रिटिश रॉयल-नेवी से रिटायर हो चुका था. भारतीय नौसेना में 30-35 साल काम करने के बाद, विक्रांत को 1998 में रिटायर कर दिया गया.

अगले 17 साल यानि 2015 तक वो ऐसे ही मुंबई डॉकयार्ड में खड़ा रहा. जेट्टी पर जगह घेरने के साथ-साथ हर साल नौसेना को 100 करोड़ रुपये उसके रख-रखाव में खर्च करना पड़ रहा था. ऐसे में नौसेना ने उसे स्क्रैप-डीलर्स को बेच दिया. ये बात जैसे ही सार्वजनिक हुई, हाय-तौबा मच गया.

हर किसी ने नौसेना के इस कदम का विरोध किया. लेकिन किसी ने उस भीमकाय जहाज का क्या किया जाए, कोई सुझाव नहीं दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा, लेकिन कोई रास्ता ना मिलता देख सर्वोच्च न्यायालय ने भी ‘विक्रांत’ को स्क्रैप में तब्दील करने की हरी झंडी दिखा दी. जाहिर है विराट के साथ वो ना हो जो विक्रांत के साथ हुआ.

भारतीय नौ सेना को ऐसे में एक बड़े कैरियर की जरूरत है.

जानें, आईएनएस विराट की कुछ रोचक बातें

-1980 के दशक में भारतीय नौसेना ने इसे साढ़े छह करोड़ डॉलर में खरीदा था और 12 मई 1987 को सेवा में शामिल किया।

-आईएनएस विराट अपने आखिरी मिशन पर 18 दिसंबर को मुंबई से रवाना होकर गोवा पहुंचा था।

- इंडियन नेवी में कमिशन होने के पहले आईएनएस विराट ब्रिट्रेन की रॉयल नेवी में था।

-ब्रिटेन की रॉयल नेवी की तरफ से इसने अर्जेंटीना के खिलाफ फॉकलैंड वॉर में हिस्सा लिया था।

-विराट के डेक से कई लड़ाकू विमानों ने 22,622 उड़ान भरी है।

-इसने करीब 2,252 दिन और करीब 10,94,215 किलोमीटर का सफर समुद्र में तय किया है यानी इतना वक्त जिससे करीब 27 दफे आप दुनिया का चक्कर लगा सकते हैं।

-विराट को 1987 में 465 मिलियन अमेरिकी डॉलर में खरीदा गया था। इसे खरीदते वक्त सिर्फ 5 साल तक इसे इस्तेमाल करने की योजना थी लेकिन 30 साल तक इसने सेवा दी।

-24 हजार टन वजनी विराट 743 फुट लंबा और 160 फुट चौड़ा है।

-यह समुद्र की लहरों को 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चीरता रहा।

-इस पोत में करीब 1500 नौसैनिक रहते थे और एक बार जब यह समंदर में निकलता था तो साथ में तीन महीने का राशन लेकर निकलता था
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