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सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज करनन को दिया अवमानना नोटिस, न्यायिक अधिकार छीने

सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज करनन को दिया अवमानना नोटिस, न्यायिक अधिकार छीने नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज केसी करनन को अवमानना का नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही करनन से उनके सभी प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार छीन लिए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने करनन को अगले सोमवार उसके सामने पेश होने के आदेश भी दिए हैं. बता दें कि करनन नें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 20 जजों के खिलाफ प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की मदद मांगी थी.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीएस करनन के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की खुली अदालत में सुनवाई की. यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना मामले में स्वतः संज्ञान लिया हो.

इतना ही नहीं यह भी पहली बार है जबकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम सात न्यायाधीशों की पीठ खुली अदालत में न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना पर सुनवाई की है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुनवाई होने तक करनन अपने सभी प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार छोड़ दें, साथ ही अपने पास मौजूद सभी प्रशासनिक और न्यायिक फाइलें भी लौटा दें.

इस दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि करनन का पत्र लज्जाजनक और जस्टिस के एडमिनिस्ट्रटिव को खत्म करने वाले थे. वक्त आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट करनन के खिलाफ आर्टिकल 129 के तहत कठोर कार्रवाई करे.

बताते चलें कि जस्टिस करनन ऐसे न्यायाधीश हैं, जो अपने कामों के लिए कई बार चर्चा में रहे हैं, कभी अपने ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना आदेश जारी करने में तो कभी और किसी मसले पर चिट्ठियां लिखने में.

जस्टिस करनन ने गत जनवरी में प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर करीब 20 न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और उनसे पैसे वापस लेने की बात कही थी. सूत्र यह भी बताते हैं कि प्रधानमंत्री को भेजी गई जस्टिस करनन की चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के कई सेवानिवृत न्यायाधीशों के भी नाम थे.

इसके अलावा, हाईकोर्ट के न्यायाधीशों पर आरोप लगाये गए थे. इस सब के अलावा जस्टिस करनन ने मद्रास हाईकोर्ट मे न्यायाधीश रहते हुए अपने साथी न्यायाधीशों को पत्र लिख कर उन पर नस्ली भेदभाव का आरोप लगाया था और उन पर एससी एक्ट में मुकदमा करने की बात कही थी.

वैसे ये पहला मौका नहीं है जबकि जस्टिस करनन अपने लीक से हटकर आचरण के लिए चर्चा में आये हों. उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में रहते हुए एक बार अपने ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना आदेश जारी किया था, जिस पर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी.

इसके अलावा जस्टिस करनन ने उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट स्थानांतरित किए जाने पर स्वयं सुनवाई शुरू कर दी थी, जिसके खिलाफ बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. वह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

इतना ही नहीं पिछले दिनों जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट से अपने उस मामले में स्वयं पेश होकर अपनी पैरवी खुद करने की इजाजत मांगी थी और अपने वकील को मुक्त करने का कोर्ट से आग्रह किया था.

कोर्ट ने उनके आग्रह पर उनके वकील को उस मामले से मुक्त कर दिया था. उस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने जस्टिस करनन पर करीब 12 फाइलें रखे होने का आरोप लगाया है, इस सब पर कोर्ट ने जस्टिस करनन से जवाब मांगा था. बुधवार को जिस मामले में सुनवाई होनी थी, वह नई अवमानना याचिका है जो कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रजिस्टर की है.
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