बजट 2017-2018: राजनीतिक नहीं अच्छा बजट
गुरचरण दास ,
Feb 02, 2017, 13:18 pm IST
Keywords: FM Arun Jaitley Budget 2017-18 Budget highlights Budget and youths Budget and Jobs Budget 2017-18 Budget 2017 analysis बजट 2017-2018 बजट 2017 बजट 2017 समीक्षा मोदी सरकार का बजट
नई दिल्लीः विमुद्रीकरण की वजह से बीते कुछ समय से जिस तरह से अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बनी रही है, वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, हमारे निर्यात की हालत खराब है, इन सबके चलते हम सबको डर था कि यह बजट पूरी तरह से राजनीतिक होगा.
लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और यह बजट बहुत ही अच्छा रहा. यह भी लोगों को उम्मीद थी कि इस बजट से सरकार पॉपुलिस्ट न हो जाये, लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं दिखा. लोगों ने यह भी माना था कि नयी योजनाएं आ सकती हैं, लेकिन सरकार ने संतुलन बरतते हुए पुरानी योजनाओं को मजबूत करने के लिए बजट में प्रावधान किया. मसलन, नौकरियों के लिए अवसंरचना और ग्रामीण क्षेत्रों को बेहतर करने का सरकार की मंशा अच्छी दिख रही है. इस बजट की एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को थोड़ा परे रखने की कोशिश की है, जो पूंजी निवेशकों के आने में बाधक बनती है. सरकार ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) को बिल्कुल भी हटाने की पहल की है, जिससे निवेशक तंग होते थे और निवेश से हिचकते थे. अब निवेशक बिना किसी एफआइपीबी के अप्रूवल के सीधे तौर पर भारत आकर अपना निवेश कर सकेंगे. इससे देश को बड़ा फायदा होगा, कंपनियां आयेंगी, नौकरियां बढ़ेंगी. उद्योग के लिहाज से सरकार का यह अच्छा कदम है, इससे ईज आॅफ डूइंग बिजनेस को मदद मिलेगी. वहीं दूसरी ओर, वित्तीय घाटे को तीन प्रतिशत करने का वायदा तो था, लेकिन अब सरकार 3.2 की बात की है, तो मेरे ख्याल में यह ठीक ही है. लोगों को एक डर यह भी था कि देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के चलते यह बजट पूरी तरह से राजनीतिक और लोकलुभावन हो जायेगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और इस कारण केंद्र सरकार अच्छी आर्थिक नीतियों को बढ़ावा देगी, जिसकी जरूरत भी है देश को. विशेषज्ञ यह कह रहे हैं कि इस बार बजट का रुझान गांवों की ओर ज्यादा रहा. लेकिन, मेरा मानना है कि सरकार ने इस बार ग्रामीण क्षेत्र की अनदेखी नहीं की, इसलिए यह बजट ग्रामीण और शहरी दोनों ऐतबार से एक अच्छा बजट माना जायेगा. ग्रामीण उत्पादकता बढ़ती है, तो इससे पूरे देश को फायदा हाेगा, क्योंकि एक तो इससे गांवों के लोगों की आय बढ़ेगी और दूसरे यह कि उनकी खरीद क्षमता बढ़ने से अर्थव्यवस्था मजबूत करने में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी. किसानों की आमदनी बढ़ाना बहुत जरूरी है, इसलिए कृषि क्षेत्र पर ध्यान देकर सरकार ने अच्छा काम किया है. लेकिन, जिस तरह से आर्थिक समीक्षा में अर्थव्यवस्था में तकरीबन सात प्रतिशत से ज्यादा का ग्रोथ बताया गया है, उसके हिसाब से मुझे नहीं लगता कि इस आंकड़े को हमारी अर्थव्यवस्था छू पायेगी, क्योंकि नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को जो धक्का लगा है, वह इतनी जल्दी तेजी नहीं पकड़नेवाली है. अगर नोटबंदी का नकारात्मक प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा होता, तो यह निश्चित था कि ग्रोथ 7.1 प्रतिशत से कहीं ज्यादा ऊपर चला जाता. लेकिन, यह अच्छी बात है कि इसके बावजूद भी नीतियों के स्तर पर सरकार ने कोई घबराहट नहीं दिखायी और एक संतुलित और अच्छा बजट पेश किया. * लेखक चर्चित अर्थशास्त्री हैं. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|