नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने बनाई संविधान पीठ, मोदी सरकार को देने होंगे कई जवाब

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 16, 2016, 18:02 pm IST
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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने बनाई संविधान पीठ, मोदी सरकार को देने होंगे कई जवाब नई दिल्लीः नोटबंदी का मामला सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बेंच को सौंप दिया है और विभि‍न्न हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है. लेकिन कोर्ट ने पुराने नोटों को आवश्यक सेवाओं मे चलन की सीमा बढ़ाने से इंकार कर दिया.

कोर्ट ने इसे पूरी तरह सरकार पर छोड़ते हुए कहा कि ये सरकार जिम्मेदारी है और सरकार को संवेदनशीलता से इस पर उचित निर्णय लेना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के मसले पर सरकार से कहा है कि वह हर हफ्ते लोगों को बैंकों से 24,000 रुपये दिलाना सुनिश्चित करे और इस व्यवस्था की समय-समय पर समीक्षा करे.

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश समेत तीन जजों की बेंच ने विभिन्न हाईकोर्ट मे लंबित मामलों की सुनवाई पर भी रोक लगा दी है.

कोर्ट ने कहा देश की कोई भी और अदालत नोट बंदी मामले की सुनवाई नहीं करेगी. सभी मामले सुप्रीम कोर्ट सुनेगा. कोर्ट ने सभी मामलों में पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

लेकिन सरकार के लिए बुरी खबर यह है की सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा के लिए नोटबंदी मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि नोटबंदी से होने वाली परेशानी 14 दिन और रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब देश के लोगों को 2 हज़ार रुपए नहीं मिल पा रहे तो कुछ लोगों के पास करोड़ों कहां से आ रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा किसको कितना पैसा देना है क्या इसको लेकर कोई पॉलिसी है..?

अगर आप नई करेंसी नहीं दे पा रहे तो कम से कम महत्वपूर्ण जगहों पर चलने दे सकते हैं? हॉस्पिटल और रेलवे में आखिर पुराने नोट क्यों नहीं चल सकते? कोर्ट ने कहा आपकी अधिसूचना में है कि लोग एक हफ्ते में 24000 रुपए निकाल सकेंगे, लेकिन यह नहीं मिल रहे हैं, जबकि आपकी अधिसूचना अब भी 24000 रुपए देने का वादा कर रही है.
 
सुप्रीम कोर्ट के एक के बाद एक उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए केंद्र के वकील अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि बस 14 दिनों की बात है, उसके बाद हालात जल्द सामान्य हो जाएंगे. 70 साल की समस्या है उसको खत्म करने में 70 दिन का तो वक़्त लगेगा ही। 31 दिसंबर के बाद सबको उचित अनुपात में पैसा दिया जाएगा।

सरकार की ओर से कहा गया कि हम देख रहे हैं कि ये कैसे कॉपरेटिव बैंक सीधे आरबीआइ में पैसे जमा करें. हम इसको लेकर जल्द नोटिफिकेशन जारी करेंगे. हमको शक है कि इसमें काला धन आया था इस वजह से ट्रांज़ैक्शन रोकने का फैसला लिया गया था.

नोट पकड़े जाने की बात पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया कि इस मामले में अनेक बैंक अधिकारी और मेनैजर शामिल हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक चार लाख करोड़ रुपए की नई नकदी बैंकों में जा चुकी है.
 
सुनवाई के दौरान एक वकील ने नोटबंदी के दौरान 96 लोगों की मौत का मुद्दा भी सुप्रीम कोर्ट में उठाया, तो एक वकील ने डिजिटल ट्रांज़ैक्शन की सुरक्षा का मुद्दा कोर्ट में सामने रखा, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों की दलील सुन ली हैं और सबको ध्यान में रखते हुए कोर्ट अपना अंतरिम आदेश जारी करेगी.

नोटबंदी के बाद करेंसी की सप्लाई पर सरकार ने कहा कि 5 लाख करोड़ की करेंसी दोबारा बाज़ार में उतार दी है. 2.5 लाख करोड़ की करेंसी पहले से बाज़ार में है. 17.5 लाख करोड़ में कुल 7.5 लाख करोड़ बाज़ार में हैं.
 
नोटबंदी पर इससे पहले सुनवाई में सरकार की ओर से कहा गया था कि केंद्र सरकार इस मामले पर पूरी तरह निगरानी रख रही है. नोटबंदी को लेकर हालात किसी तरह बिगड़े नहीं हैं. यहां तक कि कोई दूधवाला या किसान इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं आया है. ये सब मामला राजनीति से प्रेरित है.

रोहतगी ने पट्रोल पंपों का उदाहरण दिया जहां पुरानों नोटों की धांधली हुई. उन्होंने कहा कि पंपों ने 10, 50 और सौ-सौ के नोट लेने के बाद भी पांच सौ और हजार रुपए के नोट ही जमा किए और ये सब कमीशन लेकर हुआ.

इसलिए पुराने नोटों को स्वीकार करने की सीमा और नहीं बढ़ाई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह सरकार का बड़ा और साहसिक कदम है कल क्या होगा यह भगवान भी नहीं जानता. लेकिन नोटबंदी से आतंकवाद की कमर टूटी है और कश्मीर में भी हालात सामान्य हो रहे हैं.

कोर्ट ने कुछ सवाल तैयार किये हैं, जिन पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी. सरकार के लिए बुरी खबर इसलिए है कि पहले सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा था की आर्थिक मामलों में लिए गए सरकार के फैसलों में न्यायालय समीक्षा नहीं कर सकता. पर कोर्ट ने संवैधानिक बेंच बना कर मामले की समीक्षा का आदेश दे दिया है.

संविधान पीठ इन सवालों पर करेगी सुनवाई...

1. नोटबंदी का फैसला आरबीआई एक्ट 26 का उल्लंघन है?
2. नोटबंदी के 8 नवंबर और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं?
3. नोटबंदी संविधान के दिए समानता के अधिकार (अनुच्‍छेद 14) और व्यापार करने की आजादी (अनुच्‍छेद 19) जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?
4. नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया गया जबकि ना तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और ना ही देश भर में कैश पहुंचाने का?
5. बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करना अधिकारों का हनन है?
6 जिला सहकारी बैंको में पुराने नोट जमा करने और नए रुपए निकालने पर रोक सही नहीं है?
7. कोई भी राजनीतिक पार्टी जनहित के लिए याचिका डाल सकती है या नहीं?
8. क्या सरकार की आर्थिक नीतियों में सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है?
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