पंजाब का नाभा जेल कांड: केएलएफ प्रमुख हरमिंदर मिंटू दिल्ली में धरा गया

पंजाब का नाभा जेल कांड: केएलएफ प्रमुख हरमिंदर मिंटू दिल्ली में धरा गया नई दिल्लीः पंजाब के नाभा जेल से रविवार को पांच कैदियों के साथ फरार आतंकवादी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) का प्रमुख हरमिंदर मिंटू दिल्‍ली के एक रेलवे स्‍टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया है.

पंजाब पुलिस और दिल्‍ली पुलिस ने ज्‍वाइंट आपरेशन चलाकर मिंटू को गिरफ्तार किया. मिटू पांच कैदियों के साथ रविवार को नाभा के उच्‍च सुरक्षा वाले जेल से फरार हो गया था. पुलिस की वर्दी में आये हथियारंबद हमलावरों ने जेल पर हमला कर इन्हें भागने में मदद की थी.

रविवार को ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दिनदहाड़े जेल तोड़कर भागने में सफल दूसरे अपराधी परमिंदर सिंह को उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना से गिरफ्तार किया था. उसके बाद भी पुलिस की छापेमारी जारी थी. परमिंदर सिंह को तब गिरफ्तार किया गया जब एक पुलिस पिकेट पर टोयोटा फॉर्च्यूनर नाम की गाड़ी को रोका गया.

आपको बता दें कि जेल से भागा आतंकी हरमिंदर मिंटू खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का चीफ था. हरमिंदर सिंह मिंटू पर 2008 में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर हमले का आरोप है. साथ ही 2010 में हलवारा एयरफोर्स स्टेशन से विस्फोटक लूटने का भी आरोप है.

वह पंजाब में शिवसेना के तीन नेताओं की हत्या की साजिश रचने के केस में भी आरोपी है. मिंटू को पंजाब पुलिस ने 2014 में दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था.

हरमिंदर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी ट्रेनिंग ले चुका है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक आईएसआई मिंटू को पैसों और हथियार से मदद करती है.

सुरक्षाकर्मियों से कुछ खास प्रतिरोध का सामना किये बगैर ही छह कैदियों के भागने की बात सामने आने के बाद पंजाब सरकार ने दो वरिष्ठ जेल अधिकारियों - अधीक्षक एवं उपाधीक्षक को बर्खास्त कर दिया है. जबकि एडीजीपी (जेल) एम के तिवारी को निलंबित कर दिया गया.

पंजाब सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक एसआईटी भी बनाया है. सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) जगपाल सिंह संधु की अध्यक्षता में एक अलग जांच समिति बनायी गयी है जो ‘सुरक्षा में हुई चूक' के पहलू की छानबीन करेगी.

पंजाब पुलिस के प्रमुख सुरेश अरोड़ा ने कहा, ‘इसमें दो पहलू हैं. एक पहलू तो यह है कि जेल से भागने की घटना की जांच की जाएगी और दूसरा पहलू सुरक्षा में हुई चूक का है. कौन जिम्मेदार है, क्या कोई मिलीभगत है?'

डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने कहा, ‘अज्ञात हमलावर पुलिस की वर्दी में और छोटे हथियारों से लैस होकर आये थे. उन्होंने जेल में तैनात सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे किसी कैदी को लेकर आये हैं.' उन्होंने कहा कि करीब 35 गोलियां चली हैं. घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है.
जेल के सुरक्षाकर्मी घटना के वक्त बहुत सतर्क नहीं थे और वे समुचित जवाबी कार्रवाई नहीं कर सके. पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘जेल के भीतर से भी गोलीबारी हुई है. हमें देखना होगा कि गोलीबारी प्रभावी क्यों नहीं थी.'

उन्होंने कहा कि ‘कहीं न कहीं कोई तो षड्यंत्र है और यदि गोलीबारी प्रभावी रही होती तो पूरा घटनाक्रम ही उलट होता.' इस बीच, एक महिला उस वक्त मारी गयी जब जेल से कैदियों के फरार होने के बाद हरकत में आई पुलिस ने जेल से करीब 20 किलोमीटर दूर पिकेट पर एक गाड़ी के नहीं रुकने पर गोलियां चला दी.

जेल से कैदियों के भागने के बाद उत्तरी राज्यों में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से बात की. उन्होंने राज्य सरकार को जेलों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ घटना पर तुरंत रिपोर्ट देने को कहा.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल से बातचीत की. सुखबीर ने डोभाल को घटना की पूरी जानकारी दी और बताया कि फरार हुए छह कैदियों की गिरफ्तारी के क्या प्रयास किये जा रहे हैं.

सुखबीर ने कहा कि घटना के पीछे पाकिस्तान का हाथ हो सकता है क्योंकि नियंत्रण रेखा के पास हुए लक्षित हमले के बाद से ही वह राज्य में आतंकवाद को जिंदा करने में जुटा है. उन्होंने आश्वासन दिया कि इसके पीछे के ‘षड्यंत्र' का जल्द पर्दाफाश होगा.
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