भारत अब भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 39वें स्थान परः विश्व आर्थिक मंच

भारत अब भी वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 39वें स्थान परः विश्व आर्थिक मंच न्यूयॉर्कः भारत विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 16 अंक की छलांग लगाकर 39वें स्थान पर पहुंच गया है.

कारोबारी जटिलताओं तथा वस्तु बाजार दक्षता में सुधार से भारत की रैंकिंग सुधरी है. लगातार आठवीं बार स्विट्जरलैंड सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बना है. इस सूची में सिंगापुर दूसरे तथा अमेरिका तीसरे स्थान पर रहा है.
    
पिछले साल भारत इस सूची में 55वें स्थान पर था. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में भारत पड़ोसी चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.

चीन इस सूची में 28वें स्थान पर है. इंडेक्स में भारत के अंक 4.52 रहे, जबकि पहले स्थान पर रहने वाले स्विट्जरलैंड के 5.81 अंक थे. सूची में नीदरलैंड चौथे, जर्मनी पांचवें, स्वीडन छठे, ब्रिटेन सातवें, जापान आठवें, हांगकांग नौवें तथा फिनलैंड दसवें स्थान पर है.
    
इस साल सूची में 138 अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्धा को परखा गया. 2015-16 की सूची में 140 अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया था.

ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट 2016 में कहा गया है, 'भारत की कॉम्पिटिटिवनेस विशेषतौर पर गुड्स मार्केट एफिशिएंसी, बिजनस के तौर तरीकों और इनोवेशन में बढ़ी है. बेहतर मॉनेटरी और फिस्कल पॉलिसीज के साथ ही ऑइल के कम प्राइसेज के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर हुई है और अब यह जी20 देशों में सबसे अधिक ग्रोथ वाली है.'

यह रिपोर्ट नई दिल्ली में 6-7 अक्टूबर को होने वाले इंडिया इकनॉमिक समिट से पहले जारी की गई है. एनालिस्ट्स ने साउथ एशिया में भारत को सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्था और इस रीजन में ग्रोथ का एक इंजन बताया है. इसके पीछे पब्लिक इंस्टीट्यूशंस में सुधार, इकनॉमी को विदेशी इनवेस्टर्स और इंटरनैशनल ट्रेड के लिए खोलना और फाइनैंशल सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी जैसे कारण हैं.

एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को बेहतर तरीके से लागू किया जाता है तो भारत को इससे काफी फायदा हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कॉम्पिटिटिवनेस के लिए खुलेपन में कमी एक बड़ा खतरा है, जबकि भारत के प्रदर्शन में सुधार की वजह इसके खुलेपन में वृद्धि है.

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की कॉम्पिटिटिवनेस में निकटता देखी जा रही है.

हालांकि, एनालिस्ट्स का कहना है कि भारत की कमजोरियों में बैंकों की बैलेंस शीट पर प्रेशर, लेबर फोर्स में महिलाओं की कम भागीदारी और देश के बड़े हिस्से का इंटरनेट से जुड़ा न होना शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स रेग्युलेशंस, टैक्स रेट, खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य और इन्फ्लेशन भारत में बिजनस करने के लिए समस्याएं बनी हुई हैं.
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