सार्क के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे मोदी, रद्द हो सकता है सम्मेलन
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 28, 2016, 7:32 am IST
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नई दिल्ली: पाकिस्तान में नवंबर में होने जा रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग नहीं लेंगे. यह फैसला उड़ी आतंकी हमले के विरोध में किया गया है. भारत के इस तरह बहिष्कार करने से नौ नवंबर से इस्लामाबाद में होने वाले दो दिवसीय सम्मलेन का टलना लगभग तय है।
सार्क चार्टर के मुताबिक एक भी सदस्य देश के राष्ट्राध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता है। आतंकवाद के खिलाफ भारतीय रुख का समर्थन करते हुए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी इस्लामाबाद बैठक के बहिष्कार का फैसला किया है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान पर और नकेल कसते हुए उससे सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा छीन लेने का भी संकेत दिया है। इस पर विचार के लिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार यानी 29 सितंबर को विशेष बैठक बुलाई है। सिंधु जल संधि की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री का यह एक और कड़ा संदेश है। भारत ने 1996 में ही पाकिस्तान को यह दर्जा दिया था। दोतरफा कारोबारी रिश्ते को मजबूती देने के लिए भारत तभी से पाकिस्तान से भी इस तरह के दर्जे की मांग कर रहा था लेकिन उसने यह दर्जा नहीं दिया। उड़ी हमले के बाद भारत में इसे रद करने की मांग बढ़ती जा रही है। विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद सम्मेलन में भारत के शामिल नहीं होने के फैसले की जानकारी सार्क के मौजूदा अध्यक्ष देश नेपाल को दे दी है. बता दिया गया है कि सीमा पार से हो रहे आतंकी हमले और एक सदस्य देश द्वाराहमारे आंतरिक मामलों में लगातार दखल से इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मलेन की सफलता पर सवालिया निशान लग गया है। इससे पहले भारत ने सम्मेलन में शामिल होने का पाक का न्योता स्वीकार लिया था। ऐसा पहली बार है जब कोई देश सम्मेलन का बहिष्कार करेगा। पाक ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। उसने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्वीट से हमें भारत के फैसले की जानकारी मिली। इस संबंध में हमें आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। फैसला किया, पर दिया नहीं दर्जा एमएफएन का दर्जा विश्व व्यापार संगठन के मुताबिक एक देश दूसरे को देते हैं ताकि उनके बीच कारोबारी रिश्ते को आसान किया जा सके. पाकिस्तान ने दिसंबर, 2012 में भारत को यह दर्जा देने का फैसला कर लिया था लेकिन बाद में इसे लागू नहीं किया गया। अगर एमएफएन को वापस लिया जाता है तो यह दोनों देशों के आपसी रिश्तों को और तनावग्र्रस्त कर देगा। एमएफएन एक नजर में
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