चिकनगुनिया डेंगू से तो लड़ लो
धीरज कुमार ,
Sep 21, 2016, 16:17 pm IST
Keywords: chikungunya dengue चिकनगुनिया डेंगू
नई दिल्ली: उड़ी में सेना के ठिकाने पर आतंकी हमले के बाद चारों ओर इतना शोर व हो हल्ला मचा है कि जैसे बस अब और नहीं। अब एक अगर एक भी हमला हुआ तो हम पाकिस्तान को या कम से कम उसकी जमीन पर चल रहे आतंकी कैंपों को मिटा कर रख देंगे। लेकिन हमारे देश की विडंबना है कि हमारे यहां कुछ बदलता नहीं है। न बातें बदलती हैं और न वादें बदलते हैं। हां हर पांच साल बाद सरकारें जरूर बदल जाती हैं।
देश के शहीदों के प्रति देश या प्रदेश सरकार की कर्तव्यनिष्ठï या कहें उदासीनता किसी से छिपी नहीं है। अगर तलाश करने निकले तो शहीदों के ऐसे अनेक परिवार हैं जो सालों से सरकारी मदद की राह देख रहे हैं। ऐसे कई शहीदों की स्टोरी एक चैनल ने आज दिखाई। यह एक कोशिश थी पाकिस्तानी बिरयानी खाकर सोई हुई सरकार को जगाने की। एक चैनल शायद इससे ज्यादा नहीं कर सकता। जागने की जिम्मेदारी तो सरकार पर है। फिर कहना चाहता हूं हमारे देश में कुछ नहीं बदलता न एलओसी बदलती है न घुसपैठ के तरीके बदलते और सेना पर हमलों की रणनीति बदलती है। जिस पार्टी की इस समय केंद्र में सरकार है चुनाव प्रचार में कहती थी कि अगर सीमा पर एक भी गोली चली या एक जवान शहीद हुआ तो घर में घुस कर मारेंगे। उस पार्टी व उसके कर्णधारों की यह बात पाक आतंकियों व संगठनों ने सुन ली है तब से घर में घुस कर मार रहे हैं। पहले पठानकोट व अब उड़ी में देश की सुरक्षा के तोते चार आतंकियों ने उड़ा दिये। पठानकोट अब हमला नहीं पैटर्न बन गया है। कुछ देर पहले किसी ने अपनी वॉल पर लिख दिया कि मोसाद की तरह घर में घुस कर मारो। बड़े भैया ऐसी बात मत बोलो कम से कम 56 इंच की तो चिंता करो। वैसे हम बातें तो करते हैं चांद व मंगल की, मोसाद की तरह मारने की, घर में घुसकर मारने की और यहां साले कुछ मच्छरों ने चिकनगुनिया व डेंूग फैलाकर पूरे सिस्टम को .... बना दिया है। सरकारी नकारापन ऐसा है मच्छरों पर कंट्रोल के लिये सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है वह भी जब खुद एक जज इसकी चपेट में आ गये। मच्छर साले मरते नहीं और बात करते हैं एटम बम। भैया मच्छरों से तो लड़ लो जिंदा बचोगे तो आतंकियों से भी लड़ लेना। |
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