सुरक्षा से जुड़े मामले अदालत के नहीं, सेना और सरकार केः जम्मू-कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 14, 2016, 15:12 pm IST
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नई दिल्ली: कश्मीरी अलगाववादियों को सरकारी फंड दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में अदालत दखल नहीं दे सकती. याचिकाकर्ता की दलील दी थी कि सरकार अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया करा रही है.
खुद जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा है कि इनकी सुरक्षा पर पिछले 5 साल में 309 करोड़ खर्च किए गए हैं. देश की सुरक्षा के लिए खतरा बने लोगों को सुरक्षा देना गलत है. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘आप जिन लोगों की बात कर रहे हैं, हम उन्हें नहीं जानते. हम सिर्फ इतना जानते हैं कि अगर किसी नागरिक को खतरा हो तो सरकार उसे सुरक्षा देती है.’ इसके साथ ही अदालत ने कहा कि ‘हो सकता है कि उस नागरिक के कई काम दूसरे लोगों को पसंद न हों.’ याचिकाकर्ता ने कहा कि इन नेताओं के इलाज पर 31 करोड़ और लक्ज़री होटलों में रुकवाने पर 26 करोड़ रुपए खर्च हुए. इन सब चीजों के लिए पैसे केंद्र सरकार से देती है. इस खर्च के लिए न संसद से मंजूरी ली जाती है, न राज्य विधानसभा से. हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को अनसुना कर दिया. कोर्ट ने कहा, ‘ये सुरक्षा से जुड़े मामले हैं. सरकार को वही करना होता है जो देश के हित में है. अगर कोई दिक्कत है तो उसे संभालने के लिए सेना भी है.’ कोर्ट ने कहा कि ‘ये मामले कोर्ट की सुनवाई से बाहर के हैं. हमारा काम ये देखने का है कि संविधान का पालन हो रहा है या नहीं.’ याचिकाकर्ता बार-बार ये मांग करता रहा कि कोर्ट पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब करे. लेकिन कोर्ट ने इससे इंकार करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी. |
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