सिंगूर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसलाः टाटा की हार, ममता जीतीं, कहा- अब चैन से मर सकती हूं
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 31, 2016, 19:30 pm IST
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा नैनो प्लांट के लिए किसानों से ली गई ज़मीन वापस की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने ज़मीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है.
2006 में राज्य की लेफ्ट फ्रंट सरकार ने सिंगूर में 1000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. सरकार की दलील थी कि टाटा नैनो का प्लांट लाखों लोगों को रोज़गार देगा. लेकिन इलाके के किसानों ने उनसे ज़बरन ज़मीन लिए जाने का आरोप लगाते हुए विरोध शुरू कर दिया. उस वक़्त विपक्ष में रही ममता बनर्जी ने किसानों के आंदोलन का खुल कर समर्थन किया. ये मसला पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने की बड़ी वजहों में से एक बना. सत्ता में आते ही ममता ने किसानों को जल्द से जल्द ज़मीन लौटाने का वादा किया. लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने सिंगूर में हुए भूमि अधिग्रहण को सही करार दिया. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने किसानों की ज़मीन लौटाने के लिए बनाए गए ‘सिंगूर एक्ट’ को भी रद्द कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने ज़मीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है. इस फैसले के बाद ममता बनर्जी किसानों से किया वायदा निभा सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने 12 हफ्ते में किसानों को ज़मीन लौटाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो कार बनाने के लिए टाटा द्वारा ली गई किसानों की जमीन वापस करने आदेश दिया। 2006 में बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली सीपीएम सरकार ने टाटा को कारखाना लगाने के लिए ये जमीनें दी थीं. अदालत के फैसले के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकारों को जारी एक बयान में कहा कि 10 साल बाद मिली इस बड़ी जीत के बाद वो चैन से मर सकती हैं. ममता ने बयान में कहा, “मैं उन लोगों को याद कर रही हूं जिन्होंने इसके लिए बलिदान दिया। पश्चिम बंगाल राज्य का नाम बदलने के बाद हमें ये यादगार जीत मिली है। मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं।” शीर्ष अदालत का यह फैसला ममता बनर्जी और टीएमसी के लिए बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है. टीएमसी ने टाटा फैक्ट्री के लिए जमीन दिए जाने के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था. ममता ने कहा, “मैं उम्मीद करती हूं इस सिंगूर उत्सव में हर कोई शामिल होगा. ये एक तरह से दुर्गा पूजा की शुरुआत करने जैसा है. मैं लंबे समय से सिंगूर के लोगों के लिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का ख्वाब देख रही थी. अब मैं चैन से मर सकती हूं.” अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अधिग्रहण 'सार्वजनिक उद्देश्य’ के लिए नहीं किया गया था, इसलिए 12 हफ्तों के भीतर किसानों को उनकी जमीन वापस लौटा दी जानी चाहिए. जिन किसानों को सरकार की तरफ से मुआवजा मिल चुका है, वे मुआवजा वापस नहीं लौटाएंगे क्योंकि पिछले 10 साल से उनके पास आजीविका का कोई स्रोत नहीं था. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा है कि किसानों को ज़मीन वापस मिलेगी, लेकिन उन्हें ज़मीन के लिए मिला मुआवजा नहीं लौटाना होगा.कोर्ट ने कहा है कि किसान 10 साल तक खाली रहे हैं. इसलिए उन्हें अपने पास मुआवजा रखने का हक है. सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों ने इस मामले पर फैसला सुनाया. जस्टिस वी गोपाला गौड़ा ने एक निजी कंपनी के लिए सरकार की तरफ से ज़मीन लेने को ‘पब्लिक पर्पस’ यानी सार्वजनिक हित का कार्य मानने से मना कर दिया. जस्टिस गौड़ा ने अधिग्रहण को पूरी तरह से अवैध करार दिया. हालांकि, जस्टिस अरुण मिश्रा ने लाखों लोगों को रोज़गार मिलने की दलील के आधार पर सरकार की तरफ से ज़मीन लिए जाने को सही माना. लेकिन उन्होंने कहा कि अब टाटा का नैनो प्लांट गुजरात के साणंद में शिफ्ट कर दिया गया है. इसलिए, ज़मीन अधिग्रहण को बनाए रखना ज़रूरी नहीं है. दोनों जजों ने ज़मीन लिए जाने की प्रक्रिया में कई कमियों को गिनाया है. कलकत्ता हाईकोर्ट के अधिग्रहण जारी रखने के निर्णय को पलटते हुए, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला दिया कि अधिग्रहण कई आधार पर कानून के मुताबिक नहीं था. अदालत ने यह भी कहा कि किसानों से ली गई जमीन को एक कार प्लांट के लिए देना ‘सार्वजनिक उद्देश्य’ की परिधि में नहीं आता. कानून को चुनौती देते हुए टाटा मोटर्स ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जमीन के अधिग्रहण को ट्रायल कोर्ट ने सही ठहराया था और तृणमूल कांग्रेस सरकार द्वारा पास किए गए कानून को अपील के बाद असंवैधानिक करार दे दिया गया था. विवाद मचने के बाद, टाटा ने 2008 में अपनी नैनो फैक्ट्री को कहीं और लगाने की प्रक्रिया शुरू की। जिसके बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राज्य में फैक्ट्री लगाने का न्योता दिया। अब नैनो कार गुजरात के सानंद में बनती हैं. |
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