होम्‍योपैथी की वैज्ञानिक समझ के लिए रिसर्च महत्त्वपूर्ण: राष्‍ट्रपति

होम्‍योपैथी की वैज्ञानिक समझ के लिए रिसर्च महत्त्वपूर्ण: राष्‍ट्रपति कोलकाताः राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'मानवता की विरासत: होम्‍योपैथी के 150 वर्ष समारोह' के अवसर पर कोलकाता पश्चिम बंगाल में मुख्‍य अतिथि के रूप में संबोधित किया. यह कार्यक्रम डॉ प्रशांत बैनर्जी होम्‍योपैथिक अनुसंधान फाउंडेशन द्वारा डॉ बैनर्जी के परिवार का 150 वर्ष तक होम्‍योपैथी से जुड़ाव के अवसर पर आयोजित किया गया था.

अपने संबोधन में राष्‍ट्रपति ने कहा कि 19वीं सदी के मध्‍य से डॉ प्रशांत बैनर्जी के परिवार का पीढि़यों से होम्‍योपैथी से ताल्‍लुक है. डॉ बैनर्जी के दादाजी इशान चंद्र पंडित ईश्‍वर चंद्र विद्यासागर के भाई थे।

एक बार श्री विद्यासागर के आधे सिर के दर्द (माइग्रेन) का इलाज होम्‍योपै‍थी से किया गया था। अपने इलाज से प्रसन्‍न होकर विद्यासागर ने अपने भाई इशान चंद्र को इलाज की इस विधा का अनुसरण करने को कहा।

इशान चंद्र ने होम्‍योपैथी की शिक्षा ली और धर्मार्थ गरीबों का इलाज किया। इशान चंद्र के बेटे परेश नाथ बैनर्जी ने बिहार के गांव में मिहीजाम के नाम से होम्‍योपैथी से इलाज करना शुरू किया। उनकी प्रसिद्धी से आकर्षित होकर दूर-दूर से लोग उनसे इलाज कराने आते थे। वे भारत में होम्‍योपैथी चिकित्‍सा के प्रणेता बने। परेश नाथ बैनर्जी के दूसरे पुत्र डॉ प्रशांत बैनर्जी होम्‍योपैथी से इलाज करने वाले इस परिवार के तीसरी पीढ़ी के सदस्‍य है।

उनके बेटे डॉ प्रतीप बैनर्जी ने भी अपनी पारिवारिक पंरपरा जीवित रखी है। होम्‍योपैथी अनुसंधान फाउंडेशन की स्‍थापना डॉ प्रशांत बैनर्जी और उनके पुत्र डॉ प्रतीप बैनर्जी ने 1993 में की थी।

इसकी स्‍थापना होम्‍योपैथी को वैज्ञानिक और प्रभावी तरीके की वैकल्पिक चिकित्‍सा के रूप में विकसित करने के उद्देश्‍य से की गई थी। फाउंडेशन कई होम्‍योपैथिक तरीके से स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल के जरिए मानवता की सेवा में लगा हुआ है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि होम्‍योपैथी की अधिक वैज्ञानिक समझ के लिए ध्‍यान केंद्रित अनुसंधान महत्‍वपूर्ण है। आधुनिकतम ज्ञान का उपयोग कर इस क्षेत्र में अग्रणी अनुसंधान किए जा सकते हैं। यह जानकर प्रसन्‍नता होती है कि डॉ प्रशांत बैनर्जी होम्‍योपैथी अनुसंधान फाउंडेशन में सक्रिय रूप से अनुसंधान किये जा रहे है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि वैकल्पिक इलाज पद्धति को बढ़ावा देने की आवश्‍यकता को देखते हुए सरकार ने भारतीय औषधि और होम्‍योपैथी विभाग बनाया था। जिसका बाद में नाम आयुष विभाग रखा गया और पिछले वर्ष यह आयुष मंत्रालय बन गया है।
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