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राज्‍यसभा में मैं मूक-बधिर, अपमान मिला, मुलायम से बात कर दूंगा इस्‍तीफाः अमर सिंह

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 23, 2016, 13:55 pm IST
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राज्‍यसभा में मैं मूक-बधिर, अपमान मिला, मुलायम से बात कर दूंगा इस्‍तीफाः अमर सिंह लखनऊः उत्तर प्रदेश की सियासत में घमासान मचा हुआ है. अब समाजवादी पार्टी से राज्‍यसभा सांसद अमर सिंह ने इस्‍तीफा देने की बात कही है. उनका कहना है कि राज्यसभा सीट के बदले पार्टी में उन्‍हें अपमानित किया जा रहा है. अब वे मुलायम सिंह से बात करने के बाद तय करेंगे कि आगे क्‍या करना है. मेरे साथ कई लोगों का हो रहा अपमान.

'आजतक' को दिए इंटरव्‍यू में सिंह ने कहा, "राज्यसभा में हमको मूक-बधिर बना दिया गया है. मुझे वहां बोलने ही नहीं दिया जाता. हम पीछे बैठकर नरेश अग्रवाल और सुरेंद्र नागर के भाषण सुनते हैं."

"मैं समाजवादी नहीं, मुलायमवादी हूं. ये तय करना होगा कि मुलायम सिंह नेता हैं या नहीं. पार्टी में मेरे साथ-साथ जया प्रदा, बलराम यादव और शिवपाल यादव को भी अपमानित किया जा रहा है."

"मेरे लिए राजनीति नहीं, पर्सनल रिलेशन मायने रखते हैं. अखिलेश की सरकार में वही लोग ऐश कर रहे हैं, जो मायावती के राज में कर रहे थे."

"मैं दोबारा सपा में मुलायम सिंह की वजह से आया था. उनसे बात करने के बाद आगे की तैयारी करूंगा."

बता दें कि अमर सिंह और जया प्रदा को फरवरी 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया था. दोनों ने 2011 में राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी बनाई. यूपी इलेक्शन में 403 में से 360 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे. लेकिन एक भी सीट नहीं मिली.

अमर सिंह मार्च 2014 में राष्ट्रीय लोक दल में शामिल हुए. लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. हाल ही में वे सपा में लौटे. पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा.

अमर सिंह ने इस्तीफे की धमकी देते हुए कहा, "मैं पार्टी को नहीं, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के चेयरमैन हामिद अंसारी को इस्‍तीफा दूंगा."

"इस मामले में मेरे आदर्श नवजोत सिंह सिद्धू हैं. मैं अखिलेश यादव से फोन पर बात भी नहीं करता हूं. फोन पर बात करने की कोशिश करो तो उनका सचिव कहता है कि आपका नाम लिस्ट में है, बात करवा दी जाएगी."

जयाप्रदा को लेकर भी अमर सिंह का दर्द उभरा. अमर सिंह ने कहा कि जयाप्रदा के साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है. अब उनको भी अपमानित किया जा रहा है। मेरे लिए राजनीति से ज्यादा व्यक्तिगत रिश्ते मायने रखते हैं.

उनको फिल्म विकास परिषद में एक दिन शामिल करने के बाद अगले दिन हटा दिया जाता है. उनको न तो विधान परिषद में मनोनीत किया गया न ही विधान परिषद सदस्य बनाया गया.

बीते कई महीनों से इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं कि मुलायम फैमिली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

कुछ दिनों पहले ही कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर काफी बवाल हुआ. शिवपाल यादव इस विलय के पक्ष में थे, वहीं अखिलेश पार्टी इमेज को देखते हुए इस विलय के खिलाफ थे.

हालांकि, बाद में ये विलय नहीं हो सका. इसके बाद शिवपाल ने यूपी के मैनपुरी में एक प्रोग्राम के दौरान कहा कि पार्टी के कुछ जिम्मेदार लोग जमीनों पर कब्जा और गरीबों का दमन कर रहे हैं. अगर यह नहीं रुका तो वह इस्तीफा देकर विपक्ष में बैठ जाएंगे.

शिवपाल ने अफसरों के रवैये को लेकर भी नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.
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