धरोहर स्थलों को मिटा देगा जलवायु परिवर्तन

धरोहर स्थलों को मिटा देगा जलवायु परिवर्तन नई दिल्लीः पल्मायरा जैसे धरोहर स्थलों को सिर्फ दुर्दात इस्लामिक स्टेट से ही खतरा नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन भी वेनिस जैसे शहरों पर कहर बरपा सकता है. यह कहना है ‘यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर’ की निदेशक मेकटिल्ड रोसलर का.

रोसलर ने कहा कि इतना ही नहीं, जलवायु परिवर्तन ‘स्टैचू ऑफ लिबर्टी’ और मानव इतिहास का हिस्सा रहे ऐसे ही अन्य ढांचों को भी क्षति पहुंचा सकता है.

रोसलर ने कहा, “शायद मेरे जीवनकाल में कई प्राकृतिक और सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थल नष्ट हो जाएंगे या समुद्र में समा जाएंगे. फ्लोरिडा डूब सकता है. वेनिस में लोग शायद उस तरह नहीं रह पाएंगे, जैसे रहते थे.”

रोसलर 20 जुलाई को इस्तांबुल में 40वें यूनेस्को विश्व धरोहर समिति के सत्र में भारत से चुने गए तीन विश्व धरोहर स्थलों में से दो -कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान और नालंदा महाविहार को शिलालेख के प्रमाणपत्र देने के लिए इस सप्ताह दिल्ली में थीं.

रोसलर हाल ही में इस्लामिक स्टेट के गढ़ से करीब 30 किलोमीटर दूर पल्मायरा का दौरा करने के लिए सीरिया गई थीं.

रोसलर ने कहा, “21वीं सदी में स्मारकों को सबसे बड़ा खतरा आतंकवादियों द्वारा जान बूझकर पहुंचाई जा रही क्षति से है. लेकिन विश्व भर में जलवायु परिवर्तन हमारी जिंदगी को प्रभावित करेगा.”

यूनेस्को ने हाल ही में ‘विश्व धरोहर और पर्यटन रपट’ जारी की थी. रपट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन किस प्रकार से प्राकृतिक और सांस्कृतिक स्मारकों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहा है.

रोसलर ने जोर देकर कहा, “इसका प्रभाव बहुत बड़ा है. क्या आप सोच सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ पूरी तरह साफ हो रहा है। प्रशांत या अंडमान में मूल निवासियों के इलाकों को भविष्य के खतरों के लिए तैयार रहना चाहिए.”

संवेदनशील स्मारकों की सूची में ‘स्टैचू ऑफ लिबर्टी’, अमेरिका का ‘येलोस्टोन राष्ट्रीय उद्यान’ और पेरू और ब्राजील के कई वन भी शामिल हैं।

रोसलर ने संकटग्रस्त इलाकों में पुनर्निर्माण के प्रयासों के बारे में कहा, “सीरिया में अलेप्पो शहर पूरी तरह तबाह हो चुका है. पिछले साल हमने उसके पुनर्निर्माण के लिए एक बैठक आयोजित की थी.”

विश्व भर में कुल मिलाकर 1,052 विश्व धरोहर स्थल हैं. इनमें से करीब 50 को विश्व धरोहर लुप्तप्राय स्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. उनमें से कई संकटग्रस्त क्षेत्रों में हैं.

रोसलर ने कहा, “केवल सीरिया में ही छह संवेदनशील स्थल हैं। इराक, यमन, माली और कांगो में ऐसे ही अन्य स्थल हैं. हमें उन सभी का जीर्णोद्धार करना होगा। हम पहले ही माली के मकबरों का जीर्णोद्धार कर चुके हैं और कई पांडुलिपियां बचा चुके हैं.”

उन्होंने कहा कि बोको हराम के कारण नाइजीरिया में ‘सुकुर कल्चरल हेरिटेज’ जैसे कई स्थलों पर खतरा मंडरा रहा है.

रोसलर ने कहा, “सीरिया में सूचीबद्ध या अस्थायी विरासत स्थलों को वित्तपोषण के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है. तथाकथित आईएस के आतंकी पुरातत्वविदों को बंदूक की नोक पर खुदाई करने के लिए बाध्य करते हैं, ताकि वे कलाकृतियों को बेच सकें.”

इन क्षेत्रों में सैन्य हवाई हमलों को लेकर भी यूनेस्को चिंतित है, जिसके कारण ये धरोहर स्थल क्षतिग्रस्त हो सकते हैं.

रोसलर ने कहा, “ऐतिहासिक धरोहरों को बमबारी से बचाने के लिए हम सेना के साथ मिलकर काम करते हैं. हम उन्हें स्थलों के निर्देशांक देते हैं, जिन्हें किसी भी कीमत पर छुआ न जाए। मैंने नाटो जनरल्स प्रमुख से भी बात की थी. मुझे लगता है कि सेना को सांस्कृतिक धरोहरों और उन्हें संरक्षित करने के तरीकों की जानकारी होनी चाहिए.”

भारत के बारे में उन्होंने कहा कि यह देश कलाकृतियों की अवैध तस्करी का स्रोत है. भारत को अवैध आयात, निर्यात और सांस्कृतिक संपदा के स्वामित्व के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और रोकथाम के यूनेस्को के 1970 के संकल्प के प्रावधानों को लागू करना चाहिए.

उन्होंने कहा, “भारत को तस्करी रोकने के लिए राष्ट्रीय कानूनों को कड़ा करने की आवश्यकता है. लेकिन इससे भी बढ़कर उसे कला बाजार में नैतिकता लाने की जरूरत है.”

रोसलर ने कहा कि यूनेस्को कलाकृतियों की तस्करी रोकने के लिए कला बाजार के साथ मिलकर काम कर रहा है. बरामद कलाकृतियां जिन देशों से चुराई गई हैं, उन्हें लौटा दी जाएंगी.
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