भारत से 3 चीनी पत्रकारों को 'अन्य गतिविधियों' में शामिल होने के चलते देश छोड़ने को कहा
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 24, 2016, 12:39 pm IST
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नई दिल्ली: चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ का प्रतिनिधित्व कर रहे तीन चीनी पत्रकारों की वीज़ा अवधि बढ़ाने से भारत सरकार ने मना कर दिया है.
सूत्रों के मुताबिक यह तीनों पत्रकार (शिन्हुआ के दिल्ली ब्यूरो के प्रमुख वू कियांग और मुंबई में दो संवाददाता तांग लू और मा कियांग) इस शक के घेरे में थे कि यह अपने आधिकारिक काम से अलग 'दूसरी गतिविधियों में भी संलग्न' हैं. इसी बाबत सुरक्षा एजेंसियों ने कई महीनों से इन पर नज़र रखी हुई थी. इनका वीज़ा जनवरी में समाप्त हो गया था जिसके बाद लगातार इनकी अवधि बढ़ाई जा रही थी. 31 जुलाई को इन्हें वापस लौटना है. सूत्रों के मुताबिक चीन इन पत्रकारों की जगह भारत में दूसरे पत्रकारों को भेजने के लिए तैयार है. साथ ही उसने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि इस फैसले का चीन के भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध करने से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि इस फैसले से दोनों देशों के बीच तनाव में और इज़ाफा हो सकता है. गौरतलब है कि चीन द्वारा भारत की सदस्यता के विरोध को कई विशेषज्ञ अलग निगाह से देख रहे हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसा करके बीजिंग, भारत के प्रभाव को कम करने की कोशिश करके अमेरिका के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है. बता दें कि अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन कर रहा है. जर्नलिस्ट वापसी की मुख्य बातें - मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन जर्नलिस्ट के नाम वाउ कियांग, लु तांग और योंगांग है. - वाउ और लु, शिन्हुआ के दिल्ली ब्यूरो में काम करते हैं. योगांग मुंबई में रिपोर्टर हैं. - सूत्रों के मुताबिक- "इस कार्रवाई का यह मतलब नहीं है कि शिन्हुआ के जर्नलिस्ट भारत में काम नहीं कर सकते. एजेंसी इनकी जगह पर नए अप्वॉइंटमेंट्स कर सकती है." - मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इंटेलिजेंस एजेंसियों ने यह अलर्ट दिया था कि ये तीनों जर्नलिस्ट किसी और नाम और पहचान का इस्तेमाल कर कुछ ऐसी जगहों पर विजिट कर रहे हैं जहां आम लोगों या मीडिया के जाने पर मनाही है. - इनकी गतिविधियों पर इंटेलिजेंस एजेंसियों को शक था. इस वजह से इनका वीजा नहीं बढ़ाने का फैसला किया गया. - ये मामला ऐसे समय आया है जब भारत और चीन के बीच रिलेशन में तनाव चल रहा है. - बता दें कि चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत के दावे का विरोध किया था. -वाउ भारत में पिछले 7 साल से काम कर रहे हैं. जबकि, लु और योंगांग की पिछले साल ही मुंबई में पोस्टिंग हुई थी. बता दें कि न्यूज एजेंसी शिन्हुआ चीन के स्टेट काउंसिल या चाइनीज कैबिनेट के तहत काम करती है. - दोनों देशों के जर्नलिस्ट को वीजा देने में देरी करने का इतिहास रहा है. लेकिन, यह शायद पहली बार हुआ है कि भारत ने किन्हीं जर्नलिस्ट के वीजा रिन्यू करने से मना कर दिया गया. - इन तीनों के वीजा पहले ही एक्सपायर हो गए थे. इन्हें 14 जुलाई को बताया कि इन्हें 31 जुलाई को देश छोड़ना है. - जानकारों का कहना है कि भारत के इस फैसले के बाद चीन भी ऐसी ही कार्रवाई कर सकता है. - वाउ ने अखबार 'द हिंदू' को बताया- "वीजा रिन्यू न करने की कोई वजह नहीं बताई गई है." - चीन में इस वक्त भारत के पांच जर्नलिस्ट काम कर रहे हैं. - इनके अलावा, कई भारतीय, चीन के इंग्लिश सरकारी मीडिया मसलन चाइना सेंट्रल टेलीविजन, चाइना डेली और चाइना रेडियो इंटरनेशनल के लिए भी काम करते हैं. |
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