मानवता दिखाइए, हत्याएं बंद कीजिए, बातचीत कीजिए: मीरवाइज
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jul 15, 2016, 19:08 pm IST
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श्रीनगर: कश्मीर के अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक ने अशांत कश्मीर घाटी में शांति बहाली के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई पहल की सराहना की है, और कश्मीर घाटी में मौजूदा संकट के कई कारण गिनाए हैं.
मीरवाइज ने कहा कि राज्य के जनसांख्यकी में बदलाव की आरएसएस और भाजपा की कथित योजना ने भी इसमें बड़ा योगदान किया है. मीरवाइज ने आईएएनएस के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, “एक समय वाजपेयी हमलोगों के पास यहां आए थे। मुझे याद है, जब वह यहां आए थे, तो उनके पास एक राजनीतिक पैकेज था। उन्होंने माना था कि कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है। उन्होंने कहा था कि हमें इस मुद्दे को मानवीय तरीके से सुलझाना है। उन्होंने कहा था कि हमें पुरानी बातें त्यागनी होगी और नई सुबह की ओर देखना होगा। हमने उनके साथ आदान-प्रदान शुरू किया और इस तरह संवाद प्रक्रिया शुरू हुई थी।” मीरवाइज ने कहा कि आज का दुखद पक्ष यह है कि नई दिल्ली नकार की मुद्रा में है। उन्होंने कहा, “यह सरकार वाजपेयी के दृष्टिकोण की बात करती है, और इंसानियत की बुनियादी बात ही लगभग 40 मौतों, सैकड़ों घायलों, अस्पताल में पड़े छोटे बच्चों के साथ अपने आप स्पष्ट हो जाती है।” अलगाववादी नेता ने कहा, “कश्मीर कानून-व्यवस्था का, अच्छे और खराब शासन का, आर्थिक पैकेजों का, और रोजगार का मुद्दा कभी नहीं रहा। और अलगाववादी संगठन हमेशा इस बात को समझाने की कोशिश करते रहे हैं कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसे एक राजनीतिक समाधान की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि सबसे पहले नई दिल्ली को अपना सैन्य दृष्टिकोण त्याग देना चाहिए, और कश्मीर के साथ मानवीय तरीके से पेश आना चाहिए। मीरवाइज ने कहा, “लेकिन ऐसा कहीं नहीं दिख रहा है। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने नागरिकों के मारे जाने की निंदा तक नहीं की है। यहां तक कि उन्होंने कश्मीरियों के लिए सहानुभूति के एक शब्द नहीं बोले हैं।” हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख, मीरवाइज (43) मौजूदा अशांति शुरू होने के बाद से ही अपने घर में नजरबंद हैं। मौजूदा संकट इंडियन मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर बुरहान वानी (22) के आठ जुलाई को मारे जाने के बाद सड़कों पर शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के साथ शुरू हुआ है। इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों में अबतक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हो गए हैं। मीरवाइज ने कहा कि वानी और विरोध प्रदर्शन, यहां कश्मीरी युवाओं के बीच वर्षो से सुलगते गुस्से के परिणाम हैं, जिनपर कभी पानी डालने की कोशिश नहीं की गई। उन्होंने कहा, “इसमें कई कारकों ने योगदान किया है। जम्मू एवं कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन गुस्से का एक स्रोत है।” अलगावावादी नेता ने कहा, “चूंकि यह एक मुस्लिम बहुल राज्य है, लिहाजा कई सारे लोग इस बात को महसूस कर परेशान हैं कि जम्मू एवं कश्मीर के बहुसंख्यक समुदाय की स्थिति को कमजोर करने की जानबूझकर कोशिश हो रही है। और भाजपा व आरएसएस इस मुद्दे पर अपने इरादे छिपा भी नहीं रहे हैं।” उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इस संकट को पाकिस्तान या हुर्रियत कांफ्रेंस भड़का रहे हैं। उन्होंने सड़कों पर भड़के विरोध प्रदर्शनों को स्वस्फूर्त बताया। मीरवाइज ने कहा, “दिल्ली खुद को छोड़कर बाकी सभी को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है। कभी पाकिस्तान को, तो कभी हुर्रियत को। हुर्रियत तो इस मामले में कहीं है ही नहीं। यह तो जनता है, कश्मीर के युवा हैं।” उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में 2010 में भड़की अशांति के बाद इन छह वर्षो के दौरान कुछ नहीं किया, मुद्दे को सुलझाने की कोई कोशिश नहीं की, अलबत्ता कश्मीरियों को परेशान किया गया, उकसाया गया और समस्याएं खड़ी की गईं। उन्होंने कहा, “चाहे यह तथाकथित सैनिक कॉलोनियों का मुद्दा हो, या पंडितों के लिए अलग बस्तियां बसाने का मुद्दा, प्रत्येक मुद्दे के जरिए दिल्ली ने उकसाया है। यह प्रेसर कुकर जैसी स्थिति थी, जरूरत से अधिक गैस जमा होने पर ढक्कन फट गया।” मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर को राजनीतिक शांति चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को समझना चाहिए कि आखिर मारे गए इस युवक (वानी) के प्रति यहां का युवा वर्ग क्यों आकर्षित रहा है। उन्होंने कहा, “कश्मीर के प्रत्येक परिवार के पास त्रासदी, पीड़ा, यातना, की अपनी एक कहानी है, जो उन्हें बुरहान से जोड़ती है। वह (बुरहान) कभी पाकिस्तान नहीं गया। उसने अपना करियर, अपना अच्छा परिवार, और अपना आरामदायक घर छोड़ दिया और भारत की ताकत को चुनौती देने का फैसला किया, यह जानते हुए कि वह सैन्य शक्ति से निपटने में सफल नहीं हो पाएगा।” यह पूछे जाने पर कि निमंत्रण मिलने पर क्या हुर्रियत भारत सरकार के साथ बातचीत करना चाहेगा? मीरवाइज ने कहा, “मैं व्यक्तिगत तौर पर मानता हूं कि मुद्दे को सुलझाने के लिए कश्मीर में एक बड़ा हिस्सा हमेशा बातचीत के पक्ष में रहा है। लेकिन नई दिल्ली ने उसे खारिज कर दिया है।” उन्होंने कहा, “सबसे पहले तो उन्हें मानवीय चेहरा दिखाना होगा। ये पागलपन, हत्याएं बंद करनी होंगी।” |
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