विधेयक को मंजूरी नहीं मिलने के बाद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jun 14, 2016, 14:18 pm IST
Keywords: Delhi Aam Aadmi Party AAP MLA Chief Minister Arvind Kejriwal Narendra Modi Elections दिल्ली आम आदमी पार्टी आप विधायक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधानसभा चुनाव
नई दिल्ली: दिल्ली के 21 आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों को सुरक्षित करने से संबंधित विधेयक को राष्ट्रपति की ओर से सहमति प्रदान करने से इंकार करने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई कर रहे हैं तथा भाजपा आप से डरी हुई है और पिछले साल के विधानसभा चुनाव में मिली हार को पचा नहीं पा रही।
इस बिल के नामंजूर होने से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नाराज हो गए और उन्होंने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा है। विधेयक को मंजूरी न मिलने से केजरीवाल और उनकी पार्टी बिफरी हुई है। कई आप नेताओं ने केंद्र की कड़ी आलोचना की और उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने मोदी सरकार की सिफारिश पर विधेयक खारिज किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस विधेयक को स्वीकृति प्रदान करने से इंकार कर दिया, जिसमें आम आदमी पार्टी के उन 21 विधायकों को बचाने का प्रावधान किया गया था जिनको संसदीय सचिव नियुक्त किया गया और जिन पर अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडरा रहा है। केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा कि हमने अपने विधायको को अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी हैं, लेकिन वे मुफ्त में काम कर रहे हैं। हमारी अधिसूचना यह कहती है कि वे सरकार से किसी पारिश्रमिकी, भत्ते, सुविधाओं या सेवाओं के हकदार नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अगर वे मुफ्त में काम कर हैं तो मोदीजी को क्या परेशानी है। अगर सभी अयोग्य ठहरा दिया जाए और घर बैठा दिया जाए तो उनको (केंद्र) इससे क्या मिलेगा। मोदी जी दिल्ली में मिली पराजय को पचा नहीं पा रहे हैं और इसलिए वे हमें काम नहीं करने दे रहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि दूसरे राज्यों के संसदीय सचिवों को अयोग्य क्यों नहीं ठहराया गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा, पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल और देश भर में संसदीय सचिव हैं। पंजाब में संसदीय सचिवों को एक लाख रुपये महीने, कार और बंगला मिला हुआ है। लेकिन उनको अयोग्य नहीं ठहराया गया। सिर्फ दिल्ली में क्यों? क्योंकि मोदीजी आम आदमी पार्टी से डरे हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री की क्या भूमिका है क्योंकि विधेयक को राष्ट्रपति ने ठुकराया है तो केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रपति कोई फैसला नहीं करते हैं। शायद उनके पास फाइल भी नहीं जाती। फैसला सरकार की ओर से किया जाता है और इस पर गृह मंत्रालय ने फैसला किया है। गौर हो कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रपति ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संसदीय सचिव बिल को लौटा दिया है। गौर हो कि इस बिल के लौटाने के बाद अब संसदीय सचिव बनाए गए केजरीवाल के 21 विधायकों की नियुक्ति पर सवालिया निशान लग गया है। इससे इन विधायकों पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि आम आदमी पार्टी कह रही है कि ये लाभ का पद है ही नहीं। इस बिल में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे से संसदीय सचिवों को बाहर रखने की बात की गई थी। चूंकि विधानसभा से पारित करने के बाद इस बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा गया, लेकिन राष्ट्रपति ने ये बिल वापस कर दिया। इसके बाद ये मामला अब चुनाव आयोग के पास पहुंच गया है। अब इन विधायकों को चुनाव आयोग को जवाब देना होगा कि इनकी सदस्यता खत्म क्यों न की जाए। अगर आयोग इनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो उन 21 सीटों पर फिर से चुनाव भी हो सकते हैं। इस बिल के रिजेक्ट होने से दिल्ली सरकार फिलहाल मुश्किल में फंस गई है। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|