बैंकों को घाटे में डालने वाले कर्जदारों की खैर नहीं: वित्त मंत्री अरुण जेटली
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jun 06, 2016, 18:31 pm IST
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नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों के कामकाज की त्रैमासिक समीक्षा की और कहा कि बैंकों को वह ताकत दी जाएगी जिससे वह खराब लोन से निकल सकें.
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संकेत दिया कि बुरे ऋण से निपटने के लिए बैंकों को अधिक शक्तियां दी जाएंगी. सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ तिमाही प्रदर्शन समीक्षा बैठक करने के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जेटली ने कहा, "बैंकों के सशक्तीकरण के लिए कई सुझाव आए हैं, ताकि वे स्थिति (बुरे ऋण) से निपट सकें। सरकार बैंकों को इस मामले में सहयोग देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है." उन्होंने कहा, "एक प्रमुख मुद्दा है क्रेडिट ऋण और बैंकिंग गतिविधियों का विस्तार. हमें निश्चित रूप से बैंकों को पूर्ण सहयोग देना चाहिए, ताकि वे विकास को संबल देने की उनकी क्षमता बरकरार रहे." उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से बैंकों का ध्यान गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) पर रहना चाहिए, लेकिन वित्तीय समावेशीकरण योजना पर भी काम जारी रहना चाहिए. हम बैंकों को सहयोग दे रहे हैं, ताकि वे ऋण और क्रेडिट विकास में सहयोग दे सकें." उन्होंने कहा, "मैंने यह संकेत दे दिया है कि चर्चा बैंकों के सशक्तीकरण, बैंकों की सुरक्षा और समाधान निर्माण करने पर केंद्रित है." सरकारी बैंकों के तिमाही परिणाम में घाटे में हो रही वृद्धि का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक प्रावधान किए जाने की वजह से बैंकों ने कुल करीब 18,000 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है. उन्होंने कहा, "सरकार यह भी मानती है कि कुछ कारोबारी क्षेत्रों की समस्या के कारण भी एनपीए बढ़ रहा है." जेटली ने यह भी उम्मीद जताई कि ऋण शोधन और दिवालियापन कानून से बैंकों को तनावग्रस्त संपत्तियों से निपटने में काफी सहायता मिलेगी. इससे पहले अपनी जापान यात्रा के दौरान भी अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों को मार्च की तिमाही में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा होने के बीच बैंकों को अधिक वित्तीय समर्थन का वादा किया था और चेताया था कि बैंकरों को परेशानी में डालने वाले चूककर्ताओं (डिफाल्टरों) को चैन की नींद सोने की छूट नहीं दी जा सकती. जेटली ने इसके साथ ही इन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि सार्वजनिक बैंकों का भारी घाटा ‘कंकाल निकलने’ के समान है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) कुछ क्षेत्रों में व्यापार संबंधी घाटे के कारण हैं न कि घपलों के कारण. जेटली निवेश आकर्षित करने के लिए छह दिन की यात्रा पर जापान गए हुए थे. उन्होंने कहा कि उक्त घाटा फंसे कर्ज के लिए प्रावधान के कारण हुआ और एसबीआई व पीएनबी सहित ज्यादातर बैंकों ने परिचालनगत स्तर पर अच्छा मुनाफा कमाया. वित्त मंत्री ने कहा,‘ इन बैंकों की बैलेंस शीट देखें। पीएनबी ने परिचालन के आधार पर अच्छा मुनाफा कमाया, एसबीआई को अच्छा मुनाफा रहा। केवल पूंजीगत प्रावधानों के कारण ही यह घाटे की तरह नजर आ रहा है।’ उन्होंने कहा कि एनपीए या फंसा हुआ कर्ज हमेशा से ही रहा है. उन्होंने कहा,‘ या तो आप इसे ढंके रहेंगे या फिर इसे बैलेंस शीट में दिखाएंगे. मेरी राय में पारदर्शी बैलेंस शीट कारोबार करने का श्रेष्ठ तरीका है और बैंक अब वही कर रहे हैं.’ जेटली ने कहा,‘ मैं बहुत स्पष्ट हूं कि सरकार बैंकों को पूरी तरह मजबूत करेगी और जहां भी जरूरत होगी बैंकों का पूरी तरह समर्थन किया जाएगा. मैंने बजट में एक आंकड़ा दिया था लेकिन जरूरत पड़ने पर मैं इससे अधिक राशि पर विचार करने को तैयार हूं.’ बैंकों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि दिवाला कानून सशक्तिकरण का एक कदम है जबकि रिजर्व बैंक की रणनीतिक ऋण पुनर्गठन प्रणाली भी है. |
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