लखनऊ और मॉस्को: यातायात नियमों के उल्लंघन में क्या है फर्क?
मोहित दुबे ,
Jun 06, 2016, 11:51 am IST
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मास्को: भारत के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य की राजधानी लखनऊ और दुनिया के सबसे बड़े देश की राजधानी मास्को में तुलना करना आसान नहीं है. दोनों शहरों के बीच भिन्नताएं अनेक हैं, लेकिन अन्य शहरों की जगह इन दोनों ने मेरा ध्यान आकर्षित किया.
यातयात नियमों का उल्लंघन करना उत्तर प्रदेश में आम बात है. इन्हें खबरों में जगह तो मिलती है, लेकिन आगे की खबरों के लिए इसे चुपचाप दफना दिया जाता है. अगर आपकी पहुंच ऊपर तक है (जैसा कि उत्तर प्रदेश में प्राय: सभी लोगों की होती हैं) तो आपका चालान काटने से पहले ट्रैफिक पुलिस को ऊपर से किसी का एक फोन आता है और वह आपको छोड़ने के लिए मजबूर हो जाता है. हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि रूस में स्थिति अलग है. देश के एक बड़े और प्रभावशाली वाणिज्य कार्यकारी के पुत्र को तेज गाड़ी चलाने और उसे खदेड़ने के लिए पुलिसकर्मी के परेशान होने पर न केवल सलाखों के पीछे डाला जाता है, बल्कि यह कार्य उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए भी यातायात पुलिस को उकसाता है. यह कहानी रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी एलयूके ऑयल, रूस के उपाध्यक्ष के बेटे रूसलान शमसुआरोव की है और यह घटना गत 28 मई की रात को हुई थी. पुलिस ने उसे सलाखों के पीछे डाल दिया। यहां ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने उसे बालक से राष्ट्रीय खलनायक बना दिया। वह सड़क किनारे स्थित खाने पीने और कॉफी की दुकानों पर चर्चा का विषय बन गया है. स्थानीय अखबारों में यह घटना सुर्खियां बनी, जिससे इस विषय की तह तक मैं गया. जिस होटल में मैं ठहरा था उसकी रिसेप्शनिस्ट ने भी पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "ऐसा जरूर होना चाहिए. हम शांतिप्रिय शहर में रहते हैं, जहां पैदल चलने वालों का भी सम्मान किया जाता है और उन्हें पहले सड़क पार करने की इजाजत दी जाती है. सड़क पर ऐसे युवक को कैसे इजाजत दी जा सकती है?" लेकिन लखनऊ या उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में यातायात नियम तोड़ना आम बात है और इस मुद्दे पर विचार देने के लिए किसी के पास समय नहीं है. रूसी मीडिया की रपटों के अनुसार, शमसुआरोव की गिरफ्तारी से कई दिनों पहले मास्को के पुलिस प्रमुख अनातोली याकुनिन ने रूस के 'गोल्डन यूथ' के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी.। (गोल्डन यूथ का मतलब है रूस के ऐसे युवक जिन्हें प्रभवशली पिताओं से न केवल धन, बल्कि हकदारी भी मिली है.) गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट की गई वीडियो में याकुनिन ने ऐसे कानून तोड़ने वालों के लिए शून्य सहिष्णुता की बात कही थी. ठीक इसके विपरीत उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ की स्थिति है. अगर यातायात पुलिस कुछ करना भी चाहती, तो सत्ताधरी दल के नेता करने नहीं देते हैं और कानून तोड़ने वाले सुरक्षित निकल जाते हैं. हालांकि मास्को में सड़कों पर लखनऊ की तुलना में कम यातायात पुलिस रहते हैं, लेकिन गाड़ी के चालक विनम्र होते हैं. वे अपनी लेन में रहते हैं, निश्चित गति सीमा में गाड़ी चलाने और लालबत्ती पर रुकने के नियमों का पालन करते हैं. खास तौर से उत्तर प्रदेश से जुड़े लोगों के लिए यह आनंददायक अनुभव है, जहां ऐसा प्रतीत होता है कि कानून तोड़ना सनक, आदत या शक्ति प्रदर्शन है. |
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