Thursday, 28 March 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

सोशल मीडिया से किसानों को जोड़ेगी सरकार

जनता जनार्दन डेस्क , Jun 03, 2016, 17:26 pm IST
Keywords: Uttar Pradesh   Farmer   Crop   Bad harvests   WhatsApp   उत्तर प्रदेश सरकार   किसान   फसल   खराब फसल   वॉट्सएप   
फ़ॉन्ट साइज :
सोशल मीडिया से किसानों को जोड़ेगी सरकार लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने अब किसानों से जुड़ने और उनकी फसलों को खराब होने से बचाने के लिए नई कवायद शुरू की है। सरकार के आला अधिकारियों की मानें तो अब किसान खराब हो रही फसल की फोटो खींच कर वॉट्सएप पर शेयर कर सकेंगे और विभाग के अधिकारी उस पर 24 घंटे के भीतर त्वरित कार्रवाई कर समस्या का हल निकालेंगे।

उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार ने  बताया कि राज्य सरकार ने एक नया कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत पौधों एवं फसलों का हानिकारक कीटों से बचाव किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कीटनाशकों की वजह से ही हर वर्ष 20 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इसी क्षति को दूर करने के लिए अब सरकार ने पार्टिसिपेटरी क्रॉप सर्विलांस एंड रिस्पांस सिस्टम (पीसीएसआरएस) शुरू किया है।

उन्होंने बताया, "इसके तहत किसानों को दो नम्बर 9452247111 व 9452257111 दिए गए हैं। इन नम्बरों पर किसान एसएमएस के जरिए अपनी फसल की जानकारी दे सकते हैं। इन नम्बरों पर शुरू किए गए वॉट्सएप पर वे खराब हो रही फसल की फोटो भेजकर अपनी परेशानी अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं। इसमें किसान को अपना नाम और पूरा पता देना होगा।"

प्रवीर कुमार बताते हैं कि एक बार वॉट्सएप पर फोटो पहुंचने के बाद संबंधित विभाग के अधिकारी इस पर काम शुरू कर देंगे और कम से कम 24 घंटे और अधिकतम 48 घंटे के भीतर एक टीम किसान से सम्पर्क करेगी। वह पौधों व फसलों के बारे में जानकारी एकत्र करेगी और यदि आसपास के इलाके में भी किसानों को कोई शिकायत होगी तो वह इसकी जांच करेगी।

अधिकारी ने बताया कि विभाग की टीम किसान की शिकायत पर काम करेगी और फिर उससे बचने के उपाय भी बताएगी। उन्होंने बताया, "सभी आयुक्तों, जिलाधिकारियों व मुख्य विकास अधिकारियों को इस बाबत दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है और जल्द से जल्द इस योजना को हर जिले में शुरू कर दिया जाएगा। इस योजना से किसानों को काफी सहूलियत मिलेगी।
अन्य राज्य लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल