भारत और ईरान के बीच दोस्ती का नया 'बंदरगाह'
जनता जनार्दन डेस्क ,
May 23, 2016, 16:21 pm IST
Keywords: Prime Minister Iranian President Hassan Rouhani Modi's foreign visits Chabahar Port India-Iran agreement प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी मोदी का विदेश दौरा चाबहार पोर्ट भारत-ईरान समझौता
तेहरान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ईरान में आज भव्य स्वागत किया गया जहां उन्होंने व्यापार, निवेश और उर्जा संबंधों को मजबूत करने के लिए ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने रणनीतिक और कारोबारी महत्व के द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 30 मिनट तक सीमित बैठक की।
फिर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई जिसमें ईरान के दक्षिणी तट पर चाबहार बंदरगाह के विकास, एल्युमिनियम स्मेल्टर संयंत्र और रेल लाइन स्थापित करने से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। भारत ईरान के चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में उद्योग स्थापित करने (एल्यूमीनियम स्मेल्टर से लेकर यूरिया संयंत्र तक) के लिए अरबों डालर का निवेश करेगा जिसके लिए दोनों देशों के बीच समझौता हुआ। सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘चाबहार के रणनीतिक बंदरगाह के निर्माण और परिचालन संबंधी वाणिज्यिक अनुबंध पर समझौते से भारत को ईरान में अपने पैर जमाने और पाकिस्तान को दरकिनार कर अफगानिस्तान, रूस और यूरोप तक सीधी पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘कांडला एवं चाबहार बंदरगाह के बीच दूरी, नयी दिल्ली से मुंबई के बीच की दूरी से भी कम है। इसलिए इस समझौते से हमें पहले वस्तुएं ईरान तक तेजी से पहुंचाने और फिर नए रेल एवं सड़क मार्ग के जरिए अफगानिस्तान ले जाने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘चाहबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में एक लाख करोड़ रपए से अधिक का निवेश हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां दो दिन की यात्रा पर आए और इस दौरान वह भारत-ईरान संबंध को मजबूत करने और ईरान के खिलाफ प्रतिबंध हटाए जाने का बड़े पैमाने पर फायदा उठाकर व्यापार बढ़ाने के तरीके तलाशेंगे। गडकरी ने कहा कि ईरान के पास सस्ती प्राकृतिक गैस और बिजली है और भारतीय कंपनियां 50 लाख टन का एल्यूमीनियम स्मेल्टर संयंत्र और यूरिया विनिर्माण इकाइयां स्थापित करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ‘हम यूरिया सब्सिडी पर 45,000 करोड़ रपए सालाना खर्च करते हैं और यदि हम इसका विनिर्माण चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में करते हैं और कांडला बंदरगाह ले जाते और वहां से भीतरी इलाकों में तो उतनी ही राशि की बचत होगी। गडकरी ने कहा कि नाल्को एल्यूमीनियम स्मेल्टर स्थापित करेगी जबकि निजी एवं सहकारी उर्वरक कंपनियों यूरिया संयंत्र बनाने की इच्छुक हैं बशर्ते उन्हें दो डालर प्रति एमएमबीटीयू से कम की दर पर गैस मिले। उन्होंने कहा कि रेलवे का पीएसयू इरकॉन चाबहार में एक रेल लाईन का निर्माण करेगा ताकि अफगानिस्तान तक सीधे सामान पहुंचाया जा सके। गडकरी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट की संयुक्त उद्यम इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड यहां 640 मीटर लंबी दो कंटेनर गोदी और तीन बहु मालवाहक गोदी के निर्माण पर 8.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। भारतीय कंसोर्टियम ने आरिया बनादेर इरानियन के साथ बंदरगाह समझौता किया। उन्होंने कहा, ‘यह अनुबंध 10 साल के लिए है और इसका विस्तार किया जा सकता है। हमें पहले चरण का निर्माण पूरा करने में 18 महीने का समय लगेगा।’ अनुबंध के पहले दो साल की अवधि छूट अवधि है जिसमें भारत को किसी कार्गो के लिए गारंटी नहीं देनी है। तीसरे साल से भारत चाबहार बंदरगाह पर 30,000 टीईयू कार्गो की गारंटी देगा जो 10वें साल में बढ़कर 2,50,000 टीईयू तक पहुंच जाएगा। गडकरी ने कहा, ‘अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2003 में चाबहार बंदरगाह बनाने के लिए आरंभिक समझौता किया गया था लेकिन यह सौदा बाद के वर्षों में आगे नहीं बढ़ पाया। पिछले एक साल में इसे तेजी से आगे बढ़ाया गया जिसकी वजह से आज पहले चरण के लिए समझौता हुआ। उन्होंने कहा, ‘यह ऐतिहासिक मौका है जो विकास का एक नया दौर शुरू करेगा। हम अब बिना पाकिस्तान गए अफगानिस्तान और फिर उससे आगे रूस और यूरोप जा सकेंगे।’ भारत द्वारा 2009 में निर्मित जारंज-देलारम सड़क अफगानिस्तान के राजमार्ग तक पहुंच प्रदान कर सकता है जो अफगानिस्तान के चार प्रमुख शहरों (हेरात, कंदहार, काबुल और मजार-ए-शरीफ) तक पहुंच प्रदान करेगा। ऐसी खबर है कि भारत अफगानिस्तान के भीतर एक और सड़क नेटवर्क के निर्माण के लिए वित्तपोषण करेगा जिससे ईरान अपेक्षाकृत छोटे मार्ग के जरिए ताजिकिस्तान तक जुड़ने में मदद मिलेगी। चाबहार पाकिस्तान में चीन द्वारा परिचालित ग्वादार बंदरगाह से करीब 100 किलोमीटर दूर है जो चीन की 46 अरब डालर के निवेश से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा विकसित करने की योजना का अंग है और इसका उद्देश्य एशिया में नए व्यापार और परिवहन मार्ग खोलना है। भारतीय संयुक्त उद्यम कंपनियां बंदरगाह में 8.52 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश करेंगी। भारत का एक्जिम बैंक और 15 करोड़ डालर की रिण सुविधा प्रदान करेगा। गडकरी ने यह भी कहा कि भारत चाबहार और जहेदान के बीच 500 किलोमीटर का रेलमार्ग बनाए जो चाबहार को मध्य एशिया से जोड़ेगा। ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलुचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर उपयोगी है। यह फारस की खाड़ी के बाहर है और भारत के पश्चिम तट पर स्थित है और भारत के पश्चित तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। चाबहार परियोजना, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बंदरगाह के लिए पहला विदेशी उद्यम होगा। जवाहरलाल नेहरु पोर्ट भारत का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह है और इसकी इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल में साठ प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि कांडला पोर्ट के पास शेष 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दी 15 वर्षों में ईरान की द्विपक्षीय यात्रा पर जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सादाबाद पैलेस के प्रांगण में मोदी की अगवानी की। सेना के बैंडों ने दोनों देशों के राष्ट्रगान की धुन बजाई जिसके बाद मोदी ने गार्ड ऑफ ऑनर का अवलोकन किया। |
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