गर्मी ने छीन लिया बेंगलुरू का सुहानापन
शैरोन थंबाला ,
May 22, 2016, 16:30 pm IST
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बेंगलुरू: यह रमणीय और ठंडा शहर था. यहां के मौसम के कारण बड़ी संख्या में लोग यहां आते थे. भीषण गर्मी के मौसम में भी यहां पंखे की जरूरत नहीं पड़ती थी.
अब बेंगलुरू धधक रहा है। गर्मी के मौसम में पिछले कई सालों से लोग एयर कंडीशनर खरीद रहे हैं. पंखों और एयर कंडीशनर का इस्तेमाल मार्च महीने से ही होने लगता है. मौसम के इस स्वर्ग में क्या हो रहा है? भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में दिवेचा जलवायु परिवर्तन केंद्र (डीसीसीसी) के अध्यक्ष जे. श्रीनिवासन ने आईएएनएस से कहा, “1950 और 1960 के दशकों में बेंगलुरू के घरों में पंखे नहीं होते थे। जून के महीने में मैं स्वेटर पहना करता था। अब आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं।” इस साल 24 अप्रैल को बेंगलुरू का तापमान 39.2 डिग्री सेल्यिस दर्ज किया गया, जो 85 साल में सर्वाधिक था। 1931 में तापमान 38.3 डिग्री दर्ज किया गया था। श्रीनिवासन ने कहा कि इस अप्रैल महीने में बेंगलुरू के औसत न्यूनतम और अधिकतम तापमान में पांच से तीन डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, शहर के आसपास के इलाके जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिटी, ह्वाइटफील्ड और अन्य जगहों पर अधिक तापमान रहे होंगे, लेकिन अधिकारिक रिकार्ड में दर्ज नहीं हैं, क्योंकि शहर में मौसम का हाल पता लगाने के लिए सिर्फ तीन वेधशालाएं हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, बड़े पैमाने पर शहरीकरण, अल नीनो के प्रभाव, तारकोल की सड़कों में वृद्धि, कंक्रीट के मकानों और ग्लोबल वार्मिग के कारण बेंगलुरू के तापमान में वृद्धि हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, बेंगलुरू के मौसम विज्ञान केंद्र की अध्यक्ष गीता अग्निहोत्री ने आईएएनएस से कहा, “गत साल अल नीनो वर्ष था। दक्षिणी प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान तीन से चार डिग्री तक बढ़ गया था। इस तरह के मौसम प्रतिमान का भारतीय उपमहाद्वीप पर प्रभाव पड़ता है, जिससे तापमान में वृद्धि हुई है।” श्रीनिवासन कहते हैं कि कंक्रीट के मकान दिन में सूर्य के विकिरण को सोख लेते हैं और रात में कमरे में पुन: किरणपात करते हैं, जिससे घर कंक्रीट भट्ठी जैसा महसूस होता है। श्रीनिवासन कहते हैं कि ठंड देशों में तापमान संग्रह के लिए विशाल दीवारें बनाई जाती हैं, लेकिन भारत में ठीक इसके विपरीत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि घरों में शीशे का इस्तेमाल भारत के लिए अच्छा नहीं है। यह विकिरण को कमरे में प्रवेश करने देता है जिससे कमरे गर्म हो जाते हैं, लेकिन गर्मी बाहर नहीं निकल सकती है। डीसीसीसी के वरिष्ठ शोधकर्ता राजीव चतुर्वेदी ने कहा कि वश्विक तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है और इसमें और वृद्धि के अनुमान चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा, “जब तक वैश्विक तापमान सुरक्षित स्तर पर नहीं आएगा, तब तक बेगलुरू का मौसम और खराब होगा।” अहम सवाल यह है कि जिस तापमान प्रतिमान को पुराने लोग याद करते हैं, उसे वापस लाने के लिए क्या किया जा सकता है? इस पर श्रीनिवासन ने कहा, “बेंगलुरू मौसम का अपना अतीत पुन: प्राप्त कर सकता है, बशर्ते हम झीलों को पहले जैसी स्थिति में लाएं और कंक्रीट की गगनचुंबी इमारतें बनाने से परहेज करें।” बेंगलुरू में 100 झीलें थीं, जो घरों और कार्यालयों की बढ़ती मांगों के कारण अतिक्रमण की भेंट चढ़ गईं। |
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