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जीने का अधिकार छीनने वाले कर रहे असहिष्णुता की बातः अरुण जेटली ने कांग्रेस पर साधा निशाना

जीने का अधिकार छीनने वाले कर रहे असहिष्णुता की बातः अरुण जेटली ने कांग्रेस पर साधा निशाना नयी दिल्ली: राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए अरुण जेटली ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोगों से जीने का अधिकार छीना गया.

उन्होंने कहा कि बाबा भीमराव अंबेडकर की वजह से भारत में लोकतंत्र है. डॉ. अंबेडकर केवल संविधान के निर्माता ही नहीं थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे.

अरुण जेटली ने कहा कि अपमान के बाद भी बाबा साहब अंबेडकर ने हिम्‍मत नहीं हारी थी. उन्होंने कहा कि आज कोई भी टीवी पर आकर कोई बयान दे देता है तो वह असहिष्णुता का मुद्दा बन जाता है.

राज्यसभा में चर्चा के दौरान अरुण जेटली ने कहा कि राज्य धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जायेगा, ऐसा संविधान में लिखा गया है. उन्होंने कहा कि अंबेडकर द्वारा परिकल्पित संविधान धर्म विरोधी या धर्म समर्थित नहीं था बल्कि थियोक्रेसी (धर्मतंत्र) का विरोध करता था.

जेटली ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान के मूल ढाचे में निहित है. बाबा साहेब अंबेडकर का मत था कि न्यायपालिका खुद ही जजों की नियुक्ति न करें.

अरुण जेटली ने कहा कि मोरारजी देसाई को इस बात श्रेय जाता है कि उन्होंने संशोधन करवाया और अनुच्छेद-21 को नॉन सस्पेंडेबल बनाया. संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करता है, जीवन और आजादी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, 1970 के दौरान सबसे बड़ी चुनौती सामने आई जब इस अधिकार को छीन लिया गया. सबसे बड़ा अधिकार जीने का अधिकार है लेकिन आपातकाल में उसे भी छीन लिया गया था.

अरुण जेटली ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र मजबूत हुआ है लेकिन पड़ोसी देश में ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि बीते 65 सालों में दुनिया में बहुत बदलाव हुए है. कई देशों में लोकतंत्रीय व्यवस्था को तहस नहस कर दिया गया लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के उस बयान जिसमें उन्होंने कल कहा था कि जिनका संविधान में योगदान नहीं, वह इसपर चर्चा कर रहे हैं, के जवाब में अरुण जेटली ने कहा कि जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी संविधान सभा के सदस्य थे.
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