कसूरी की किताब का विमोचन करने पाक जाएंगे सुधींद्र कुलकर्णी

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 30, 2015, 13:31 pm IST
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कसूरी की किताब का विमोचन करने पाक जाएंगे सुधींद्र कुलकर्णी मुंबई: ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन के लिए अगले सप्ताह कराची जाएंगे। इसी किताब का विमोचन आयोजित करने पर पिछले दिनों शिवसेना के सदस्यों ने उन पर स्याही पोत दी थी।

कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने कुछ चर्चित पाकिस्तानी और भारतीयों के साथ दो नवंबर को कसूरी की किताब ‘नाइदर ए हॉक नॉर ए डव’ के विमोचन समारोह में शामिल के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। ओआरएफ अध्यक्ष ने कल रात यहां टाटा लिटरेचर लाइव फेस्टिवल में पैनल चर्चा के दौरान इसका उल्लेख किया।

कसूरी अपनी किताब के विमोचन के मामले में इस महीने दिल्ली में थे। कुलकर्णी ने कसूरी को मुंबई में अपनी किताब के विमोचन के लिए आमंत्रित किया था। शिवसेना ने आयोजन रद्द करने के लिए चेताया था। हालांकि दोनों ने धमकी के आगे झुकने से इंकार कर दिया था।

बारह अक्तूबर को मुंबई में कसूरी की किताब के विमोचन के पहले शिवसेना सदस्यों ने कुलकर्णी पर स्याही पोत दी थी। शिवसेना ने मुखर तरीके से आयोजन का विरोध किया था और इसमें बाधा डालने की धमकी दी थी।

इससे पहले शिवसेना के कारण मुंबई में पाकिस्तानी गायक गुलाम अली का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था।कुलकर्णी ने कहा कि अगले सप्ताह (एक से चार नवंबर) पाकिस्तान के दौरे को लेकर वह खुश और उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि दो नवंबर को कराची में कसूरी की किताब ‘नाइदर ए हॉक नॉर ए डव’ के विमोचन समारोह में शिरकत के आमंत्रण के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं।

भारत-पाकिस्तान शांति प्रक्रिया में उनकी किताब की एक बड़ी भूमिका है क्योंकि इसमें लंबित कश्मीर मुद्दे के हल के लिए नयी दिल्ली और इस्लामाबाद में पूर्व की सरकारों के बीच व्यापक सहमति का ब्यौरा दिया गया है। कुलकर्णी ने कहा कि इस महीने के शुरू में उन्हें कसूरी की किताब के विमोचन का गौरव मिला।

उन्होंने एक बयान में आज कहा कि शिवसेना की धमकी के बावजूद मुंबई के लोगों ने समारोह की सफलता सुनिश्चित कर जज्बा दिखाया। कुलकर्णी ने तीन नवंबर को पाकिस्तान भारत संबंधों पर एक सेमिनार में उन्हें मौका देने के लिए कराची काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन का शुक्रिया अदा किया।

उन्होंने कहा कि पिछली बार जब मैं लालकृष्ण आडवाणी के साथ 2005 में कराची गया था, उस समय की यादें अब भी स्पष्ट हैं। वह यात्रा पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना को श्रद्धांजलि देने के चलते विवादों में आ गयी थी। ओआरएफ के अध्यक्ष ने कहा कि मैं एक बार फिर जिन्ना की मजार पर जाने को लेकर उत्साहित हूं।

मैं सहमत हूं कि महात्मा गांधी के साथ उनके विचार और आदर्श शांति, रिश्ता सामान्य बनाने और हिंदू-मुसलमान एकता की दिशा में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि खासकर, मेरा साफ मानना है कि भारतीयों की सोच में जिन्ना को लेकर धारणा बदलने का समय आ गया है।
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