हिन्दी के प्रसार में सबसे ज्यादा योगदान फिल्मों का हैः श्रीलंका की इन्द्रा दसनायके से बातचीत

हिन्दी के प्रसार में सबसे ज्यादा योगदान फिल्मों का हैः श्रीलंका की इन्द्रा दसनायके से बातचीत श्रीलंका के एक विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा की सहायक प्राध्यापिका हैं इन्द्रा दसनायके. श्रीलंका में हिन्दी भाषा के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में आपको ‘विश्व हिन्दी सम्मान’ से सम्मानित किया गया है. हिन्दी के आज और कल पर उनसे बातचीत किया श्याम नन्दन ने...

प्रश्न-    आपके देश में लोग भारत के प्रति कैसी सोच रखते हैं?

उत्तर-    सिंहली लोगों के मन में भारत के प्रति गहरी भावना है। वे लोग सोचते हैं कि भारतीय लोग हमारे भाई-बहन हैं। देखने में भी श्रीलंका की लड़कियाँ, भारतीय लड़कियों की तरह ही दिखती हैं। वे भारतीय लड़कियों की तरह ही जीना चाहती हैं। उनकी जीवन-शैली भी ऐसी ही है। श्रीलंका की लड़कियों की वेशभूषा भी भारतीय लड़कियों के जैसी ही है।
    
प्रश्न-    हिन्दी भाषा के प्रति उनके मनोभाव क्या हैं?

उत्तर- हमारे यहाँ हिन्दी पढ़ना लोग पसन्द करते हैं, क्योंकि यह एक मधुर भाषा है। फिल्में एक बड़ा कारण है कि वे हिन्दी सीखते हैं। हमारे पुराने लोग हिन्दी पढ़ने से ज्यादा हिन्दी गाना सुनना पसन्द करते हैं। विश्वविद्यालय में आने के बाद वे लोग हिन्दी साहित्य, हिन्दी भाषा विज्ञान, भाषा और साहित्य पढ़ रहे हैं।

प्रश्न-    आपके देश में हिन्दी भाषा की क्या स्थिति है?

उत्तर-    हिन्दी, ज्यादातर मुख्य शहरों में ही पढ़ाई जाती है। कोलम्बो के आस-पास ज्यादातर पाठशालाओं में हिन्दी पढ़ाई जाती है व O Level, A Level  पर पढ़ते हैं। एक विषय के रूप में हिन्दी विश्वविद्यालय में पढ़ने को मिलती है। हिन्दी के लिए विश्वविद्यालयों में अलग विभाग हैं। हिन्दी में शोध भी हो रहा है। ज्यादातर सिंहली एवं हिन्दी में तुलनात्मक अध्ययन चल रहा है।

प्रश्न -   हिन्दी भाषा सीखने की बात मन में कैसे आई? हिन्दी क्यों सीखी?

उत्तर-    हमारे यहाँ हिन्दी गाना सुनना भी लोग पसन्द करते हैं। सिंहली फिल्मों से ज्यादा हिन्दी फिल्में पसन्द करते हैं, पर गाने ज्यादा पसन्द हैं। मुझे स्वयं सिंहली गानों से ज्यादा हिन्दी गाने पसन्द हैं। इसीलिए मैंने हिन्दी सीखी और हिन्दी की पढ़ाई की।

प्रश्न-    कितने विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है?

उत्तर-    4 विश्वविद्यालयों में अलग विषय के रूप में हिन्दी प्रवीण पढ़ने वाले लोग हैं। हिन्दी में पश्चात उपाधि (परास्नातक) में लोग पढ़ते हैं। (उपाधि शब्द हिन्दी एवं सिंहली दोनों भाषाओं में है।)

प्रश्न-    हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कौन-कौन सी संस्थाएँ काम कर रही हैं?

उत्तर-    भारतीय दूतावास के सहयोग से (ICC) भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र कोलम्बो, कैण्डी आदि जगहों पर संचालित होते हैं। कोलम्बो कैण्डी में कई जगहों पर छोटी-छोटी संस्थाएं है, जो हिन्दी-शिक्षण करती हैं।

प्रश्न-    जो भारतीय श्रीलंका में हैं, क्या वे परस्पर हिन्दी में संवाद करते हैं?

उत्तर-    नहीं।

प्रश्न-    सामान्य जन-जीवन में हिन्दी का कुछ प्रयोग होता है?

उत्तर-    नहीं।

प्रश्न-    कुछ हिन्दी पुस्तकों का सिंहली या श्रीलंका की अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ है?

उत्तर-    प्रेमचन्द के उपन्यास ‘गोदान’ का अनुवाद हुआ है। यशपाल, अज्ञेय की कुछ रचनाओं का भी अनुवाद हुआ है।

प्रश्न-    हिन्दी शिक्षण में, क्या-क्या समस्याएं हैं?

उत्तर-    हिन्दी, हमारे यहाँ द्वितीय भाषा है। हिन्दी में बात करने के लिए भारतीय लोग नहीं मिलते हैं कि अभ्यास हो। व्याकरण-दोष बहुत है। उच्चारण में गलतियाँ मिलती हैं। शिक्षकों का भी अभाव है।

प्रश्न-    विश्व हिन्दी सम्मेलन में, भारत आकर कैसा लग रहा है?

उत्तर-    बहुत अच्छा लग रहा है, यहाँ आकर। यहाँ सारे लोग अपनी मातृ भाषा की बहुत सेवा कर रहे हैं। जितनी यहाँ कर रहे हैं, उतनी हमारे देश में अपनी मातृ भाषा के लिए नहीं कर रहे हैं।

प्रश्न-    श्रीलंका में हिन्दी का प्रसार किस तरह हो रहा है?
   
उत्तर-    भारत सरकार ने भारतीय सांस्कृति केन्द्र बना दिया है। वहाँ पर जो हिन्दी के कार्यक्रम होते हैं, उसमें श्रीलंका के लोग, विशेष रूप से सिंहली लोग भाग लेते हैं और हिन्दी दिवस भी मनाते हैं। संगीतकार, फिल्मकार आते हैं। हिन्दी के प्रसार में सबसे ज्यादा प्रभाव हिन्दी फिल्मों का है।

प्रश्न-    हिन्दी भाषी जनता से, हिन्दी प्रेमियों से कुछ कहना चाहती हैं? कोई सन्देश देना चाहती हैं?

उत्तर -   हिन्दी मेरी मातृभाषा से भी अच्छी है, मधुर है। हिन्दी में दीर्घ भविष्य है। मुझे ये कहना है कि आप लोग हिन्दी का जो विकास और प्रसार करना चाहते हैं वो शुद्ध और मानक हिन्दी में करिए।

प्रश्न-    वैश्वीकरण के इस दौर में जब भाषाएं बाजार की वस्तु बन गयीं है तब अन्य प्रतिस्पर्धी भाषाओं के मुकाबले हिन्दी को किस स्थिति में देखती है, आप?

उत्तर-    हिन्दी के विज्ञापनों में अधिकतर शब्द अंग्रेजी के मिलते हैं, मुझे ये पसन्द नहीं है। उदाहरण के लिए Web के लिए अगर कोई अन्य शब्द बने तो अच्छा है क्योंकि Web अंग्रेजी का शब्द है। हिन्दी फिल्मों में उर्दू के शब्द मिलते हैं, शुद्ध हिन्दी के शब्द नहीं मिलते हैं। मैं, आप लोगों को बताना चाहती हूँ कि हिन्दी में उर्दू, अंग्रेजी नहीं होनी चाहिए। हिन्दी, संस्कृतनिष्ठ होनी चाहिए, क्योंकि ये हिन्दी ही सबसे अच्छी हिन्दी है और यही बोलना भी सबसे अच्छा है।

प्रश्न-    वैश्विक परिदृश्य में आप हिन्दी का भविष्य कैसा देखती हैं?

उत्तर-    हिन्दी अन्य भाषाओं के शब्दों को भी ग्रहण करती है, क्योंकि यह ग्रहणशील भाषा है। लेकिन मुझे शुद्ध हिन्दी पसन्द है और मैं चाहती हूँ कि इसका भविष्य शुद्ध हिन्दी का हो।

प्रश्न-    कम्प्यूटर और सोशल मीडिया में रोमन लिपि का प्रयोग बढ़ा है। क्या श्रीलंका की भाषाओं एवं लिपियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है?

उत्तर -   जैसे हिन्दी भाषा, रोमन लिपि में लिखी जा रही है, वैसे ही सिंहली भाषा भी रोमन लिपि में लिखी जा रही है। तमिल भी रोमन लिपि में टाइप हो रही है। इससे कोई समस्या नहीं है। सभी ने इसे स्वीकार कर लिया है।
 
प्रश्न -   श्रीलंका में हिन्दी का भविष्य कैसा है?

उत्तर -   वहाँ हिन्दी का भविष्य तो है, लेकिन अन्य सुविधाएँ एवं रोजगार नहीं मिलता है। इसके लिए भारत सरकार को कुछ करना चाहिए।
 
प्रश्न -   आपको विश्व हिन्दी सम्मान मिला। कैसा लग रहा है?

उत्तर-    इतनी छोटी उम्र में मुझे सम्मान मिला, मैंने कभी सोचा नहीं था। इसकी सूचना जब मुझे मिली तो मैं अचम्भित हो गई कि इतनी कम उम्र में मुझे इतना बड़ा सम्मान मिल रहा है। इससे मेरा प्रोत्साहन हुआ है और मैं हिन्दी के लिए बहुत काम करना चाहती हूँ।

प्रश्न -   हिन्दी के प्रसार के लिए आपकी अग्रिम योजनाएं क्या हैं?

उत्तर-    जिस विश्वविद्यालय में मैं पढ़ाती हूं, वहाँ हिन्दी विभाग खोलना मेरा सपना है। मैने विदेश मन्त्रालय और भारत सरकार को पत्र लिखा है। सम्भव है कि जल्दी ही हमारे विश्वविद्यालय में सर्व सम्पूर्ण हिन्दी विभाग खुल जाए.
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