भारी उद्योग विभाग और जर्मनी की फ्राउनहोफर में समझौता

भारी उद्योग विभाग और जर्मनी की फ्राउनहोफर में समझौता नई दिल्लीः भारत सरकार के भारी उद्योग विभाग (डीएचआई) और जर्मनी की फ्राउनहोफर के बीच एक फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर आज हस्ताक्षर किए गए। इसमें जर्मनी ‘प्रौद्योगिकी संसाधन सहयोगी’ होगा। नई दिल्ली में भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव डा. आर कटोच की मौजूदगी में इस एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान भारी उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (बीएचईएल) के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

इस एमओयू का उद्देश्य भारतीय उद्योगों में नवाचार और तकनीकी कौशल को बढ़ाकर ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को समर्थन और बढ़ावा देना है।

इसकी मुख्य गतिविधियों में भारतीय उद्योग के तकनीकी विकास के लिए एक रोड-मैप तैयार करना, तकनीकी खामियों की पहचान और उन्हें दूर करना शामिल है। साथ ही विर्निर्माण में निर्धारित परियोजनाओं का क्रियान्वयन, व्यावहारिक अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए सरकार, उद्योग एवं शोध क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों के साथ काम करना शामिल है।

इस एमओयू का नई दिल्ली के हैदराबाद हाऊस में होने वाली दोनों देशों के प्रमुखों की बैठक से पहले विदेश मंत्री और उनके जर्मन समकक्ष के बीच आदान प्रदान होगा।

फ्राउनहोफर-गैसलसाफ्ट यूरोप में व्यावहारिक अनुसंधान करने वाला प्रमुख संगठन है। इसकी अनुसंधान गतिविधियां 66 संस्थानों में चलती हैं और जर्मनी में कई जगह इसकी इकाइयां हैं। फ्राउनहोफर-गैसलसाफ्ट के पास 24,000 कर्मचारी हैं, जो दो बिलियन यूरो से ज्यादा के कुल सालाना अनुसंधान बजट के साथ काम करते हैं। इसमें से 1.7 बिलियन यूरो अनुसंधान अनुबंध से आता है। फ्राउनहोफर-गैसलसाफ्ट के अनुबंध अनुसंधान राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक उद्योगों के साथ अनुबंध और सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं से निकाला गया है।

12वीं पंचवर्षीय योजना में फ्राउनहोफर जैसे संस्थानों के साथ सहयोग के माध्यम से संस्थानों में भारतीय औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है।

यह समझौता ज्ञापन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जर्मनी के समर्थन का मजूबत संकेत है। यह पूंजीगत वस्तुओं के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। औद्योगिक समूहों में एसएमई इसके मुख्य लाभकारी होंगे।
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