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नौ सेना करे हिंद महासागर पर राजः पर्रिकर ने किया आईएनएस कोच्चि का जलावतरण
जनता जनार्दन रक्षा संवाददाता ,
Sep 30, 2015, 16:35 pm IST
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![]() रक्षा उत्पादन इकाइयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र में नया उत्साह है। उन्होंने कहा कि हम एक वास्तविक समुद्री नौसेना विकसित करेंगे जो हिंद महासागर क्षेत्र पर प्रभाव रखेगी। मंत्री ने प्रक्षेपास्त्र प्रणाली प्रौद्योगिकी के र्मोचे पर ‘मिश्रित सफलता’ के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में मिसाइल प्रौद्योगिकी में बड़े स्तर पर स्वदेशीकरण होगा। -यह विदेशी नौसैनिक पोत की तरह पर्रिकर ने कहा कि आईएनएस कोच्चि किसी विदेशी नौसैनिक पोत की तरह ही है। उन्होंने इसका निर्माण करने वालों की प्रशंसा की। ‘आईएनएस कोच्चि’ कोलकाता श्रेणी परियोजना 15ए के गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रोयर्स में दूसरा युद्धपोत है। दिल्ली श्रेणी के विध्वंसक पोतों के बाद के क्रम में कोलकाता श्रेणी के तीन जहाजों का करार किया गया था। दिल्ली श्रेणी के युद्धपोत एक दशक से अधिक समय पहले नौसेना में शामिल किये गये थे। इसे नौसेना के आंतरिक संगठन ‘नौसैनिक डिजाइन निदेशालय’ ने डिजाइन किया है और मुंबई में मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड में इसका निर्माण किया गया है। -विशालकाय जहाज 164 मीटर लंबा बंदरगाह शहर कोच्चि के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। यह युद्धपोत दिल्ली श्रेणी के जहाजों की तुलना में बेहतर है और इसके शस्त्र और सेंसर अधिक आधुनिक हैं। युद्धपोत में रडार की पहुंच में नहीं आने जैसी उन्नत नई डिजाइन अवधारणाएं शामिल हैं। विशालकाय जहाज 164 मीटर लंबा और 17 मीटर गहरा है जो चार गैस टर्बाइन से चलता है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 30 नॉट तक की रफ्तार पकड़ सकता है। जहाज पर करीब 40 अधिकारियों और चालक दल के 350 सदस्यों के सवार होने की क्षमता है। कर्मचारियों की परिस्थिति और रहने की अनुकूल शैली के अनुरूप जहाज में रहने की व्यवस्था की गई है। -स्वदेशी विकास का लक्ष्य उचित नौसेना के पास हेलीकॉप्टरों की कमी के सवाल पर पर्रिकर ने कहा कि हमारे पास कुल स्वदेशी लक्ष्य के करीब 35-40 प्रतिशत हैं। बाकी की चीजें आंशिक या पूर्ण रूप से आयातित की जाती हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता कमजोर होने की स्थिति में चीजें बनाना व्यावहारिक नहीं होता। अगले पांच से छह साल में 70 प्रतिशत स्वदेशी विकास का लक्ष्य उचित होगा। प्रवक्ता ने बताया कि जहाज को इस तरह का ढांचा दिया गया है और रडार-पारदर्शी डेक फिटिंग का इस्तेमाल किया गया है कि इसकी रडार की पहुंच से दूरी रहने की विशेषता और उन्नत हुई है। जहाज को ‘नेटवर्क ऑफ नेटवक्र्स’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है जो शिप डाटा नेटवर्क एसडीएन, कांबट मैनेजमेंट सिस्टम सीएमएस, ऑटोमैटिक पॉवर मैनेजमेंट सिस्टम एपीएमएस और ऑक्सिलरी कंट्रोल सिस्टम एसीएस से युक्त है। ये हैं इसकी खूबियां - आईएनएस कोच्चि देश में निर्मित सबसे बडा जंगी जहाज है। यह कोलकाता श्रेणी (परियोजना 15 ए) का दूसरा "गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रोयर" जहाज है और अपनी श्रेणी में दुनिया के सबसे बेहतरीन विध्वंसक जहाजों में से एक है। इसकी मारक क्षमता 300 किमी है। -रडार की पकड में नहीं आ सकने वाले इस जहाज पर करीब 40 अधिकारी और 350 कर्मी रह सकते हैं। मिसाइल से लैस जहाज दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम हैं। इसमें महिला अफसर भी तैनात रहेंगी। कर्मचारियों की परिस्थिति और रहने की अनुकूल शैली के अनुरूप जहाज में रहने की व्यवस्था की गई है। - तीन हजार करोड की लागत और 7500 टन विस्थापन क्षमता का यह जहाज मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड पर बनाया गया है। इसका नामकरण किया गया है बंदरगाह शहर कोच्चि के नाम पर। आईएनएस कोच्चि 33 सौ समुद्री मील क्षेत्र की गश्त करने में सक्षम है। जहाज 164 मीटर लंबा और 17 मीटर गहरा है। इसे चार गैस टर्बाइन से संचालित किया जाता है। -2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद से पश्चिम में समुद्री तटों की सुरक्षा सबसे बडी चिंता बन गई थी। इस क्षेत्र में आईएनएस कोच्चि के उतरने से सुरक्षा पंक्ति तो मजबूत होगी ही, साथ ही हिंद महासागर में देश का दबदबा भी बढेगा। -आईएनएस कोच्चि कोलकाता श्रेणी का दूसरा युद्धपोत है। इसमें लगा इस्त्राइल निर्मित एमफ-स्टार रडार सैकडों किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को पकड सकता है। -जहाज को इस तरह का ढांचा दिया गया है और रडार-पारदर्शीय डेक फिटिंग का इस्तेमाल किया गया है कि इसकी रडार की पहुंच से दूरी रहने की विशेषता और उन्नत हुई है। जहाज को नेटवर्क ऑफ नेटवक्र्स के तौर पर वर्गीकृत किया गया है, जो शिप डाटा नेटवर्क (एसडीएन), कॉंबेट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस), ऑटोमैटिक पॉवर मैनेजमेंट सिस्टम (एपीएमएस) और ऑक्सिलरी कंट्रोल सिस्टम (एसीएस) से युक्त है। - यह अत्याधुनिक हथियारों से लैस युद्धपोत है। |
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