शिवसेना ने कहा, मुगालते में मोदी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 29, 2015, 16:56 pm IST
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मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दूसरी 'कामयाब' अमेरिका यात्रा से घर लौट रहे हैं, और इस बार वह सिलिकॉन वैली भी गए, जहां 'मोदी-मोदी' के जोरदार नारों के बीच उनका शानदार स्वागत किया गया, लेकिन प्रधानमंत्री को 'लोकप्रियता की इन वादियों' में खो न जाने का ढका-छिपा संदेश देते हुए पुरानी सहयोगी शिवसेना ने याद दिलाया है कि 'लोकप्रिय तो जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी थे, जबकि उनके पास सोशल मीडिया नहीं था...'
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित संपादकीय में मंगलवार को कहा गया, "इसमें कोई संदेह नहीं कि (नरेंद्र) मोदी बहुत लोकप्रिय हैं, और (अमेरिका में) वह जहां भी गए, सब जगह 'मोदी-मोदी' के जोरदार नारे लगाए गए, लेकिन लोकप्रिय तो नेहरू और इंदिरा भी थे, वह भी उस वक्त, जब आज की तरह सोशल मीडिया भी नहीं था..." शिवसेना के अनुसार, कांग्रेस की पीवी नरसिम्हा राव तथा मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों का योगदान भी भुलाया जाना मुमकिन नहीं है। संपादकीय में लिखा गया है, "प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी विदेशों में असाधारण रूप से लोकप्रिय हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की आर्थिक प्रगति की नींव मनमोहन सिंह तथा पीवी नरसिम्हा राव ने रखी थी..." संपादकीय में कहा गया है, "जिस वक्त देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, उन्होंने (मनमोहन सिंह तथा पीवी नरसिम्हा राव ने) देश की आर्थिक प्रगति को दिशा और आकार दिया था... भले ही वे हमारे राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, लेकिन हम इस सच्चाई से नज़र नहीं फेर सकते, और उन्होंने तो ऐसा उन नाज़ुक हालात में किया था, जबकि उनका गठबंधन भी इस तरह मजबूत नहीं था..." पार्टी के मुताबिक प्रसारण और टेलीकॉम के क्षेत्र में पहली बार क्रांति इंदिरा गांधी के कार्यकाल में ही हुई थी, जिसे उनके बेटे और उत्तराधिकारी राजीव गांधी आगे लेकर गए, और फोन को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में काम किया। हालांकि इन 'कड़वी' साबित हो सकने वाली बातों के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ मौजूदा रिश्तों को भी याद रखा है, और संपादकीय का अंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा से किया है, "(नरेंद्र) मोदी विदेशों में बहुत लोकप्रिय हैं, और भारत की वैश्विक पहचान बनने से हम सभी गौरवान्वित हैं... उन्हें (नरेंद्र मोदी) इस बात के लिए बधाई दी जानी चाहिए..." गौरतलब है कि पिछले 25 साल से भी अधिक समय से सहयोगी रही शिवसेना एक साल के दौरान अपने संपादकीयों में बीजेपी की आलोचना करने को लेकर काफी मुखर रही है। दोनों सहयोगी दल पिछले ही साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अलग भी हो गए थे, हालांकि सरकार बनाने के लिए बाद में फिर एक साथ आ गए। |
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