हंगामे के लिए याद किया जाएगा मानसून सत्र

हंगामे के लिए याद किया जाएगा मानसून सत्र नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच क़डवाहट की एक नई इबारत लिख गया। यह सत्र हंगामे के मायने में "ऎतिहासिक" ही कहा जाएगा। जीएसटी जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक इस सत्र मेंं लटक गए। कामकाज नहीं हो सका। संसद में कामकाज का ब्योरा रखने वाली पीआरएस लेजिस्लेटिव ने बताया है कि लोकसभा में निर्धारित समय में से 52 फीसदी और राज्यसभा में महज 9 फीसद समय में काम हुआ।

लोकसभा में प्रश्नकाल निर्धारित समय में से 52 फीसदी समय ही चला। राज्यसभा में कुल निर्धारित समय में से महज एक फीसदी समय ही प्रश्नकाल चला। पीआरएस लेजिस्लेटिव ने बताया कि पूर्व निर्धारित 9 में से 8 विधेयक पेश हुए लेकिन पूर्व निर्धारित 12 में से केवल एक विधेयक ही पास हुआ। राज्यसभा में 82 घंटा और लोकसभा में 34 घंटा कार्यवाही में बाधा की भेंट चढ़ गया। पूरा हंगामा कांग्रेस के इस आरोप के इर्द गिर्द रहा कि पूर्व आईपीएल प्रमुख और धन की घपलेबाजी में फंसे ललित मोदी को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मदद की थी।

कांग्रेस ने इन दोनों का इस्तीफा मांगा। साथ ही व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की भी मांग पार्टी ने रखी। कांग्रेस ने कहा कि पहले इस्तीफा फिर संसद में चर्चा। सरकार इस पर राजी नहीं हुई। और, हंगामा होता रहा। नौबत यहां तक आई कि लोकसभा अध्यक्ष को कांग्रेस के 25 सांसदों को निलंबित करना प़डा। एक दिन लोकसभा टीवी से कहना प़डा कि हंगामा करने वालों का चेहरा दिखाएं ताकि देश इन्हें देख ले। चार हफ्ते के इस सत्र में एकमात्र सार्थक बहस सदन के स्थगित होने से एक दिन पहले लोकसभा में हुई। कांग्रेस के कार्यस्थगन प्रस्ताव का विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जवाब दिया। सुषमा ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने ललित मोदी से एक पैसा नहीं लिया है। मानवीय आधार पर ललित मोदी की बीमार पत्नी की उन्होंने मदद की थी।

उन्होंने राहुल गांधी से कहा कि वह अपनी मां से पूछें कि बोफोर्स मामले में क्वात्रोची और भोपाल गैस कांड में शामिल यूनियन कार्बाइड के वारेन एंडरसन को भागने देने के बदले में कितना पैसा मिला था। जेटली ने कहा कि ललित मोदी को कानून के कठघरे तक खींच कर लाने में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ही विफल लही थी। राजग सरकार की वजह से अब कार्रवाई हो रही है। चर्चा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया कोई वादा पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग उठाती रहेगी। जेटली ने कहा कि सुषमा जी के इस्तीफे का सवाल नहीं उठता।

कांग्रेस का यह कार्यस्थगन प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया। सत्र स्थगित होने के दिन गुरूवार को भी राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा हुआ। विपक्ष ने कार्यवाही का बहिष्कार किया। सत्र की खास बात भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार के रूख में आया बदलाव भी है। इसे काफी हद तक संप्रग सरकार के विधेयक जैसा रूप देने के आसार बन रहे हैं। उम्मीद है कि यह विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश होगा।
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