संसद कैंटीन में सब्सिडी का सस्ता भोजन क्यों?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 18, 2015, 15:40 pm IST
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नई दिल्लीः संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले संसद की कैंटीन में रियायती दर पर दिए जाने वाले भोजन का मामला गरमाने लगा है तथा सांसदों की ओर से भोजन पर सब्सिडी समाप्त करने की मांग उठने लगी है। कुछ समय पहले आरटीआई के माध्यम से संसद की कैंटीन में दी जा रही सब्सिडी का मामला मीडिया में उछला था, जिसके बाद से सोशल मीडिया में इसे लेकर लगातार आलोचना हो रही है।
सोशल मीडिया में यह बात उठ रही है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों से रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को छोडऩे की अपील कर रहे हैं, तो सांसद खुद सब्सिडी का लाभ क्यों उठा रहे हैं। बीजू जनता दल (बीजद) सांसद जय पांडा ने इस सुविधा को तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुये इस मामले को फिर गरमा दिया है। उन्होंने इस बारे में लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भेजे पत्र में कहा कि सरकार की सभी समर्थ लोगों से गैस पर मिलने वाली सब्सिडी वापस कर देने की अपील एक सराहनीय कदम है। इससे जो धन बचेगा वह गरीब और जरूरतमंदों के काम आएगा। इसी के अनुरूप हम सांसदों को भी भोजन में जो सब्सिडी मिलती है, उसे छोड़ देनी चाहिए। यह लोगों का विश्वास जीतने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। कांग्रेस के पी सी चाको भी इस बात से सहमत हैं कि यह सब्सिडी जरूरत से ज्यादा है। उनका कहना था कि इतनी अधिक सब्सिडी नहीं दी जानी चाहिए । जनता दल यू के महासचिव तथा सांसद के सी त्यागी का कहना था वह सब्सिडी हटाने की मांग नहीं कर रहे, लेकिन अगर यह हटायी जाती , तो इसका विरोध भी नहीं करेंगे । संसद की कैंटीन में मिलने वाले सस्ते भोजन को लेकर सोशल मीडिया में सांसदों को निशाना बनाकर उन पर कटाक्ष किए जा रहे हैं । इस बारे में सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जबाब में सरकार ने बताया था कि पिछले पांच साल में कैंटीन के लिए 60 करोड़ रुपए से अधिक की सब्सिडी दी गई है। इस समय सब्सिडी के चलते निरामिष भोजन की थाली जिसकी बनने की लागत 99 रुपए से अधिक आती है, वह संसद की कैंटीन में 33 रुपए में मिलती है। इसी तरह मटन करी जिस पर 61 रुपए से ज्यादा लागत आती है, वह 20 रुपए में मिलती है। वेजीटेबल स्टयू केवल केवल चार रूपए में मिलता है, जबकि उसकी लागत 41 रूपए से ज्यादा आती है । |
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