दक्षिण कोरिया में बोले मोदी, एकजुट एशिया देगा विश्व को आकार
जनता जनार्दन डेस्क ,
May 19, 2015, 12:51 pm IST
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सियोल: वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपेक्षाकृत अधिक स्थिर और भरोसेमंद कराधान प्रणाली का वायदा किया और कहा कि उनकी सरकार भारत को कारोबार के लिए सुगम गंतव्य बनाने के लिए पूरे जोश-खरोश के साथ काम कर रही है।
मोदी ने अपनी तीन देशों की यात्रा के आखिरी दिन दक्षिण कोरिया के मुख्य कार्यकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने पिछले एक साल में राजनीति, शासन प्रणाली और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बहाल की है। उन्होंने कहा लेकिन हम यहीं नहीं ठहरने वाले हैं। हमें बहुत बेहतर करना है और हम करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) महत्वपूर्ण है और यह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल के बिना भारत नहीं आएगा। उन्होंने कहा इसलिए हम भारत को कारोबार के लिहाज से बेहद सुगम गंतव्य बनाने की दिशा में पूरे जोश-खरोश के साथ काम कर रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, इस्पात निर्माण, रेलवे, पोत निर्माण और आवास जैसे क्षेत्रों में कोरियाई कंपनियों के साथ गठजोड़ की आकांक्षा जताते हुए मोदी ने कहा कोरियाई निवेशकों के सहयोग के लिए एक प्रतिबद्ध प्रणाली तैयार की जा रही है। मोदी ने कहा इसे कोरिया प्लस के तौर पर जाना जाएगा। इसके अलावा मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि यदि कोई समस्या होती है तो मैं व्यक्तिगत तौर पर इस पर ध्यान दूंगा। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 11 महीने में कारोबारी माहौल में सुधार और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कई पहलें की हैं। मोदी ने कहा हमारा मानना है कि देश में निवेश आकर्षित करने के लिए कारोबार सुगम बनाना महत्वपूर्ण तत्व है। उन्होंने कहा कि सरकार कराधान प्रणाली को अपेक्षाकत अधिक स्थिर, भरोसेमंद और पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा हमने कराधान के कई मामले सुलझा लिए हैं, जो विदेशी निवेशकों को प्रभावित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आरंभिक पहलों के अच्छे नतीजे मिले हैं। निजी निवेश का रुझान और विदेशी निवेश का प्रवाह सकरात्मक रहा है। उन्होंने कहा हमारी वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक है। अप्रैल 2014 से फरवरी 2015 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले एफडीआई प्रवाह में 39 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई। मोदी ने कहा कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसे कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान आने वाले दिनों में इससे अधिक तेज वृद्धि की भविष्यवाणी कर रहे हैं। उन्होंने कहा मूडीज ने हाल ही में आर्थिक खंड में उठाए गए कई ठोस पहलों के मद्देनजर भारत की रेटिंग के परिदृश्य को बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एशियाई देशों के बीच एकता की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें विश्व को आकार देने के लिए और संयुक्त राष्ट्र समेत शासन की वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एशियाई होने के तौर पर काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिणी कोरिया की राजधानी सियोल में आयोजित छठे एशिया नेतृत्व सम्मेलन में कहा कि यदि एशिया को एक बनकर उभरना है, तो उसे अपने आप को क्षेत्रीय धड़े के रूप में नहीं सोचना चाहिए। प्रतिद्वन्द्विता के कारण एशिया महाद्वीप के पिछड़ने का जिक्र करते हुए उन्होंने एशियाई एशियाई देशों से अपनी साझी विरासत और युवा ऊर्जा का इस्तेमाल एक साझा उद्देश्य को हासिल करने के लिए कहा। मोदी ने कहा, एकजुट एशिया विश्व को आकार देगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत साझा समृद्धि वाला एक ऐसा एशिया चाहता है, जहां एक राष्ट्र की सफलता दूसरे की ताकत बने। एशिया के विकास को इस युग की महानतम घटना करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक संस्थानों के प्रशासन में सुधार के लिए एशियाई के रूप में काम करना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत का विकास एशिया की सफलता की कहानी होगी और यह एशियाई सपने को एक बड़ी हकीकत बनाने में मदद करेगा। चीन और मंगोलिया की यात्रा के बाद दक्षिण कोरिया पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एशिया के बारे में मेरा सपना ऐसा है, जहां सभी एशियाई साथ विकास करें, भारत के भविष्य के बारे में मैंने जो सपना देखा है, वही मैं हमारे पड़ोसियों के भविष्य के लिए चाहता हूं। देश के भीतर और बाहर हमारा विकास और अधिक समावेशी होना चाहिए। भारत के एशिया के चौराहे पर खड़ा होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक दूसरे के साथ जुड़े एशिया के निर्माण संबंधी अपनी जिम्मेदारी को निभायेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि कुछ एशियाई देश अधिक समद्ध हो गए हैं, ऐसे में उन्हें अपने संसाधनों और बाजार में ऐसे देशों को हिस्सेदारी देने के लिए तैयार रहना चाहिए जिन्हें इनकी जरूरत है। मोदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय सरकारों का कर्तव्य ही नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय जिम्मेदारी भी है। लोकतंत्र के स्तंभ के रूप में दक्षिण कोरिया की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरिया का आर्थिक चमत्कार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उसके वैश्विक नेतृत्व ने एशियाई शताब्दी के वादे को और वास्तविक बना दिया है। उन्होंने कहा कि अब एशिया की सफलता को बरकरार रखने की बारी भारत की है, भारत की क्षमता के बारे में कभी भी संदेह नहीं रहा है और पिछले वर्ष हमने वादे को वास्तविकता और उम्मीदों को विश्वास में बदला है। मोदी ने कहा कि भारत का विकास प्रतिवर्ष 7.5 प्रतिशत की दर पर लौट आया है और इसके और बढ़ने की संभावना मजबूत है। एशियाई नेताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया एक स्वर में कह रही है कि भारत हमारे क्षेत्र और दुनिया में उम्मीदों का नया प्रकाशपुंज है। मानवता के छठे हिस्से का विकास दुनिया को भी एक अवसर प्रदान करेगा। यह भारत को हमारी दुनिया के लिए अधिक काम करने की क्षमता प्रदान करेगा। मोदी ने कहा कि एशिया और सफलता हासिल करेगा, अगर सभी एशियाई साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे। यह ऐसे देशों का महाद्वीप नहीं होना चाहिए, जहां कुछ राष्ट्र आगे बढ़े रहे हो और अन्य नीचे जा रहे हो। यह ऐसा नहीं होना चाहिए जहां कुछ क्षेत्रों में स्थिरता हो और अन्य टूटी संस्थाएं हो। मोदी ने कहा कि युवाओं को कौशल एवं शिक्षा सम्पन्न होना चाहिए ताकि वे भविष्य को उम्मीद भरी नजरों से देख सकें। उन्होंने कहा, अगले 40 वर्षों में तीन अरब एशियाई अपने को समृद्धि की नई ऊंचाइयों पर ले जायेंगे। एशिया की समृद्धि और बढ़ती आबादी हमारे सीमित संसाधनों के समक्ष बड़ी मांग पेश करेगी। उन्होंने कहा कि धरती पर हमारे पैर के निशान हल्के पड़ने चाहिए, क्योंकि हमारा आर्थिक वजन बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से निपटने को एशिया के उज्जवल भविष्य के हित में बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने अगले पांच वर्षों में 175 गीगा वाट नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। लेकिन कोयला और तेल हम सभी के लिए आने वाले लम्बे समय तक उर्जा के स्रोत बने रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें हमारे क्षेत्र को आधारभूत संरचना के जरिये जोड़ना चाहिए और उन्हें कारोबार एवं निवेश से जोड़ना चाहिए। हमें एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता हासिल करने के लिए सभी संभव पहल करनी चाहिए। हमें ऐसी संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए जो समानता, सह अस्तित्व और अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं मानदंडों के आधार पर सहयोग को प्रोत्साहित करें। मोदी ने कहा, हम सब को आतंकवाद, देशों के बीच होने वाले अपराध, प्राकृतिक अपदा और बीमारी की हमारी साझी चुनौतियों का मिलकर सामना करना है। |
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