मोदी सरकार के एक सालः देश के विकास और जनहित को समर्पित
हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ,
May 18, 2015, 16:16 pm IST
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नई दिल्ली: केन्द्र की मोदी सरकार गरीबों के साथ-साथ मानवीय संवेदना की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली सरकार को एक वर्ष बीतने को हैं। सरकार के रीति-नीति कार्यशैली, जन अपेक्षाएं और आकांक्षाओं को लेकर मीडिया जगत से लेकर विभिन्न राजनैतिक दल तथा समाजिक और राजनैतिक ऐजेण्डे पर बात करने वाले लोग अपनी-अपनी तरह की सरकार की तस्वीर पेश कर रहे है। कुछ सही कुछ गलत, कुछ भ्रामक और कुछ नितान्त स्वार्थ प्रेरित झूठ।
इलेक्ट्रानिक चैनलों की बहस का ऐजेण्डा और निर्कष दोनो वही तय कर रहें है। केन्द्र सरकार के प्रति जनता को भ्रमित करने वाला ऐजेण्डा आज मीडिया जगत में जोरो पर है। केन्द्र सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में किये गये कार्य और निर्णय तथा प्रयास अत्यन्त उत्साह जनक देश के 125 करोड़ लोगों के समृद्धि और विकास का मार्ग प्रसस्त करने वाले है। तथ्यों तथा सच्चाई के आधार पर निष्पक्ष दृष्टि से यदि हम केन्द्र सरकार के कार्य को देखे तो उससे स्पष्ट है कि सरकार में इच्छा शक्ति भी है और साहस भी है। यह एक ऐसी संवेदनशील सरकार है जो अपने लोगों के साथ हमेशा हर संकट में खड़ी रही। संकट चाहे जम्मू-कश्मीर का बाढ़ रहा हो यह यमन, ईराक, सोमालिया आदि देशों में फंसे हुए अपने नागरिकों को संकट से उबारने का रहा हो। अफगानिस्तान तथा लंका ने अपने लोगो की जान-माल की रक्षा रही है। नेपाल में आयी भूकम्प त्रासदी रही हो यह मालद्वीव में पीने का पानी का संकट रहा हो, भारत सरकार की तत्पर मद्द की आज पूरा विश्व प्रंशसा कर रहा है।यह सरकार प्रत्येक मौके पर उपलब्ध दिखी, सरकारी कार्यो ने गति पकड़ी। पिछले 10 वर्षो में यूपीए शासन के दौरान अनिर्णय में फंसी सारी परियोजनाओं को अनिर्णय से निकालकर विकास को गति दिया। वह परियोजनाएं चाहे रक्षा से जुड़ी रही हो, राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढ़ाचे के विकास की परियोजनाएं हो, युवाओं के रोजगार, विज्ञान और तकनीकी विकास की परियोजनाएं रहीं हो, जन स्वास्थ्य या किसानों की बेहतरी की बात हो, रेल और जल परिवाहन में नई परियोजानाएं और नई दिशा और विकास की बात हो, देश के संघीय ढ़ाचे को मजबूत करने की बात हो और प्रत्येक राज्य में आई.आई.टी., आई.आई.एम. और आर्युविज्ञान संस्थान की स्थापना की बात हो, वेदेशिक सम्बन्ध और व्यापार नीति की बात हो, सीमा सुरक्षा और आन्तरिक सुरक्षा जैसे विषय हो, शिक्षा और बुनियादी सुविधाये हो, सरकार पूरी ताकत के साथ सभी क्षेत्रों में तेजी से काम कर रही है। मोदी सरकार ने पिछली यूपीए सरकार की च्वसपबल च्ंतंसलेपे से बाहर निकाल कर भारत के विकास को तीव्र गति प्रदान की जिसका नतीजा है कि आज हम दुनिया के पहली पंक्ति के देशों में खड़े है। सरकार के विकास के माडल के आंकलन की दृष्टि से देखे तो हम यह पाएंगे कि मनमोहन सरकार के दौरान देश की जीडीपी 4.4 प्रतिशत रह गयी थी। जो एक वर्ष के अंदर 5.7 पर पहुच गयी, आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत से अधिक हुआ, विदेशी मुद्रा कोष में रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गयी। देश में आर्थिक जगत और औद्योगिक क्षेत्र में मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद निराशा का वातावरण दूर हुआ। आर्थिक मानदण्डों पर हम आगे बढ़ रहे है। राष्ट्रीय राजमार्गो के निर्माण की गति जो यूपीए के शासन में 2.5 किमी. प्रतिदिन थी आज एक साल के अंदर 12 किमी. प्रतिदिन की गति को प्राप्त कर ली है।बीएसएनएल जैसी 1 लाख करोड़ की सरकारी कम्पनी जो अटल जी के शासनकाल में 10 हजार करोड़ प्रतिवर्ष लाभ कमा रही थी। यूपीए शासन में षंयन्त्र के तहत 7.50 हजार करोड़ घाटे में चली गयी कारण प्राइवेट टेलीकाम कम्पनियों को फायदा पहुंचाना था। मोदी सरकार ने इसे उबारने का निर्णय लेकर 25 हजार टावर जिसमें से 3000 हजार टावर केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगाये जा रहे है। ताकि वहां के लोगों को इन्टरनेट सुविधाओं से जोड़ा जा सके। देश की ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में ब्राण्डबैण्ड से जोड़ने का काम पिछली सरकार से 30 गुना तेजी के साथ चल रहा है ताकि ई-शिक्षा, ई-स्वास्थ्य, ई-कार्मश से देश के आम आदमी को जोड़ा जा सके। पेंशनार्थियों की सुविधा के लिए जीवन-प्रमाणन पत्र को डिजटली किया जा रहा है। अकेले ही दूर संचार द्वारा संचालित की जा रही योजानाओं में डेढ़ से दो लाख लोगो को रोजगार प्राप्त हो रहा है। बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी कम्पनियों को घाटे से उबारकर पटरी पर लाया जा रहा है। ताकि लाखों कर्मचरियों की सेवा सुरक्षित हो सके। इसी तरह समाजिक क्षेत्र में नममि गंगे परियोजना के लिए केन्द्र सरकार ने 20 हजार करोड़ की योजना को मंजूरी देकर, बेटी बचाओ-बेटी पढाओं, सुकन्या समृद्धि योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री दुर्दघटना बीमा योजना, 20 हजार करोड़ से शुरू किये गये मुद्रा बैंक के माध्यम से छोटे खुदरा व्यापारी जिनके पास आयकर रिर्टन नहीं है। को पांच हजार से 10 लाख तक का लोन की सुविधा प्रदान किया जाना। क्या देश के कार्पोरेट और उद्योगपतियों के लिए है ? मोदी सरकार पारदर्शी, संवेदनशील, भ्रष्टाचार मुक्त, जबावदेह और निर्णायक सरकार है। मोदी जी ने देश के अर्थतंत्र को पटरी पर लाने का सफल प्रयास किया। आज भारत विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जों कार्य मनमोहन सिंह की सरकार ने 10 वर्षो में नहीं हुआ। मंहगाई 6 से 7 प्रतिशत थी जो मोदी सरकार ने मार्च में (-)2.33 प्रतिशत करके दिखा दिया। आज सूट-बूट और उद्योगपतियों की सरकार का तंज कसने वाले राहुल बाबा यह भूल गये कि जिस यूपीए शासन के वह उनकी माँ रिमोट कंटोल थे उसमें 73 घोटाले हुए जिसमें 12 लाख करोड़ की जन-धन की लूट हुई, यह जन-धन की लूट सरकार में बैठे लोगो और उ़द्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं थी क्या ?आज राहुल बाबा किसानों के बड़े भारी हितैषी बनने का स्वागं कर रहे है। जबकि यूपीए शासन के दौरान किसानो को यूरिया ब्लैक में खरीदनी पड़ी, कांग्रेस सरकार ने सेज के लिए हजारों हेक्टेएअर कृषि भूमि की लूट उद्योग पतियों के लिए की गयी। जिसमें आज भी अनेकों पर आज भी कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ। मनमोहन सरकार में आद्योगिक उत्पादन (-)12 प्रतिशत पहुॅच गया था। जो मोदी सरकार में 5 प्रतिशत पर पहुॅच गया। 17 प्रतिशत ग्रोथ दर्ज हुई।विदेशी निवेश यूपीए कार्यकाल की अपेक्षा 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा सर्विस सेक्टर 48से 53 प्रतिशत तक पहुॅचा । आजाद भारत पर यदि हम दृष्टि डालें तो 68 वर्ष में लगभग 60 वर्ष काग्रेस सरकार में रही जिसमें देश में 60 प्रतिशत आबादी पास बैक एकाउन्ट तक नहीं था। जन धन योजना के माध्यम से 14 करोड़ लोग बैक से जुडकर देश की अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जुडे़। क्या यह सब उद्योग उद्योगपतियों को फायदा पहुॅचाने के लिए मोदी सरकार कर रही है? मोदी सरकार के खिलाफ उसे बदनाम करने का उद्योगपतियों की सरकार बताने का गरीब किसान विरोधी सरकार बताने का एक नियोजित षड़त्र इस देश में चलाया जा रहा है। जबकि वास्तविकता हैं जितने निर्णय इस सरकार ने लिए उससे देश समृद्धि हुआ। केवल 20 कोयला खदानो से 2 लाख करोड़ सरकार कोष में आया पारदर्शी स्पेक्ट्रम की थोड़ी सी नीलामी से 1 लाख 9 हजार करोड़ सरकारी कोष में आये। सडक परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी द्वारा सरकारी कार्यो के लिए सीमेन्ट की दर 350 से 120 रूपये प्रति बोरी तय कर सरकार के कोष का लाखो करोड़ का बचत किया। ईरान में पोर्ट बनाकर यूरिया की कीमत आधी करने की योजना क्या उद्योगपतियों के फायदे के लिए है? भूमि अधिग्रहण बिल जिसको किसान विरोधी बताकर सरकार की छवि को बिगाडने की एक बडी साजिश है जो नहीं चाहते की किसान समृद्धि हों उनका विकास हो व इस प्रकार के दुष्प्रचार में निरन्तर लगें है और इसमें मीडिया भी पूरी तरह उनका साथ दे रही है। जिन दो मुद्दों पर सर्वाधिक प्रोपोगैन्डा किया जा रहा है। उनमें सोसल इम्पैक्ट असेमेन्ट जिसके तहत काग्रेस ने अपने बिल में 13 विषयों को इसके दायरे के बाहर रखा था। जबकि वर्तमान बिल में कुल 5 विषय रक्षा, रेल, परिवाहन, उर्जा और इन्फ्रास्ट्रकचर जैसे विषय हैं। जिनके बिना देश का विकास सम्भव नहीं दूसरा इंड्रास्ट्ररियल करीडोर के दोनो तरफ एक किलोमीटर भूमि अधिग्रहण की बात को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। जबकि वास्तविकता ये है कि जमीन वहीं अधिग्रहीत की जायेगी, जहां व्यावसायिक क्लस्टर विकसित करना होगा न कि पूरे कारीडोर के साथ। काग्रेस के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन हेतु 32 राज्य सरकारों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारें शामिल थीं। इन सब से बिचार विमर्श के बाद यह बिल लाया गया और जहां तक मुआवजे की बात है। 13 क्षेत्रों के भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा डीएम सर्किल रेट के हिसाब से काग्रेस के बिल में प्रविधान था, जबकि बर्तमान बिल में उन सभी क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों में दो गुना तथा ग्रामीणों क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा देने का प्रविधान है। इसी तरह इनमें अनेक प्रविधान ऐसे है जो किसानों को स्थायी समृद्धि देने का प्रयास है। इस प्रविधान के तहत ही आज उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार आगरा से लखनऊ एक्सप्रेस वे के लिए जमीन ले सकी और केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गो के लिए 2 हजार करोड़ की राशि का भुगतान किसानों को किया। क्या देश के विकास हेतु रेल, सडक, विद्युत परियोनायें य गरीबों के लिए घर नहीं चाहिए? क्या ये सब कार्पोरेट उ़द्योगपतियों के लिए हैं? मोदी सरकार ने देश विदेश में जो लोकप्रियता बहुत कम समय में हासिल की है भारत और भारतीयता का परचम पूरी दुनिया में फैहराया है 21 जून को सयुक्त राष्ट्र सघ के 177 देशों द्वारा योग दिवस मनाने पर स्वीकृति वास्तव में भारतीय सस्कृति पर एक मुहर है। जो लोग मोदी सरकार से ईष्यालु है। जो ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार नहीं चाहते वे सारी ताकतें मोदी के खिलाफ गोलबन्द होकर काम कर रही है। क्योंकि उन्हे लगता है जिस रफ्तार से सरकार काम कर रही है यदि इसी तरह से काम करती रही तो भारत दुनिया की अगुवाई करने के लिए शीघ्र ही खड़ा हो जायेगा। यह काग्रेस और उनके पिछुल्लगुओं को मंजूर नहीं शायद यही कारण है कि यह सब मोदी सरकार की एक वर्ष की अतुलनीय सफलता को देखकर सदमें में हैं और झूठें प्रलाप कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। सम्भवतः उनको यह पता नहीं कि भारत की जनता जागरूक है, वह इनके बहकावें में आने वाली नहीं। केन्द्र सरकार की सफलता का परिणाम हैं कि 10 देशों के राट्राध्यक्ष और 36 देशों के विदेश मंत्री भारत आये, 40 से अधिक देशों में हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री गये 102 देशो से सीधा सम्बध कायम हुआ जो हमारी वैदेशिक और कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है। मोदी जी के नेतृत्व में देश में नये उत्साह और आशा का संचार हुआ है और पूरी दुनिया के लोग भारत की तरफ देंख रहे है। इसलिए जो लोग मोदी सरकार की जो आलोचना कर रहे हैं। उनके अन्दर या तो निष्पक्ष दृष्टि का अभाव है या सरकार के काम काज की सच्चाई से वह अवगत नहीं हैं। |
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