एक संन्यासिन, जो कभी ब्यूटी क्वीन और हसीन ऐक्ट्रेस थीं
जनता जनार्दन डेस्क ,
May 01, 2015, 17:41 pm IST
Keywords: Barkha Madan Ram Gopal Varma's haunting film Buddhist Ascetic बरखा मदान रामगोपाल वर्मा की भूतिया फिल्म बौद्ध भिक्षुणी संन्यासिन
मुम्बई: मिस इंडिया फाइनलिस्ट बरखा मदान रामगोपाल वर्मा की भूतिया फिल्म में भूत बनकर स्क्रीन पर नज़र आ चुकी हैं। बॉलिवुड के पर्दे पर 12 साल पहले नज़र आईं बरखा अब अपनी फिल्म सुरखाब का प्रमोशन करने जा रही हैं और खास बात यह है कि वह अब दुनियादारी को त्याग संन्यासिन (बौद्ध भिक्षुणी) बन चुकी हैं।सं
4 नवंबर 2012 को बरखा अपने सभी सांसारिक मोह-माया को छोड़ संन्यासिन बन गईं। ऐसा सोचना गलत होगा कि उन्होंने यह फैसला अपनी आर्थिक दिक्कतों, प्रफेशनल समस्याओं या फिर किसी वजह से दिल टूटने के कारण लिया होगा। बरखा, जो अब जियालटन सैमसेन नाम से जानी जाती हैं, वह उसी साल (1994) में मिस इंडिया चुनी गईं थीं, जब सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय ने मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड का खिताब जीता था। इसके बाद बरखा ने बॉलिवुड में कदम रखा और 1996 में फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी में भी नज़र आईं। इस फिल्म के दौरान रेखा के साथ शॉपिंग, अपने स्टंट्स के लिए हैंडसम हंक अक्षय कुमार को रिहर्सल करते देखने जैसी कई मीठी यादें आज भी उनके जेहन में मौजूद हैं। उसी साल बरखा इंडो-डच प्रॉडक्शन की ड्राइविंग मिस पैलमेन से जुड़ीं और फिर करीब सात साल तक स्क्रीन से गायब रहीं। इसके बाद 2003 में उन्होंने राम गोपाल वर्मा की हॉरर फिल्म में भूत बनकर बॉलिवुड स्क्रीन पर एंट्री मारी, जिसके बाद 20 अन्य टीवी शोज़ में भी नज़र आईं। उन्होंने इस वक्त को इंजॉय भी किया, इसके बावजूद उनके मन में हमेशा एक चिड़चिड़ापन, अशांति और बेचैनी सी रहती कि क्या यही उनके जीने का मकसद है? अब इसके बाद वह सिक्किम स्थित मठ पहुंचीं, जहां उनके पिताजी आर्मी ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे। धर्मशाला में दलाई लामा को सुनने के बाद 2002 से ही उन्हें घर लौटने की जबरदस्त इच्छा हुई। चेहरे पर मुस्कुराहट लिए उन्होंने लामा ज़ोपा रिंपोचे से पूछा कि क्या वह भी एक नन बन सकती हैं? हंसते हुए उन्होंने कहा, 'क्यों, क्या बॉयफ्रेंड से तुम्हारी लड़ाई हो गई है? मठ में रहना मतलब किसी से भागना नहीं होता।' फिर उन्होंने बौद्ध धर्म दर्शन शास्त्र से जुड़ने की सलाह दी ताकि वह जान सकें कि वह इस राह पर क्यों चलना चाह रही हैं। इसके बाद बरखा ने कुछ सालों बाद अपनी प्रॉडक्शन कंपनी शुरू की और दो फिल्में सोच लो (2010) और सुरखाब (2012) भी बनाई। जब बरखा से उनके संन्यासिन बनने और काठमांडू के मठ जॉइन करने के बारे में पूछा गया तो बरखा ने वजह बताते हुए कहा, 'सब ठीकठाक चल रहा था, लेकिन मुझे ऐसा लगता था जैसे कुछ है जो मिसिंग है।' एक दिन लामा ज़ोपा ने उनसे कहा कि अगले दिन सुबह 9 बजे उन्हें विधिवत तरीके से संन्यासिन बनाया जाएगा, सो तैयार रहें। बरखा ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अपने पैरंट्स को बुलाया और उन्होंने इसके लिए अपना सपोर्ट भी दिया। इसके लिए पोशाक ली और फिर अपनी इस नई जिंदगी को गले से लगा लिया। आज उनके वॉरड्रोब में मात्र दो सेट पोशाकें और एक जोड़ी चप्पल हैं। सम्पत्ति के नाम पर उनके पास केवल उनका फोन और लैपटॉप रहता है और इस सामान्य स्तर पर जिंदगी गुजारकर अपने आपको सुखी महसूस कर रही हैं बरखा। इन दिनों वह नेपाल भूकंप पीड़तों के लिए दुआएं कर रही हैं। वर्ना आप उन्हें धर्मशाला में मेडिटेशन करते या फिर बौद्ध गया के तारा चिल्ड्रन प्रॉजेक्ट में रह रहे एचआईवी बच्चों की सेवा करते हुए देख सकते हैं। उन्होंने कहा, 'सालों पहले सौंदर्य प्रतियोगिता के दौरान जजों से मैंने कहा था कि यदि मैं यह जीतती हूं तो मैं जरूरतमंद बच्चों के लिए काम करूंगी और आज मैं वही कर रही हूं।' साल 2012 में अमेरिका और कनाडा में अवॉर्ड जीत चुकी इनकी फिल्म सुरखाब का प्रमोशन इंडिया में जल्द ही शुरू होनेवाला है। यह फिल्म गैरकानूनी इमिग्रेशन, इंसानों के सौदे जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। यह फिल्म केवल 25 दिनों में बनाई गई थी, जिसकी शूटिंग टॉरंटो और पंजाब में हुई है। इस फिल्म की को-प्रड्यूसर के अलावा लीड ऐक्ट्रेस भी बरखा खुद ही हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह आगे भी कोई और फिल्म बनाना चाहेंगी? तो उन्होंने कहा कि यदि वह किसी संन्यासिन की कहानी हो शायद तभी बना पाएंगी। उनकी अपनी स्टोरी के बारे में उनकी क्या राय है? यह पूछने पर वह कहती हैं कि यहां कई और संन्यासिन हैं, जिनकी कहानी इससे भी अच्छी हैं। दरअसल बरखा इंडिया में अपना मठ चलाना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'यदि आप फिल्में बनाना चाहते हैं तो आप फिल्म के स्कूल में जाते हैं। यदि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो आप मेडिकल स्कूल में जाते हैं, लेकिन जिन्हें नन बनना हो, वे कहां जाएंगे?' |
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