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टीबी की नई दवा ने दक्षिण अफ्रीका में उम्मीद जगाई

टीबी की नई दवा ने दक्षिण अफ्रीका में उम्मीद जगाई जोहानिसबर्ग: दवा रोधी टीबी अफ्रीका के अधिकांश हिस्से में स्वास्थ्य के लिए चिंता का एक बड़ा विषय बनी हुई है लेकिन दक्षिण अफ्रीका में विकसित की जा रही एक नई दवा दशकों की निराशा के बाद एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।

बेडाक्वीलिन उन तीन हजार लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही है, जो या तो दवारोधी टीबी के दुष्प्रभावों से पीड़ित हैं या जिनके मामले में बीमारी ने दवा के प्रति पूर्ण प्रतिरोध विकसित कर ली है। डॉक्टरों का कहना है कि शुरूआती संकेत प्रोत्साह करने वाले हैं। बहरहाल, बेडाक्वीलिन का वृहद स्तर पर चिकित्सीय परीक्षण अभी तक नहीं किया गया है।

शुरूआती कार्यक्रम के तहत यह नई दवा सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के 217 मरीजों को दी गई। यह पिछले 40 साल में इस रोग के लिए पहली नई एंटीबायोटिक है। 36 वर्षीय ब्रितानी डॉक्टर जेनिफर ह्यूग्स ने केपटाउन में कहा कि उन्होंने इसके सकारात्मक असर देखे हैं।

खायेलित्शा नामक गरीब कस्बे में स्थित ह्यूग्स के क्लीनिक के बारे में दूर-दूर तक चर्चा है और शहर भर से लोग इस नई दवा के लिए यहां आ रहे हैं। इस दवा का विकास अमेरिकी दवा कंपनी जैनसन ने किया है।

ह्यूग्स ने कहा, ‘सभी ने सुना है कि यहां आपको अच्छा इलाज मिलता है।’ वह पिछले साल नवंबर के उस दिन को याद करती हैं, जब बेडाक्वीलिन लेने वाले पहले मरीज को टीबी से मुक्त घोषित किया गया था। वह उस दिन को ‘बहुत, बहुत खुशी वाला दिन’ बताती हैं।

दक्षिण अफ्रीका दुनिया भर में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां टीबी की महामारी अपने सबसे भयावह रूप में है। यहां प्रति एक लाख लोगों पर एक हजार से ज्यादा टीबी के मामले हैं और स्वास्थ्य विभाग दवारोधी टीबी के मामलों में वृद्धि को ‘जनस्वास्थ्य की सबसे बड़ी समस्या’ बता रही है।
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