भारत-अमेरिका बिजनेस समिट में प्रधानमंत्री का वक्तव्य
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jan 27, 2015, 12:52 pm IST
Keywords: भारत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत-अमेरिका संबंध श्री फोर्ट ऑडिटोरियम 66 गणतंत्र दिवस India Prime Minister Narendra Modi US President Barack Obama India-US ties India-US relationship Sri Fort Auditorium 66th Republic Day
माननीय राष्ट्रपति,सम्मानित अतिथिगण,
गणतंत्र दिवस पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं । मैं स्वतंत्र भारत में जन्म लिए प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शुभकामनाएं देते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। 65 वर्ष पहले आज ही के दिन भारत के लोगों ने विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान स्वयं को आत्मार्पित किया था।यह संविधान विविधता और असमानता वाले समाज के लिए था, अनेक चुनौतियों बाधाओं का सामना कर रहे एक युवा राष्ट्र के लिए था। यह सहअस्तित्व, विधानसभाओं और गणराज्यों के प्रति हमारी प्राचीन सोच के प्रति एक शपथ था।सर्वोच्च आदर्शों से बना और उन्नत दृष्टि से प्रेरित संविधान, एक दृष्टि और मूल्य जो भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका को परिभाषित करते हैं। हम महान विरासत से संपन्न दो राष्ट्र हैं। भारत और अमेरिका की पीढ़ियों ने इस विरासत को संरक्षित रखा है।हमारे देश के लिए यात्रा शानदार रही है।लेकिन आगे का मार्ग अभी लंबा है, क्योंकि हमारे संविधान में व्यक्त आशाएं अभी बहुतों के लिए ओझल है। यह आशा तब पूरी होगी जब प्रत्येक भारतीय का सम्मानजनक जीवन हो, मांग से स्वतंत्र हो तथा जिसका विश्वास सपनों की संभावना में हो।पिछली मई में ऐतिहासिक चुनाव में हमारे देश ने उस विज़न के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पिछले 8 महीनों में जनादेश पूरा करने के लिए हमने अथक कार्य किए- न केवल अपनी आर्थिक वृद्धि के लिए बल्कि हमारे लोगों के जीवन स्तर को बदलने और प्रकृति के वरदानों को संरक्षित रखने के लिए। हमारा कार्य विशाल है और यह रातों-रात पूरा नहीं हो सकता।हम अपनी चुनौतियों के प्रति सचेत हैं, लेकिन हम अपनी अनेक सफलताओं से प्रेरित भी हैं। और हमारे पास हमारे युवा की ऊर्जा है, कारोबार का उद्यम है और हमारे किसानों निपुणता है। आप सभी के लिए हमारे द्वारा उठाए गए अनेक साहसिक कदमों को बताने की आवश्यकता नहीं। आप के लिए मेरा संदेश यह हैः आपके लिए माहौल खुला होने के साथ स्वागत भरा भी होगा। हम आपकी परियोजनाओं का मार्गदर्शन करेंगे बल्कि इसमें पूरा साथ देंगे। आपको यहां ऐसा वातावरण मिलेगा जो निवेश को बढ़ावा देगा और उद्योग को प्रोत्साहित करेगा। यह नवाचार को पोषित करेगा और आपकी बौद्धिक संपदा की रक्षा करेगा। इससे यहां कारोबार करना आसान होगा। हमारा तात्कालिक लक्ष्य भारत को पिछली श्रेणी से उठा कर दुनिया के शीर्ष 50 देशों में लाने का है। आपको जल्द ही ऐसी कर व्यवस्था देखने को मिलेगी जो निश्चित और स्पर्धी होगी। हमने अतीत में हुए कुछ अतिरेकी कदमों को हटा दिया है। अब हम बाकी अनिश्चितताओं को भी खत्म कर देंगे। हमारा लक्ष्य ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण है, जहां कौशल, बुनियादी ढांचा और संसाधन विकास दर को रफ्तार देने की राह में रोड़ा न बने। अर्थशास्त्र की दुनिया में आंकड़े अक्सर यथार्थ का आईना दिखाते हैं। ये आंकड़े कह रहे हैं हम सही राह पर हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में 0.1 फीसदी का इजाफा हुआ है। मौजूदा दौर में सारे एशियाई बाजारों के बीच भारत में कारोबारी माहौल सबसे बेहतर है। तीन साल के बाद भारत में उपभोक्ता विश्वास सकारात्मक दिख रहा है। आठ कोर सेक्टरों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महंगाई पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है। पिछले चार महीनों के भीतर देश भर में 110 मिलियन बैंक खाते खोले गए हैं। मेरे कार्यकाल के पहले छह महीने में भारत में अमेरिकी निवेश 50 फीसदी बढ़ा है। और मुझे यह भी पता है कि सितंबर में वाशिंगटन में निवेश के जो वादे किए गए थे वे भी आने शुरू हो गए हैं। जी, मैं इन चीजों पर नजर रखता हूं। हम बहुत बड़े सपने देखते हैं। इसलिए हम जो संभावनाएं मुहैया करा रहे हैं वे भी विशाल हैं।हम अपने रेल में क्रांति की बात करते हैं। हमारी रेल में रोजाना दुनिया के तीन चौथाई आबादी से अधिक लोग यात्रा करते हैं। गंगा सफाई के हमारे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में 500 मिलियन लोग, सैकड़ों शहर और हजारों गांव शामिल हैं। हमारी योजना एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 से अधिक शहरों में शहरी कचरा प्रबंधन की है।ग्रामीण भारत को जोड़ने के हमारे विजन में 600,000 गांव हैं।अगले सात वर्षों में प्रत्येक भारतीय को छत देने के लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 5 मिलियन नए मकान बनाने की आवश्यकता है। यह केवल नीति और रणनीति नहीं है, जो हमें वहां ले जाएगी।हम जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसमें उद्यम और निवेश शामिल है। लेकिन उससे भी अधिक नवाचार और कल्पना है।हमें विकास के पथ पर अभी बहुत आगे जाना है। हम समृद्धि के लिए कहीं ज्यादा टिकाऊ रास्ते पर चलेंगे। हम अपनी संस्कृति और परम्परा की स्वाभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप ही यह विकल्प चुनते हैं, लेकिन इस पर अमल के वक्त हम अपने भविष्य के प्रति कटिबद्धता को भी ध्यान में रखते हैं। अगर हम महज विकल्पों को थोपने के बजाय किफायती समाधान की पेशकश करेंगे तो हमें सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाएगी। इसके लिए और ज्यादा संसाधनों एवं बेहतर तकनीक की जरूरत है। यही कारण है कि हमने स्वच्छ ऊर्जा विकसित करने के लिए वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कदम उठाने का आह्वान किया है। इसके मद्देनजर भुखमरी की समस्या एवं तरह-तरह की बीमारियों से निपटने के लिए हमें विगत प्रयासों से सबक लेना चाहिए। भारत की प्रगति 1.25 अरब लोगों की नियति है।लेकिन, मानव समुदाय के छठवें हिस्से को मिलने वाली सफलता भी इस दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। यह एक ऐसी दुनिया होगी जहां गरीबी का कहर कम होगा और शिशुओं के बचने की संभावना कहीं ज्यादा रहेगी। इसी तरह बटियों के पास अवसरों का सम्बल होगा।और इसके साथ ही 800 मिलियन सशक्त एवं काबिल लोगों का एक विशाल वैश्विक संसाधन होगा। भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए स्थिरता का एक महत्वपूर्ण ठिकाना और इसके विकास का एक इंजन होगा। इन सबसे भी ज्यादा, एक समृद्ध भारत विश्व में शांति एवं स्थिरता की एक बड़ी ताकत साबित होगा।हमने यह देखा है कि समृद्धि शांति की गारंटी नहीं है। मैं यह बात दोहराता हूं कि समृद्धि शांति की गारंटी नहीं है। हालांकि, भारत दुनिया को एक परिवार के रूप में देखता है और हम इसमें उन मूल्यों को समाहित करने की कामना रखते हैं जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करता है। एक-दूसरे पर निर्भर हमारी दुनिया को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों की सख्त जरूरत है।और कुछ साझेदारियों में इतनी संभावनाएं हैं कि वे हमारी तरह हमारी दुनिया को नया आकार दे सकती हैं। हमें केवल अपने सहयोग के इतिहास पर नजरें दौड़ाने की जरूरत है। हमने मिलजुल कर भारत में हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया है। हमने अंतरिक्ष में सहयोग किया है। हमने आईआईटी और आईआईएम की स्थापना के लिए भागीदारी की है। हमने डिजिटल युग को आकार देने में मदद की है। हमारे इंजीनियर, वैज्ञानिक और डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किफायती चिकित्सा उपकरण और बच्चों के लिए नए टीके विकसित कर रहे हैं।हमारे इन दोनों देशों के 90 से भी ज्यादा संस्थान जैव ईंधन और सौर ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा की कम खपत सुनिश्चित करने के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं। अमेरिकी कंपनियां भारत को उन्नत कौशल एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरित कर रही हैं और भारतीयों द्वारा अमेरिकी कारोबार में नई जान फूंकी जा रही है।भारत की आईटी कंपनियां अमेरिका में ज्यादा कौशल वाली नौकरियां सृजित कर रही हैं और इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में टिकने में मददगार साबित हो रही हैं। भारत की आईटी कंपनियों ने अमेरिका के अनुभवी सैनिकों को नए सिरे से जिन्दगी संवारने में मदद दी है। अमेरिका में 1,00,000 से भी ज्यादा भारतीय छात्र हैं और हजारों की संख्या में अमेरिकी छात्र भारत आते हैं। ये भविष्य के सहयोग की बीज डाल रहे हैं। 30 लाख भारतीय अमेरिकियों की सफलता इस सिलसिले में हमारी संभावनाओं को इंगित करती है।हमारे कारोबारी परिचित लोकतांत्रिक महौल में करते हैं और उन्हें हमारे सहयोग व सद्भावना का भरोसा है। अब हम नए क्षेत्रों जैसे कि असैन्य परमाणु ऊर्जा, नवीन ऊर्जा और रक्षा उपकरण में आगे बढ़ रहे हैं।दोनों देशों का आर्थिक पुनरूत्थान हमें भविष्य में होने वाले समझौतों के प्रति काफी आशावादी बनाता है।दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में एक-दूसरे की सफलता पर हमारा बहुत कुछ विशेषकर हमारे मूल्य और आपसी हित दांव पर है। अकेले काम करते हुए भी हम अपने आपसी हितों को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन यदि हम साथ काम करें तो भारी सफलता प्राप्त करते सकते हैं। हमारा आपसी सहयोग देश में सम्पन्नता और बाहर आर्थिक नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह हमारे समय के वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मददगार होगा।लंबे समय से भारत और अमेरिका एक-दूसरे को पूरे यूरोप और अटलांटिक में देखते रहे हैं और जब मैं पूर्व की ओर देखता हूं तो मैं अमेरिका के पश्चिमी तटों को देखता हूं। ये हमें यह बताता है कि हम एक समान विशाल क्षेत्र से जुड़े हैं। यह क्षेत्र बेहद गतिमान है, फिर भी कई अनसुलझे सवाल भी हैं। इसका भविष्य दोनों देशों और विश्व की नियति के लिए महत्वपूर्ण होगा। हमारे संबंध भविष्य को एक रूप देने में अपरिहार्य होंगे। हमारे सहयोग की सुदृढ़ता में मैं वैसे विश्व को देखने की ज्यादा उम्मीद करता हूं जो आपसी जरूरतों और हितों के आधार पर एकजुट है। आसानी से समझें तो भारत और अमेरिका हाथ मिलाकर इस विश्व को सभी के लिए बेहतर बनाएंगे। आज सुबह, अमेरिका दोनों देशों के आपसी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हमारी दोस्ती का दामन थामा और आज शाम भविष्य के प्रति साझा प्रतिबद्धता को लेकर हम दोनों साथ आ गए हैं। राष्ट्रपति महोदय, आपके नेतृत्व में और हमारे प्रतिभाशाली लोगों की मदद से हम हमारे वायदों को ठोस कार्यों में तब्दील कर सकते हैं।राष्ट्रपति महोदय, हमारे साथ होने के लिए धन्यवाद। अमेरिका और पूरे भारत से आए सभी लोगों को धन्यवाद। आपकी भागीदारी ने इस सम्मेलन को सार्थक बनाया। आप सभी को धन्यवाद। |
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