15 राज्यों में आरटीई अधिसूचित
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Apr 03, 2011, 10:29 am IST
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नई दिल्ली: मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) को लागू हुए एक वर्ष गुजर गए हैं लेकिन अभी तक देश में 15 राज्यों ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है जबकि 11 राज्यों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण परिषद का गठन किया जा सका है।
ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की दर से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसए के तहत आरटीई लागू होने के एक वर्ष गुजरने के बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 619 बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। प्राथमिक स्कूलों में दाखिल छात्रों की संख्या 13,34,05,581 है जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में नामांकन प्राप्त 5,44,67,415 है। साल 2020 तक सकल नामांकन दर को वर्तमान 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान के 2009.10 के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी संख्या में छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के लक्ष्य के बीच देश में अभी कुल 44,77,429 शिक्षक ही हैं। शिक्षकों की कमी के बारे में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘शिक्षकों की कमी से जुड़ी समस्याओं को पांच वर्ष में दूर कर लिया जायेगा। 2010 तक 5.08 लाख शिक्षकों की जरूरत बतायी जा रही थी जबकि वित्त वर्ष 2010.11 में 4.55 लाख शिक्षकों के पदों को मंजूरी दी गई।’’ सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक वर्ष 2009.10 में प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.46 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.12 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों का नामांकन दर 19.81 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों का नामांकन दर महज 10.93 प्रतिशत दर्ज की गयी। |
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