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मोदी सरकार ने बीमा, कोयला और चिकित्सा क्षेत्र में भरी सुधारों की चाबी

मोदी सरकार ने बीमा, कोयला और चिकित्सा क्षेत्र में भरी सुधारों की चाबी

नई दिल्ली: सरकार ने राज्यसभा में हंगामे के कारण बीमा और कोयला क्षेत्र में अटके सुधारों को गति देने के लिए महत्वपूर्ण अध्यादेशों को आज मंजूरी दी। इसके अलावा चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में विदेशी निवेश को उदार बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूर किया गया है। संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढ़ाने के लिये अध्यादेश लाने और कोयला नीलामी के लिये अध्यादेश फिर से जारी करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। चिकित्सा उपकरणों में एफडीआई नियमों को उदार बनाते हुये शतप्रतिशत एफडीआई को भी मंजूरी दी गई।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को निर्णयों की जानकारी देते हुये कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को मौजूदा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने से 6 से 8 अरब डॉलर की पूंजी आएगी। उन्होंने कहा, अध्यादेशों को मंजूरी देने से सुधारों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता और दृढता का पता चलता है। इससे दुनिया और निवेशकों को भी यह संदेश जाता है कि भारत अब और इंतजार नहीं कर सकता, चाहे संसद का एक सदन इसके एजेंडा पर विचार करने के लिए अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा करता रहे। संसद के शीतकालीन सत्र में बीमा कानून संशोधन विधेयक 2008, पर राज्यसभा में चर्चा नहीं हो सकी। हालांकि विधेयक को सदन की प्रवर समिति मंजूरी दे चुकी है। शीतकालीन सत्र के उत्तरार्ध में राज्य सभा में धर्मांतरण तथा दूसरे मुद्दों को लेकर लगातार हंगामों के चलते कोई खास काम नहीं हो सका।

कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2014 को लोकसभा कल समाप्त हुये शीतकालीन सत्र में मंजूरी दे चुकी है लेकिन राज्यसभा में इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। निजी कंपनियों को उनके खुद के इस्तेमाल के लिये कोयला खानों की ई-नीलामी तथा राज्य एवं केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को सीधे कोयला खान आवंटन प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिये कोयला क्षेत्र अध्यादेश फिर से जारी करने को मंजूरी दी गई है। चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में एफडीआई नीति को उदार बनाये जाने से क्षेत्र में अधिक निवेश आकषिर्त हो सकेगा और साथ ही घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।

जेटली ने कहा कि बीमा संशोधन विधेयक संसद में बहुत लंबे समय से लंबित है। हालांकि, विधेयक को संसद की स्थायी समिति और राज्यसभा की प्रवर समिति मंजूरी दे चुकी हैं। राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित किये जाने से विधेयक पेश नहीं होने दिया जा रहा है। वित्त मंत्री ने कहा, सरकार ने इसलिये बीमा कानून में संशोधन के लिये अध्यादेश जारी करने के वास्ते राष्ट्रपति को सिफारिश करने का फैसला किया है। अध्यादेश बिल्कुल वैसा ही है जैसी प्रवर समिति ने सिफारिश की है। देश में इस समय 52 बीमा कंपनियां हैं जिनमें से 24 जीवन बीमा कारोबार में और 28 साधारण बीमा क्षेत्र में काम कर रही हैं। निजी बीमा क्षेत्र में कुल 35,000 करोड़ रुपए की पूंजी लगी है जिसमें 26 प्रतिशत एफडीआई सीमा के साथ विदेशी हिस्सेदारी करीब 8.700 करोड़ रुपए है।

कोयला क्षेत्र पर फिर से अध्यादेश लाने के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि लोकसभा विधेयक को पारित कर चुकी है लेकिन राज्यसभा में इसे चर्चा के लिये नहीं लिया जा सका। उन्होंने कहा, बिजली और दूसरे क्षेत्रों के लिये कोयला खानों की नीलामी प्रक्रिया के साथ ही दिशानिर्देशों को भी मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। अध्यादेश फिर से जारी होने से कोयला खानों के आवंटन की अधूरी प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने सितंबर में 1993 से आवंटित सभी 204 कोयला खानों का आवंटन रद्द कर दिया था। अध्यादेश फिर से जारी होने पर कोयला मंत्रालय पहले चरण में 101 कोयला खानों के आवंटन के अपने फैसले पर आगे बढ़ सकेगा। इसमें 65 खानों का आवंटन नीलामी के जरिये किया जायेगा।

चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में एफडीआई नीति को उदार बनाने पर जेटली ने कहा कि औषधि क्षेत्र के भीतर ही एक उप-श्रेणी चिकित्सा उपकरणों के लिये बनाई गई है। औषधि क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी है। उन्होंने कहा, अति-विशेषज्ञता के इस दौर में भारत के पास दवाओं और औषधि के क्षेत्र में तो काफी कुछ प्रतिस्पर्धा हासिल है लेकिन जहां तक चिकित्सा उपकरणों की बात है इसमें यह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है। विशेषकर ऐसे उपकरण जिन्हें इलाज के दौरान मानव शरीर में स्थापित किया जाता है।

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