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जापान में जलजले के 3 हफ्ते बाद...

जनता जनार्दन संवाददाता , Apr 03, 2011, 9:44 am IST
Keywords: Japan   जापान   Earthquake   भूकंप   Tsunami   सुनामी   International Atomic Energy Agency   परमाणु संयंत्र    रेडियोधर्मिता  
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जापान में जलजले के 3 हफ्ते बाद... टोकियो: कहते हैं, मुसीबत और मौके कह कर नहीं आते. जापान में 3 हफ्ते पहले आई सुनामी ने वहाँ बरबादी की वो दास्तान लिख दी है, जिसे सुनकर भी, रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जो परमाणु संयंत्र कल तक बिजली, विकास और एयर कंडीशन की ठंडी हवाओं का सबब थे, उन्हीं से अब आग, विनाश और ज़हरीली हवाओं का रिसाव हो रहा है. आलम यह है कि धरती के उपर ही नहीं, गहराई का पानी भी जहरीला हो चुका है, समंदर में जहर तो पहले ही घुल चुका था.

जापान से आ रही रिपोर्टों के मुताबिक, जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के उस गढ्ढे में आठ इंच की दरार आ गई है जहाँ माल रखा जाता है. इससे रेडियोधर्मी पानी का समुद्र में रिसाव हो रहा है. प्लांट के संचालक टेपको का कहना है कि रिएक्टर नंबर दो के नीचे आई ये दरार हाल में समुद्र तट पर पाई गई रेडियोधर्मिता का कारण है.  टेपको अब इस गढ्ढे में कॉंक्रीट डालेगी ताकि इस लीक को रोका जा सके.

जापान के प्रधानमंत्री नाओटो कान पूर्वोत्तर जापान के इस हिस्से का दौरा कर रहे हैं जहां सुनामी का सबसे ज़्यादा असर देखा गया था. एक संवाददाता सम्मेलन में जापान के परमाणु और औद्योगिक सुरक्षा एजेंसी के उप महानिदेशक, हिदेहीको निशीयामा ने कहा कि टेपको अब इस दरार को पाटने के लिए कॉक्रीट उडेलने की कोशिश करेगी.

निशीयामा का कहना है,“इस संयंत्र के पास के समुद्री पानी में रेडियोधर्मिता के बढ़ते स्तर के कारण को ढ़ूढ़ने की हम कोशिश कर रहे है. उसी परिपेक्ष में हमें लगता है कि ये एक कारण हो सकता है. इस क्षेत्र में ऐसी और दरारें हो सकती है और हम उन्हें खोज रहे हैं.” टेपको ने पहले कहा था कि उसे संदेह है कि उस प्लांट से लगातार रिसाव हो रहा है पर ये रिसाव कहाँ से हो रहा है उसका पता नहीं चल रहा था.

शुक्रवार को अमरीकी उर्जा मंत्री स्टीवन चू ने कहा था कि एक परमाणु रिएक्टर का 70 प्रतिशत हिस्सा बुरी तरह से टूटा हुआ है और दूसरे संयंत्र का तीस प्रतिशत हिस्सा क्षतिग्रस्त है. उनका कहना था कि ये आँकड़े अनुमान ही हैं क्योंकि संयंत्र में रेडियोधर्मिता का स्तर इतना बढ़ गया है कि क्षतिग्रस्त संयंत्र का पास से कोई मुआयना नहीं कर सकता. टेपको के अधिकारी और परमाणु सुरक्षा एजेंसी इस आकलन की पुष्टि नहीं कर रहे.

शनिवार को दुर्घटनाग्रस्त इलाके का पहली बार जापान के प्रधानमंत्री ने दौरा किया हालांकि वे सुनामी प्रभावित क्षेत्र का भूकंप के अगले दिन हवाई दौरा कर चुके हैं. रिकुज़ेनतकाटा में प्रधानमंत्री कान ने कहा कि जापान की सरकार प्रभावित लोगों की हर संभव मदद करेगी.

उन्होंने कहा,“मैने स्थानीय अधिकारियों से बात की है कि मत्स्य उद्योग को फिर से कैसे स्थापित किया जाए. साथ ही मछली पालन और शेलफिश उत्पादन को कैसे फिर से स्थापित किया जाए. जापान की सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी.”

उन्होंने एक शरणार्थी शिविर का दौरा किया और पत्रकारों से कहा, “तट पर रहने वाले एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि अब भविष्य में मै अपना घर कहा बनाउँ तो मैने कहा कि सरकार अंत तक आपकी मदद करती रहेगी.”

पर एक 60 साल के शरणार्थी रयोको ओतसुबो का कहना था कि इस यात्रा का समय ठीक नहीं था. शरणार्थी ने कहा, “वे बहुत देर से आए. मुझे आशा थी कि वो यहाँ पहले आते. मैं चाहता था कि वो खुद यहा पड़े मलबे के ढ़ेर को देखते, जब यहाँ कोई सड़क नहीं थी. अब तो यहाँ सड़को को साफ कर दिया गया है.”

जापानी प्रधानमंत्री यहाँ हेलीकॉप्टर से आए थे और उन्होंने परमाणु संयंत्र के 20 किलोमीटर के निषेध क्षेत्र का जायज़ा भी लिया जहाँ लोग संयंत्र को स्थिर करने की कोशिश में जुटे हुए है.

शुक्रवार को विनाशकारी सुनामी के बाद से लापता हुए लोगो की सघन तलाश शुरु हुई है. अभी तक 11,500 लोगो के मारे जाने की पुष्टि हुई है पर अभी भी 16,500 का कोई पता नहीं चला है. भूकंप और सुनामी के तीन हफ्ते बाद भी मरने वालों की सही तादाद का पता नहीं चला है.

अभी तक 100 से ज़्यादा जापानी और अमरीकी सैन्य विमान, 65 जहाज़ और 24,000 सैन्य कर्मचारी देश के पूर्वोत्तर तट को पिछले तीन दिनों से लाशे ढ़ूढ़ ने के लिए खंगाल रहे हैं. अभी भी टूटे हुए घर, जहाज़ो, कारो और ट्रेनो के कारण कई तटीय क्षेत्रों तक पहुँचना मुश्किल हो रहा है. फुकुशीमा प्लांट के आस पास के 20 किलोमीटर के निषेध क्षेत्र में माना जा रहा है कि 1000 शव होंगे.
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