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शहरी योजनाएं, बच्‍चों को ध्‍यान में रखकर बनाने की आवश्‍यकता है: श्री एम वेंकैया नायडू

शहरी योजनाएं, बच्‍चों को ध्‍यान में रखकर बनाने की आवश्‍यकता है: श्री एम वेंकैया नायडू नई दिल्ली: शहरी विकास मंत्री श्री एम वेंकैया नायडू ने शहर की कठोर वास्‍तविकताओं पर चिंता व्‍यक्‍त की जिसका छोटे बच्‍चों विशेष रूप से गरीब बच्‍चों के दिमाग के विकास और सोच पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

आज यहां पर ‘21वीं सदी के लिए भारत में बच्‍चों के अनुकूल स्‍मार्ट शहरों का निर्माण’ पर दो दिवसीय सम्‍मेलन का उदघाटन करते हुए श्री नायडू ने शहरी योजना बनाने वालों, वास्‍तुकारों और सभी भागीदारों से कहा कि वे बच्‍चों के संपूर्ण विकास को ध्‍यान में रखकर अनुकूल निर्माण की योजना तैयार करे।

देश में शहरी योजना में ढांचागत विकास ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन सहित साफ-सफाई जैसे आम उद्देश्‍यों को ध्‍यान में रखकर देश में शहरी योजना तैयार की जाती है। इस पर श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि वह समय आ गया है जब शहर की योजना तैयार करने वालों को छोटे बच्‍चों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास करना होगा। उन्‍होंने बच्‍चों में रचनात्‍मकता पैदा करने के लिए पर्याप्‍त खुले स्‍थान और खेल केंद्रों आदि उपलब्‍ध कराने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।

मंत्री महोदय ने कहा कि शहरी आयोजना में कमी के कारण बच्‍चों पर और विशेष रूप से गरीब बच्‍चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसमें गलत व्‍यवहार और पढ़ाई प्रभावित होना, बीमारियों का जोखिम, शुरूआती स्‍तर पर मस्तिष्‍क और शा‍रीरिक विकास प्रभावित होना, अभिभावकों की उचित देखभाल का अभाव आदि शामिल हैं।

श्री वेंकैया नायडू ने शहरी स्‍थानों में असंगति, गरीब की कीमत पर अमीर लोगों को अवसर दिए जाने पर चिंता व्‍यक्‍त की और कहा कि शहरी योजना बनाने और लागू करने के हर स्‍तर पर इन समस्‍याओं को ध्‍यान में रखने की आवश्‍यकता है।

उन्‍होंने कहा कि देश के 158 मिलियन बच्‍चों में से 26 प्रतिशत अर्थात 41 मिलियन शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और इनमें से भी 8 मिलियन मलिन बस्तियों में रहते है।

यह सम्‍मेलन, शहरी विकास मंत्रालय, राष्‍ट्रीय शहरी मामले संस्‍थान और प्‍लानिंग एण्‍ड आर्किटेक्‍चर स्‍कूल के सहयोग से बर्नाड वेन लीर फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया है।
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