मिराज सौदे पर रक्षा अधिकारियों में मतभेद

मिराज सौदे पर रक्षा अधिकारियों में मतभेद नई दिल्ली: फ्रांस के साथ मिराज-2000 विमानों के आधुनिकीकरण के लिए 2.4 अरब डॉलर के सौदे की कीमत और इस कदम से देश की रक्षा शक्ति को होने वाले लाभ की अहमियत को लेकर भारतीय रक्षा मंत्रालय और वायु सेना के उच्च अधिकारियों में मतभेद गहरा गए हैं।

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक ओर अनुबंध पत्र जहां सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में भेजा जाने वाला है वहीं इसके विरोध में आवाजें तेज हो गई हैं।

52 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के आधुनिकीकरण के लिए फ्रांसीसी कम्पनी डेसाल्ट एविएशन से किए जा रहे सौदे की कीमत मतभेद का अहम मसला है। इस सौदे के तहत नए हथियारों के लिए एक अरब डॉलर और विमानों के आधुनिकीकरण के लिए बेंगलुरू स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के संयंत्र में इकाई स्थापित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर सहित कुल 3.9 अरब डॉलर की लागत आंकी गई है।

अधिकारी ने कहा आधुनिकीकरण कार्यक्रम में एक मिराज-2000 विमान पर 79 लाख डॉलर की लागत आएगी वहीं भारत कुल 10.4 अरब डॉलर की लागत में 126 लड़ाकू विमानों का सौदा करने जा रहा है।

अधिकारी ने कहा इस सौदे में चौथी पीढ़ी के नए लड़ाकू विमानों की प्रति विमान कीमत भी 79 लाख डॉलर ही पड़ रही है। तब नए विमान की कीमत के बराबर रकम 25 साल पुराने विमान के आधुनिकीकरण पर खर्च करना क्या विवेकपूर्ण निर्णय है?

इस मतभेद की पुष्टि करते हुए भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि इसी कारण से यह सौदा अब तक चर्चा में नहीं रहा था जबकि यह कई साल से प्रस्तावित था।

वर्ष 2010 में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के भारत दौरे के समय इस सौदे पर काफी जोर दिया गया था और इस साल मई में फ्रांस के रक्षा मंत्री गेरार्ड लांगेट भी भारत दौरे पर आए थे।

इस आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत फ्रांस की दो कम्पनियां थेल्स और एमबीडीए क्रमश: हथियार स्टिम इंटीग्रेटर और मिसाइल आपूर्तिकर्ता होंगे।
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