धनतेरस आज, कब और कैसे करें पूजा
जनता जनार्दन डेस्क ,
Oct 21, 2014, 11:58 am IST
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नई दिल्ली: कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस अथवा धन त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस से ही दीपोत्सव पर्व की शुरुआत होती है।
इस दिन सोना-चांदी और महंगी वस्तुएं खरीदना काफी शुभ माना जाता है। आज मुंबई में चौबीस कैरेट सोना के भाव 27395, दिल्ली 27670, कोलकाता 27650, चेन्नई 27630 बेंगलूर 27630 हैदराबाद 27700 रुपये प्रति दस ग्राम है। इसके अलावा मुंबई में चांदी के भाव 39645, कोलकाता 38700, दिल्ली 38850, चेन्नई 38455 रुपये प्रति किग्रा है। पुराणों के अनुसार आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे। काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र भगवान धनवन्तरि ने शल्य शास्त्र पर महत्वपूर्ण खोज की थीं। उनके प्रपौत्र दिवोदास ने उन्हें परिमार्जित कर सुश्रुत आदि शिष्यों को उपदेश दिए। कहा गया है कि सुश्रुत संहिता किसी एक का नहीं, बल्कि धन्वंतरि, दिवोदास और सुश्रुत तीनों के वैज्ञानिक जीवन का मूर्त रूप है। धन की देवी लक्ष्मी की कृपा हासिल करने के लिए और आरोग्य व दीर्घायु की कामना के साथ धनतेरस पूजा की जाती है। दीवाली से 2 दिन पहले धनतेरस मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरी कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही धनतेरस के मौके पर बर्तन, पूजा के लिए धातु की मूर्तियां और आभूषण खरीदने की परम्परा सदियों से चली आ रही है। पुराने बर्तनों को बदलकर नए खरीदना इस दिन शुभ बताया गया है। धनिया के बीज खरीदकर भी लोग घर में रखते हैं जिन्हें दीपोत्सव के बाद बगीचों अथवा खेतों में बोया जाता है। भगवान धन्वन्तरी को देवताओं के वैद्य और चिकित्सा के देवता भी बताया गया है। चिकित्सकों और वैद्यों के लिए इस दिन का खास महत्व है। इस दिन भगवान धन्वन्तरी से बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। धनतेरस पर शाम को घर के मुख्य द्वार तथा आंगन में दीपक जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे अनेक लोक कथाएं हैं। धनतेरस पर सफाई के लिए नई झाडू और सूपड़ा खरीदकर उसकी पूजा की जाती है। इस दिन वैदिक देवता यमराज की पूजा की जाती है। वर्ष में केवल इसी दिन मृत्यु के देवता की पूजा की जाती है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक रातभर जलाना चाहिए। दीपक में कुछ पैसा और कौड़ी भी डाली जाती है। सूर्यास्त के बाद के दो घंटे की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है। प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है। लाभ समय में पूजन करना लाभों में बढ़ोतरी करता है। शुभ काल मुहूर्त की पूजा करने से धन, बेहतर स्वास्थ्य व आयु में शुभता आती है। सबसे अधिक शुभ अमृत काल में पूजा करने का माना गया है। धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त में 13 दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर की पूजा करनी चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को पुष्प चढ़ाएं। ध्यान करें। कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूं। धूप, दीप, नैवैद्य से पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें च्यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा। लग्न मुहूर्त वृश्चिक लग्न प्रात: 8.23 - 10.40 बजे कुम्भ लग्न दोपहर 2.32 - 4.05 बजे वृषभ लग्न शाम 7.16 - 9.14 बजे चौघड़िया मुहूर्त सुबह चर सुबह 9 - 10.30 बजे लाभ सुबह 10.30 - 12 बजे अमृत 12 - 1.30 बजे शुभ 3 - 4.30 बजे रात का चौघड़िया लाभ शाम 7.30 - 9 बजे शुभ 10.30 - 12 बजे |
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