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भारत में बिकेगा अमेरिकी मुर्गा, इंडस्ट्री चिंतित

भारत में बिकेगा अमेरिकी मुर्गा, इंडस्ट्री चिंतित बेंगलुरू: अमेरिकी मुर्गे की टांगों के आयात के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा प्रतिबंध को अनुचित ठहराए जाने के बाद देश के मुर्गी पालकों ने सरकार से डब्ल्यूटीओ के फैसले के खिलाफ अपीलीय संस्था में जाने की मांग की है।

2012 में सरकार द्वारा एवियन इंफलूएंजा वायरस फैलने की आशंका के मद्देनजर सरकार ने अमेरिकी मुर्गे की टांगों के आयात पर प्रतिबंध लगाया था। तब से यह मामला डब्ल्यूटीओ के पास विचाराधीन था। कल विश्व व्यापार संगठन ने अपने फैसले में कहा कि भारत द्वारा लगाया गया प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन है।

वहीं भारतीय मुर्गी पालकों की चिंता किसी बीमारी की न होकर आर्थिक है। अमेरिका में मुर्गे की टांगों को बेकार समझा जाता है, जबकि भारत में लोग इसे मजे से खाते हैं। यही कारण है कि अमेरिका काफी सस्ते में इनका निर्यात करता है जिससे देशी कारोबारियों को नुकासान उठाना पड़ सकता है।

हैदराबाद स्थित पॉल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जी रंजीत रेड्डी ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार से इस फैसले के खिलाफ अपील करें। उन्होंने कहा कि देश भर के मुर्गी पालक यही चाहते हैं। कर्नाटक पॉल्ट्री फामर्स एंड ब्रीडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमसीआर शेट्टी ने कहा कि बर्ड फलू और दाने की ऊंची कीमत से उबरने का प्रयास कर रहे भारतीय मुर्गी पालन उद्योग को डब्ल्यूटीओ के फैसले से काफी नुकसान हो सकता है। देश भर में तकरीबन चार लाख मुर्गी पालक हैं और इस उद्योग का कारोबार 50000 करोड़ रुपये का है।
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