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भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति बन सकता है, मेरे पास है स्पष्ट खाका: मोदी

भारत वैश्विक आर्थिक शक्ति बन सकता है, मेरे पास है स्पष्ट खाका: मोदी नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में फिर से उभरने का भारत के पास एक मौका है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह चीन की बराबरी कर सकता है तथा देश के सवा अरब लोगों की उद्यमशीलता को दिशा देने के लिए उनके पास एक स्पष्ट खाका है।

मोदी ने कहा, ‘यह एक ऐसा देश है जिसे कभी ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। हम पहले जहां थे वहां से हम नीचे आ गए हैं। लेकिन अब हमारे पास फिर से उभरने का मौका है। यदि आप पिछली पांच या 10 सदियों का ब्यौरा देखें तो आप पाएंगे कि भारत और चीन समान गति से आगे बढ़े हैं।’

उन्होंने अमेरिकी चैनल सीएनएन को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ‘वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनका योगदान समानांतर बढ़ा है और समानांतर घटा है। आज का युग एक बार फिर एशिया का है। भारत और चीन एक साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।’

चीन के साथ तुलना पर उन्होंने कहा कि भारत को कुछ और बनने की जरूरत नहीं है और इसे निश्चित ही भारत बने रहना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत के सवा अरब लोगों की उद्यमशीलता में उनकी काफी आस्था है और ‘इसे दिशा देने का मेरे पास एक स्पष्ट खाका है।’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने चीन के तानाशाह शासन जैसे कुछ अधिकार की कभी इच्छा की है, मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देश भी आगे बढ़े हैं और यदि यहां लोकतंत्र नहीं होता तो एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाला उनके जैसा व्यक्ति यहां नहीं बैठा होता। यह पूछे जाने पर कि एक या दो साल के बाद अपनी उपलब्धियों के रूप में वह लोगों को क्या बताएंगे, मोदी ने कहा कि लोगों का विश्वास कभी नहीं टूटेगा।

उन्होंने कहा, ‘सबसे बड़ी चीज यह है कि देश के लोगों को विश्वास है। वह विश्वास कभी नहीं टूटना चाहिए। यदि मैं भारत के लोगों का विश्वास अपने भाषणों से नहीं बल्कि अपने कार्यों से जीत सका, तो सवा अरब भारतीयों की ताकत देश को आगे ले जाने के लिए एकजुट हो जाएगी।’

यह पूछे जाने पर कि पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर में चीन के बर्ताव से क्या भारत चिंतित है, मोदी ने कहा कि हमें चीन की समझ पर विश्वास करना चाहिए और भरोसा करना चाहिए कि यह वैश्विक कानूनों को स्वीकार करेगा तथा सहयोग करने एवं आगे बढ़ने में अपनी भूमिका निभाएगा।

इन क्षेत्रों में चीन के बर्ताव से इसके कई पड़ोसी देश चिंतित हैं। हालांकि, मोदी ने कहा कि हम समस्याओं के प्रति अपनी आंखें नहीं मूंद सकते। उन्होंने कहा कि हम 18वीं सदी में नहीं रह रहे हैं। प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद मोदी का यह प्रथम साक्षात्कार है।

मोदी ने कहा कि चीन का अपने आर्थिक विकास पर ध्यान देना इस बात का संकेत है कि वह अलग-थलग नहीं रहना चाहता है।  मोदी ने कहा, ‘यह साझेदारी का युग है। देखिए कैसे इसने (चीन ने) आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया।

यह ऐसे देश का लक्षण बमुश्किल हो सकता है जो अलग-थलग रहना चाहता हो।’ अमेरिका की अपनी यात्रा से पहले मोदी ने कहा है कि यह अमेरिका और भारत के लिए संभव है कि एक वास्तविक रणनीतिक गठजोड़ विकसित किया जाए।

मोदी ने कहा, ‘मेरे पास एक शब्द में जवाब है और पूरे विश्वास के साथ मैं कह सकता हूं..हां। मैं विस्तार से बताता हूं..अमेरिका और भारत के बीच कई समानताएं हैं। यदि आप पिछली कुछ सदी को देखें तो दो चीजें सामने आएंगी..अमेरिका ने दुनिया भर के लोगों को समाहित किया है और दुनिया के प्रत्येक हिस्से में भारतीय है। यह दोनों समाजों की विशेषताएं हैं।’

उन्होंने कहा, ‘भारतीय और अमेरिकी अपने मिज़ाज़ में एक जैसे हैं। अब हां, निश्चित तौर पर पिछली सदी में हमारे संबंधों में उतार चढ़ाव आया है। लेकिन 20 वीं सदी के आखिर से 21 वीं सदी के प्रथम दशक तक हमने बड़े बदलाव देखें हैं। हमारे संबंध गहरे हुए हैं। भारत और अमेरिका इतिहास एवं संस्कृति से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

ये संबंध और गहरे होंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि भारत के साथ संबंध को वास्तव में अद्यतन करने की वाशिंगटन की इच्छा है, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध को महज दिल्ली और वाशिंगटन की सीमाओं में नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘यह कहीं अधिक बड़ा क्षेत्र है। अच्छी चीज यह है कि दिल्ली और वाशिंगटन का मूड इस समझ के साथ तालमेल वाला है। दोनों देशों ने इसमें एक अहम भूमिका निभाई है।’ इस बात को लेकर आलोचना किए जाने पर कि यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के बारे में भारत सचमुच में सक्रिय नहीं रहा है और क्रीमिया को रूस में मिलाए जाने की कोशिश के बारे में उनके विचार पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि दुनिया में काफी लोग सलाह देना चाहते हैं लेकिन वे भी किसी न किसी प्रकार का पाप किए होते हैं।

मोदी ने कहा, ‘भारत में यह कहावत है कि जिस व्यक्ति ने कोई पाप नहीं किया, वह पहला पत्थर मारे। आज की दुनिया में काफी लोग सलाह देना चाहते हैं। लेकिन उनके अंदर देखिए और उन्होंने भी किसी न किसी तरह का पाप किया होगा..एक साथ बैठने और वार्ता करने की कोशिश करने तथा जारी प्रक्रिया के जरिए समस्याओं का हल किए जाने की जरूरत है।’
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