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दर्शकों को ठगने आया 'राजा नटवरलाल'

जनता जनार्दन डेस्क , Aug 29, 2014, 16:19 pm IST
Keywords: राजा नटवरलाल   इमरान हाशमी   हमैमा मलिक   परेश राव   Raja Natwarlal   Emraan Hashmi   Hmama Malik   Paresh Rao  
फ़ॉन्ट साइज :
दर्शकों को ठगने आया 'राजा नटवरलाल' नई दिल्ली: ठगी के तीन नियम हैं। दावा ऐसा करो कि सुनने वाले का सिर चकरा जाए। उसे यकीन भले न हो, लेकिन रूचि जरूर पैदा हो जाए। दूसरा नियम ये कि कहानी ऐसी सुनाओ कि उसके अंदर लालच पैदा हो। आखिरी बात ये कि उसे वही दिखाओ जो आप दिखाना चाहते हो। इसके इर्दगिर्द बुनी गई है 'राजा नटवरलाल' की कहानी।

अफसोस की बात है कि इन नियमों को बताने वाले लेखक और निर्देशक ने ही इनका पालन नहीं किया। दावा उन्होंने भी जोरदार किया। फिल्म का हीरो 1500 करोड़ की संपत्ति के मालिक को सड़क पर लाने का निर्णय लेता है। दर्शकों की रूचि पैदा हो जाती है कि कैसे करेगा वो ये?

फिर ऐसी कहानी दिखाई कि यकीन ही नहीं होता। निर्देशक ने सिर्फ वही दिखाने की कोशिश की जो वह दिखाना चाहता है, लेकिन दर्शकों ने वो सब कुछ भी देख लिया जो वह नहीं दिखाना चाहता था। लिहाजा 'राजा नटवरलाल' दर्शकों को ठगने में नाकाम रहता है। उसके झांसे में दर्शक नहीं आते।

राजा फिल्म के मुख्‍य किरदार इमरान हाशमी का नाम है। 'नटवरलाल' इसलिए जोड़ा गया है क्योंकि भारत में एक बेहद प्रसिद्ध ठग नटरवलाल हुआ है। उसका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव है। सारे ठग उनका नाम बड़ी श्रद्धा से लेते हैं।

यकीन नहीं होता, लेकिन बात सही है कि इस नटवरलाल ने ताज महल, लाल किला, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को वास्तविक जीवन में बेच दिया था। शायद इन्हीं बातों से प्रेरित होकर निर्देशक कुणाल देशमुख ने 'राजा नटवरलाल' में अविश्वसनीय बातों का समावेश किया है, लेकिन वे दर्शकों को इन अविश्वसनीय बातों में यकीन दिलाने में असफल रहे हैं।

कहानी है राजा (इमरान हाशमी) की। सड़क पर ताश के तीन पत्तों में रानी खोजने वाला खेल खिलाकर पैसा कमाता है। छोटी-मोटी ठगी वह इस अपराध में अपने पार्टनर राघव (दीपक तिजोरी), जिसे वह अपना बड़ा भाई मानता है, के साथ करता है। जिया (हुमैमा मलिक) राजा की गर्लफ्रेंड है जो बार में डांस करती है। राजा बड़ा दांव मारना चाहता है और उसे 80 लाख रुपये की चोरी करने का मौका मिलता है।

राघव उसे समझाता है कि बड़े दांव में बड़ा जोखिम है, लेकिन राजा नहीं मानता। दोनों मिलकर 80 लाख रुपये चुरा लेते हैं। ये पैसा बेहद खतरनाक अपराधी वरधा यादव (केके मेनन) का रहता है। उसे आसानी से पता चल जाता है कि ये पैसा किसने चुराया है। राघव की वह हत्या करवा देता है, जबकि राजा बच निकल लेता है। राजा की पहचान से वह अनभिज्ञ है।

राघव की हत्या का बदला राजा लेना चाहता है। वह उसके साथ ठगी करना चाहता है। ठगी के गुरु योगी (परेश रावल) के पास वह पहुंचता है और मदद मांगता है। योगी रिश्ते में राघव का सगा भाई है। वह राजा की मदद के लिए तैयार हो जाता है। वरधा क्रिकेट का दीवाना है। उसकी इसी कमजोरी का योगी और राजा फायदा उठाते हैं। उसे आईपीएल की तर्ज पर आधारित एक लीग में वे एक ऐसी टीम बेचने का प्लान बनाते हैं जो है ही नहीं। किस तरह से राजा 'नटवरलाल' बन यह काम करता है यह फिल्म का सार है।

पेपर पर यह कहानी उम्दा लगती है, लेकिन फिल्म में इतनी अविश्वसनीय बातों का जामा पहना कर इसे पेश किया गया है कि दर्शक हैरान रह जाते हैं। सारे घटनाक्रम फिल्म के हीरो 'राजा' की सहूलियत के मुताबिक लिखे गए हैं। जिन लोगों को वह 'ठगता' है उन्हें निरा मूर्ख बताया गया है, इस वजह से राजा कहीं से भी बहुत होशियार नहीं लगता।
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