लीबिया: 500 भारतीय नर्सें मुश्किल में, वापसी की कोशिश में सरकार
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jul 29, 2014, 16:53 pm IST
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नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम: हिंसा और संघर्ष से ग्रस्त लीबिया में इस समय 500 भारतीय नर्सें मुश्किल में फंसी हैं। लीबिया में इन दिनों छिड़े संघर्ष के बीच भारतीय नागरिक फंस गए हैं। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार नर्सों को भारत लाने की कोशिश कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वहां फंसी भारतीय नर्सें अपने देश लौटना चाहती हैं।
त्रिपोली के अस्पताल में ही करीब 350 नर्सें कार्य कर रही हैं। वहीं, भारतीय दूतावास ने नागरिकों से लीबिया की यात्रा न करने का निर्देश जारी किया है। वहीं, केरल ने केंद्र सरकार से संघर्ष प्रभावित लीबिया के अस्पतालों में काम कर रही भारतीय नर्सों को वापस लेने के लिए एक विशेष विमान की व्यवस्था करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने मुख्यमंत्री ओमन चांडी को सूचित किया है कि लीबिया से नर्सो को सड़क मार्ग से ट्यूनीशिया लाने और वहां से उन्हें विमान द्वारा भारत वापस लाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इनमें से ज्यादातर नर्सें त्रिपोली और बेनगाजी में काम कर रही हैं और उन्हें आगमन पर वीजा सुविधा की मदद से ट्यूनीशिया लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। एक बार मुद्दे का हल निकलने के बाद नर्सों को वापस लाया जा सकेगा। अगर विशेष विमान की व्यवस्था की जाती है तो कम से कम 100 लोग वापस लाए जाएंगे। राज्य सरकार उन लोगों की सूची तैयार कर रही है जिन्हें पहले जत्थे में शामिल किया जाएगा। इन नर्सों के अभिभावकों में से ज्यादातर कोट्टायम और आसपास के जिलों के हैं। यह लोग नर्सों की हिसाग्रस्त इलाकों से सुरक्षित वापसी में विलंब को लेकर चिंतित हैं। ज्यादातर नर्सें त्रिपोली और लीबिया के अन्य बड़े शहरों के अस्पतालों में काम करने के लिए गई हैं। प्रवक्ता के अनुसार, अभिभावकों का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह से वह उनकी (नर्सों की) सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा, कई नर्सों का वीजा भी समाप्त होने वाला है और उन्हें कई महीनों से वेतन भी नहीं मिला है। इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए चांडी ने पिछले सप्ताह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समक्ष इसे उठाया था। त्रिपोली में भारत के मिशन ने कल अपने नागरिकों को हिंसाग्रस्त देश से किसी भी तरीके से निकल जाने और वहां वापस न जाने की सलाह दी है। |
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