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जसवंत बाड़मेर से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार भरेंगे पर्चा!

जसवंत बाड़मेर से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार भरेंगे पर्चा! जोधपुर/नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से आहत पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह अब काफी आक्रामक तेवर में आ गए हैं। उन्‍होंने अपनी पार्टी को चुनौती देते हुए कहा कि बतौर निर्दलीय उम्मीदवार वह सोमवार को बाड़मेर से अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह कोई फर्नीचर नहीं हैं कि चुनाव के बाद उन्हें किसी जगह रख दिया जाएगा।

सिंह ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा चुनाव से पहले सामने आ रही अंदरूनी कलह के अंजाम पार्टी को भुगतने पड़ेंगे। भाजपा सूत्रों ने बताया कि उन्हें मनाने की कोशिश जारी है लेकिन सिंह ने नरम पड़ने का कोई संकेत नहीं दिया है।

उनकी (जसवंत सिंह) सेवाओं का उपयुक्त ढंग से उपयोग करने की भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं कोई फर्नीचर नहीं हूं। किसी जगह रखने के विशेषण का विकल्प खुद ब खुद मानसिकता को जाहिर करता है। आप सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं कर सकते और यह अपमानजनक है।

चुनाव के बाद भरपायी करने की पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए सिंह ने कहा कि मैं इस विचार को खारिज करता हूं और मैं इसके पीछे की मानसिकता को भी खारिज करता हूं। ऐसा अनुमान है कि वे सरकार बना लेंगे और मुझे कोई स्थान दे देंगे। वे इसे अपने पास रख सकते हैं। सिंह हालांकि अभी पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह अगला कदम उठाने से पूर्व अपने समर्थकों से विचार विमर्श करेंगे। उन्होंने कहा कि हां, मैं सोमवार बाड़मेर से नामांकन पत्र दाखिल कर रहा हूं। निर्दलीय या नहीं, यह पार्टी के रुख पर निर्भर करेगा। उनसे पूछा गया था कि टिकट नहीं मिलने के बावजूद क्या वह चुनाव लड़ेंगे।

भाजपा के 76 वर्षीय नेता अभी दार्जिलिंग सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इस बार बाड़मेर से कांग्रेस से हाल ही में भाजपा में शामिल हुए कर्नल सोनाराम को पार्टी का टिकट मिलने से जसवंत काफी आहत हैं।

भाजपा को 48 घंटे की समयसीमा दिये जाने के मद्देनजर अपने इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि इस बारे में मैं बाड़मेर में अपने समर्थकों एवं अन्य लोगों के साथ विचार विमर्श करूंगा और फिर कोई निर्णय करूंगा। उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने के संबंध में 48 घंटे की समयसीमा तय किये जाने के बाद से भाजपा से किसी ने भी उनसे सम्पर्क करने की कोशिश नहीं की है।

जसवंत ने कहा कि अगर मैं अपने घर और पार्टी के बारे में भावुक नहीं हूं तब मैं किस बारे में भावुक होउंगा, अगर पार्टी ने मुझसे बात करने का निर्णय किया है तो वे मेरा नंबर जानते हैं और यह भी कि मुझ तक कैसे पहुंचा जा सकता है। जब से मैं यहां हूं, किसी ने भी मुझसे सम्पर्क करने का प्रयास नहीं किया।

जसवंत सिंह ने कहा कि इन शब्दों की श्रृंखला के पीछे के विचार अहंकार और असम्मान से परिपूर्ण हैं। राजस्थान में उनके समर्थकों की ओर से नरेन्द्र मोदी का पोस्टर फाड़े जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि अगर पोस्टर फाड़े गए हैं, तब मैं समझता हूं कि यह प्रदर्शित करता है कि क्या हो रहा है।

अपने पूरे राजनीतिक जीवन में मैंने परिस्थितियों के अनुरूप पार्टी की भलाई के लिए काम किया। मैंने सहूलियत की राजनीति को कभी नहीं अपनाया। संपर्क किए जाने पर पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जसवंत पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने पार्टी में काफी योगदान दिया है।

पार्टी उनके अनुभव का लाभ उठाना चाहेगी। महज एक टिकट को लेकर पार्टी में उनके योगदान और पार्टी द्वारा उनके सम्मान को कमतर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि वह अपनी वरिष्ठता और परिवक्वता को मद्देनजर रखते हुए कोई कठोर कदम नहीं उठाएंगे। बाड़मेर से सिंह के चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर भाजपा नेता एम वेंकैया नायडू ने मुद्दे को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की।

दिल्ली में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस विवाद पर कहा कि नरेन्द्र मोदी ने भाजपा पर नियंत्रण कर लिया है लेकिन उनकी प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा हकीकत में तब्दील नहीं होगी क्योंकि उन्हें 120 करोड़ भारतीयों का समर्थन पाना होगा। इस बीच, जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने भी संकेत दिया है कि वह अपने पिता के पदचिह्नों पर चल सकते हैं। वह वसुंधरा राजे नीत सरकार में विधायक हैं।
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