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वैश्विक नेतृत्व की दौर में भारत: राष्ट्रपति

वैश्विक नेतृत्व की दौर में भारत: राष्ट्रपति नई दिल्ली: यह मेरे लिए विशेष प्रसन्‍नता की बात है कि मैं भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान, कोलकाता के 48वें दीक्षांत समारोह में भाग ले रहा हूं। यह संस्‍थान प्राकृतिक विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों में अनुसंधान, शिक्षण और सांख्यिकी आंकड़ों के उपयोग करने वाली देश की एक प्रमुख संस्‍था है।

इस महत्‍वपूर्ण संस्‍था की स्‍थापना प्रो0 पी सी महालानोबिस ने की थी जो व्‍यावहारिक सांख्यिकी में महत्‍वपूर्ण कार्य करने के लिए जाने जाते थे। उन्‍होंने आर्थिक विकास का एक मॉडल भी तैयार किया था, जिसे भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना में अपनाया गया। 1920 के दशक में प्रो0 महालानोबिस का दृष्टिकोण था कि सांख्यिकी एक आधुनिक समाज के निर्माण में सक्षम है। उन्‍होंने सही कहा था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्‍नति के लिए सांख्यिकी एक मुख्‍य औजार है।

उन्‍होंने देश में सांख्यिकी ढांचा विकसित किया। 1931 में उन्‍होंने कोलकाता के प्रेजीडेंसी कॉलेज के एक कमरे में एक सांख्यिकी प्रयोगशाला की स्‍थापना की। आठ दशक से भी पहले शुरू की गई यह पहल अब एक बड़ी संस्‍था का रूप ले चुकी है। भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान आज शैक्षिक और व्‍यावहारिक सांख्यिकी में एक विश्व स्‍तरीय शैक्षिक संस्‍था मानी जाती है।

मैं इस संस्‍थान की परिषद का आठ वर्ष तक अध्‍यक्ष रहा हूं और मेरी कई यादें इस संस्‍थान के साथ जुड़ी हुई हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि इस संस्‍थान ने सांख्यिकी विद्या और नवीनीकृत उपयोगों के विकास में बहुत योगदान दिया है।

भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान ने कई प्रतिभाशाली वैज्ञानिक, शिक्षक, शोधकर्ता, परामर्शदाता, उ़द्यमी, संस्‍था-निर्माता और पेशेवर दिए हैं। संस्‍थान के निष्‍कर्षों की गुणवत्‍ता इस बात का सबूत है कि यहां उच्‍चस्‍तर की शिक्षा दी जाती है।

आज दीक्षांत दिवस पर मैं स्‍नातक छात्रों को उनकी सफलता पर बधाई देता हूं और उनसे आग्रह करता हूं कि वे देश को उन्‍नति के पथ पर ले जाने के मार्ग का निर्धारण करने में मुख्‍य भूमिका निभाएं। उनमें अलग से सोचने की क्षमता है। उसका वे सही तरह से उपयोग करें।

एक विधा के रूप में सांख्यिकी का व्‍यापक उपयोग है। सांख्यिकी के उपयोग से व्‍यापार और सरकारी कामकाज में पिछले कुछ वर्षों में बहुत परिवर्तन आया है।विशाल आंकड़ों का विश्‍लेषण करने की क्षमता से सांख्यिकी ने प्रभावी जन नीतियां तैयार करने में हमारी योग्‍यता बढ़ाई है।

इससे पारदर्शिता भी बढ़ी है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को सेवाएं प्रदान करने में इससे बहुत सहायता भी मिली है। मौसम और गंभीर जलवायु परिस्थितियों की भविष्‍यवाणी सें संबंधित प्रणालियों में सुधार हुआ है। प्राकृतिक आपदाओं के समय सांख्यिकी विश्‍लेषणों से बड़ी संख्‍या में लोगों को सुरक्षित निकालने में बहुत सहायता मिली।

डाटा माइनिंग और सांख्यिकी तकनीकों से राष्‍ट्रीय गुप्‍तचर सेवा ग्रिड जैसे आतंकवाद निरोधी कार्यक्रमों को शुरू करने में सहायता मिली है। नकली भारतीय करेंसी नोटों के आकलन और नियंत्रण के लिए भी सांख्यिकी प्रणालियां लागू करने के प्रयास किये गए हैं।

कूटलिपि विद्या और सूचना सुरक्षा के क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकी का विकास करने में भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान सहयोग दे रहा है। इससे राष्‍ट्रीय सुरक्षा की नीतियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ने की संभावना है।

विभिन्‍न क्षेत्रों में और विशेष रूप से सामाजिक क्षेत्र में, हमारी नीतियों की प्रभावशीलता विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों द्वारा एकत्रित किए गए आंकडों पर निर्भर है, इसलिए सही सूचना एकत्र करने पर बहुत जोर दिया जाना चाहिए। सांख्यिकी आंकड़े एक‍त्रीकरण कानून, 2008 में कई सामाजिक आर्थिक और अन्‍य पैमानों पर आंकड़े एकत्र करने के बारे में कहा गया है।

नागरिकों और कर्मचारियों की यह सामूहिक जिम्‍मेदारी है कि सही और पर्याप्‍त जानकारी उपलब्‍ध कराई जाए। मुझे विश्‍वास है कि हमारी नीतियां हमेशा गुणवत्‍तापूर्ण आंकड़ों और उनके सही विश्‍लेषणों पर आधारित रहेंगी।

व्‍यापार क्षेत्र में सांख्यिकी और सम्‍बद्ध तकनीकों का काफी उपयोग किया जाता है सोशल नेटवर्किंग साइटों, बड़े खुदरा स्‍टोरों पर आने वाले लोगों की संख्‍या, वेबसाइट देखने वाले लोगों की संख्‍या और क्रेडिट कार्डों का पूरी तरह से उपयोग, गैर-कानूनी लेन-देन का पता लगाने और नए ग्राहकों का पता लगाने में किया जाता है।

यह बात सही है कि सांख्यिकी प्रतिरूप और तकनीकें उपयोगकर्ता के लिए बहुत लाभदायक हैं। लेकिन बड़ी संख्‍या में आंकड़ों का विश्‍लेषण करने और निष्‍कर्ष निकालने में उचित सावधानी बरतनी जरूरी है। असंरचित आंकड़े एकत्र करना और उन्‍हें संरचित प्रारूप में बदलना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह कार्य समझदारी के साथ करना होगा।

सांख्यिकी आंकड़ों के विश्‍लेषण के लिए अच्‍छे प्रशिक्षित पेशेवरों की काफी मांग है। विश्‍लेषण संबंधी तकनीकों का उपयोग एक जटिल कार्य है, जिसमें काफी दक्षता की आवश्‍कता है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की विश्‍लेषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में सक्षम सांख्यिकीविदों की बड़ी संख्‍या में आवश्‍यकता है।

सांख्यिकी और संबद्ध विषयों की शिक्षा देने वाले विश्‍वविद्यालयों और शैक्षिक संस्‍थानों को शिक्षा के मानकों को उन्‍नत बनाने पर विशेष ध्‍यान देना होगा। भारतीय मानक संस्‍थान को इस महत्‍वपूर्ण विषय के शैक्षिक प्रबंधन में परिवर्तन लाने के लिए प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए।

यह सुखद संयोग है कि वर्ष 2014 का कलेंडर पूरी तरह से वर्ष 1947 जैसा है। जब हमें आजादी मिली थी, हमारे सामने बहुत सारी उम्‍मीदें थी और हम काफी हद तक उन्‍हें पूरा करने में कामयाब भी रहे हैं। आज हम वैश्विक नेतृत्‍व हासिल करने की दहलीज पर खड़े हैं।

यह सभी देशवासियों के योगदान से संभव हो सकता है। इसके लिए यह जरूरी है कि उन्‍नति और समृद्धि का लाभ देश के प्रत्‍येक नागरिक को मिले। प्रौद्योगिकी के कारण हमें उम्‍मीद है कि हम इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर सकते हैं।

भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान के स्‍नातक छात्रों को संबोधित करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि गहन प्रशिक्षण के बाद आपने जो कौशल प्राप्‍त किए है वे देश के नागरिकों के जीवन में नया परिवर्तन ला सकते हैं। प्रशासन की गुणवत्‍ता और सार्वजनिक नीतियों में सुधार करने में आपकी योग्‍यता महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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