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स्पीक एशिया ने 19 लाख लोगों को लूटा

जनता जनार्दन संवाददाता , May 28, 2011, 12:25 pm IST
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स्पीक एशिया ने 19 लाख लोगों को लूटा

नई दिल्ली/रायपुर/ भोपाल/ जालंधर: ऑन लाइन सर्वे के जरिए लोगों को ठगने  और 11 हज़ार लगाकर हर महीने 3 हज़ार से ज़्यादा की रकम की कमाई करा देने का सपना बेचने वाली वाली कंपनी स्पीक एशिया के खातों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सील कर दिया है। दूसरी ओर आयकर विभाग ने उसकी आय और ट्रांजेक्शन की जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि स्पीक एशिया पर पिछले दिनों से छापे की कार्रवाई चल रही है। रिजर्व बैंक ने स्पीक एशिया के खातों से हर तरह के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी है। स्पीक एशिया पर सर्वे के नाम पर फर्जीव़ाडे का आरोप है।

कंपनी ने सर्वे के लिए देश में किसी भी शहर में कोई कार्यालय तक नहीं खोले और न ही कहीं कोई कार्यालय चल रहे थे। साथ ही न तो कंपनी का भारत में कोई रजिस्ट्रेशन है। स्पीक एशिया लोगों से 11 हजार रूपए जमा करके उन्हें मोटी कमाई का लालच दे रही थी। लेकिन जांच में पता चला कि कंपनी फर्जी है। 
 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और यूनाइटेड ओवरसीज बैंक की सिंगापुर शाखा ने ऑनलाइन सर्वे कंपनी स्पीक एशिया के सभी खाते सील कर दिए हैं। कंपनी के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों के बाद महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड समेत आधा दर्जन राज्यों में प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पीक एशिया के सभी खाते सील करते हुए इस पर लोगों से पैसा एकत्र करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके साथ ही आयकर विभाग ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

जानकारों के मुताबिक देश में करीब 2090 करोड़ रूपए से ज्यादा का लेन-देन कर चुकी कंपनी में पैसा लगाने वालों की संख्या भारत में 19 लाख के पार निकल गई है। भोपाल में भी स्पीक एशिया के सदस्यों की संख्या 40 हजार से ऊपर बताई जा रही है। भोपाल में हाल ही में काम शुरू करने वाली इस कंपनी ने तकरीबन 40 हजार लोगों को कम से कम 40 करोड़ रूपए से अधिक का चूना लगाया है।

स्पीक एशिया के भोपाल स्थित सुभाष नगर कार्यालय में बताया गया। वहां जानकारी हासिल करनी चाही तो पता चला कि पीएस एसोसिएट्स नामक संस्था कामकाज देख रही है और उसका कार्यालय एमपी नगर में स्थानांतरित हो गया है। एमपी नगर में जानकारी हासिल करने पर कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी।

इसके अलावा स्पीक एशिया के सदस्य (पेनालिस्ट) बने जितने भी लोगों से बात हुई तो उनमें से ज्यादातर ने यही कहा कि शुरूआत में सदस्य बनाने के एवज में कमीशन के रूप में तो कुछ पैसा आया, लेकिन सर्वे के पाइंट्स का पेमेंट अभी तक नहीं आया।

पिछले कुछ सालों में तीन बार नाम बदलकर काम करने वाली इस कंपनी के अधिकारियों ने भोपाल में हाल ही में कहा था कि वह सर्वे का काम करती है और उसके देश-विदेश में कई बड़े ग्राहक हैं। इन ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, वह उसे सर्वे करने वाले लोगों को बांटती है।

भाजपा के निवेश प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश सिंह राजावत का कहना है कि केंद्र की यूपीए सरकार के समय पर न जागने के कारण लगभग 25 लाख निवेशकों के अरबों रूपए स्पीक एशिया कंपनी में उलझ गए हैं। इस मामले में भाजपा निवेश प्रकोष कई दिनों से आंदोलन कर सरकार को चेतावनी दे रहा है।

अब सिंगापुर सरकार द्वारा स्पीक एशिया कंपनी के खाते सील कर दिए जाने के बाद भी केंद्र सरकार की चुप्पी से कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं पूरे प्रकरण में केंद्र सरकार और कांग्रेस का कोई व्यक्ति तो शामिल नहीं है। सभी निवेशक प्रकोष में आकर शिकायत करें।

इस बीच, स्पीक एशिया के सीईओ मनोज कुमार लाख दावे कर रहे हैं कि सिंगापुर में उनके बैंक खाता बंद नहीं हुए हैं और वे बैंक बदल रहे हैं, पर कंपनी की कार्यप्रणाली पर जो सवाल लगे हैं, उससे कंपनी की बोलती बंद सी हो गई है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बैंक ने अपनी तरफ से ही स्पीक एशिया को नमस्ते कह दिया और कंपनी को अपने एजेंट्स का भुगतान रोकना पड़ा।

भारत में करीब 19 लाख लोगों को डायरेक्ट एजेंट बना चुकी स्पीक-एशिया के खातों में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा है और यह पूरा पैसा भारत से बाहर जा चुका है या जाने की प्रक्रिया में है। इसी को लेकर भाजपा और कुछ अन्य संगठनों ने केन्द्र सरकार से स्पीक एशिया की कार्यप्रणाली की जांच को लेकर मांग की थी। ट्राईसिटी में भी हजारों लोग इस नेटवर्क से जुड़े हैं और वे स्पीक एशिया को लेकर आ रही खबरों से घबराए हुए हैं।

मनोज कुमार का यह भी कहना है कि हमें अभी तक किसी भी जांच एजेंसी या आरबीआई से कोई नोटिस नहीं मिला है। हालांकि साथ ही कंपनी यह भी मानती है कि कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के आर्थिक अपराध विभाग ने उनसे संपर्क किया है और दिल्ली और मुंबई पुलिस ने भी कुछ जांच शुरू की है, जिसमें हम पूरा सहयोग कर रहे हैं।

कंपनी ने अपने पैनलिस्टों को खुद ही ई-मेल डाल कर सूचित किया है कि अभी कुछ समय के लिए भुगतान नहीं हो पाएगा। जिससे कंपनी के निवेशकों में डर फैल गया है। अकेले चंडीगढ़-पंजाब रीजन में ही स्पीक एशिया के पैनलिस्टों की संख्या एक लाख से अधिक होगी, जिनके पास तीन लाख से अधिक आईडी है। कंपनी अभी भारत में रजिस्टर्ड तक नहीं है और हजारों करोड़ रुपए का कारोबार कर रही है।

सूत्रों के अनुसार स्पीक एशिया केयमैन आइलैंड्स में रजिस्टर्ड है। बीते दिनों मुंबई में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में भी कंपनी के अधिकारियों ने माना कि ऐसी कुछ बाते कहीं गई हैं, जिन पर कंपनी खरा नहीं उतर पाई। कंपनी ना तो मीडिया और ना ही सरकार के पास अपने बारे में कोई खुलासा कर रही है।

इस बीच यह खबर भी आ रही है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और आयकर विभाग के आदेश के खिलाफ कंपनी अदालत में जाने की तैयारी भी कर रही है। रिजर्व बैंक ने स्पीक-एशिया के खातों से हर तरह के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा दी है। केन्द्र सरकार की कई एजेंसियां इस कंपनी की जांच कर रही हैं।

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