Saturday, 20 April 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

केदारनाथ में 11 सितंबर से फिर शुरू होगी पूजा

केदारनाथ में 11 सितंबर से फिर शुरू होगी पूजा नई दिल्ली: शिव भक्‍तों के लिए खुशखबरी है। जी हां, केदारनाथ मंदिर में 11 सितंबर से पूजा शुरू हो जाएगी। इसी दिन बाबा केदारनाथ का जलाभिषेक भी किया जाएगा। देहरादून में मंदिर कमिटी बैठक में यह फैसला लिया गया।

गौरतलब है कि 16-17 जून को आई भयंकर बाढ़ से केदारनाथ क्षेत्र में भीषण तबाही मची थी। हालांकि मंदिर का गर्भगृह आपदा में सुरक्षित बच गया था लेकिन तभी से मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना बंद थी।

इससे पहले गर्भगृह में शिवलिंग जो कि पूरी तरह पानी में आये सैलाब और रेत के नीचे दब चुका था, उसको साफ करके सावन के पहले सोमवार में जलाभिषेक कर दिया गया था।

केदारनाथ धाम में 17 जून को मौजूद रहे एक व्यक्ति और उसके जीवित बचे 25 वर्षीय पुत्र के मुताबिक केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास के इलाके को तबाह होने में मात्र पांच मिनट लगे होंगे।

पिछले 15 वर्षों से केदारनाथ मंदिर के आगे भगवान के चित्रों और पोस्टरों की एक छोटी-सी दुकान चलाने वाले राजकिशोर त्रिवेदी के अनुसार 17 जून को सुबह सात बजे अचानक भयंकर गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसके बाद लोगों की भागो-भागो और बचो-बचो की आवाजें सुनाई दी। बाप और बेटे दोनों भागकर मंदिर के भीतर पहुंचे और तभी तेज हवा के कारण मंदिर का मुख्य द्वार बंद हो गया।

इसके बाद मंदिर में पानी भरने लगा और दोनों की गर्दन तक पहुंच गया। मंदिर की दान पेटिका तेजी से गिरी और उसके नीचे दब कर दो तीन लोगों की मौत हो गई। उस समय मंदिर के भीतर करीब 600 लोग मौजूद थे। बाढ़ की यह घटना सिर्फ पांच मिनट में घटी, लेकिन वह पांच मिनट ही अनंतकाल में बदल गया है।

कुछ घंटे बाद पानी घटने लगा और उसके बाद जब उन्होंने केदारनाथ बाजार को देखा तो सन्न रह गए। चारों ओर केवल शव ही बिखरे पड़े थे। अगले 40 घंटे राहत और बचाव का इंतजार करते हुए उन्होंने एक अतिथि गृह में गुजार दिए। वहां पर केवल वही एक इमारत कुछ सुरक्षित बची थी।

उनकी तरह ही सैकड़ों अन्य लोगों ने भी उस अतिथि गृह की छत पर शरण ले रखी थी और राहत दल का इंतजार कर रहे थे। हेलीकॉप्टर का दिखना उनके लिए किसी स्वर्ग दूत के आगमन जैसा था।

त्रिवेदी की बाईं टांग टूटी है और वह इस समय देहरादून के दून अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में इलाज करवा रहे हैं। अपने जीवित बचने का श्रेय वह भगवान और सेना के जवानों को देते हैं।
अन्य धर्म-अध्यात्म लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल