भारत के पहले नेवीगेशन सेटेलाइट का सफल प्रक्षेपण
जनता जनार्दन डेस्क ,
Jul 02, 2013, 11:21 am IST
Keywords: श्रीहरिकोटा इसरो नौवहन उपग्रह पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी)पीएसएलवी-सी22 आईआरएनएसएस-1ए उपग्रह Sriharikota ISRO Satellite Navigation Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) PSLV - C 22 IRNSS-1A Satellite
श्रीहरिकोटा: अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया दौर शुरू करते हुए भारत ने बीती देर रात पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) के जरिये नौवहन को समर्पित अपना पहला उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
पीएसएलवी-सी22 ने यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात ठीक 11 बजकर 41 मिनट पर आईआरएनएसएस-1ए उपग्रह के साथ उड़ान भरी। प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद आधी रात से कुछ समय पश्चात यानी तकनीकी तौर पर मंगलवार को रॉकेट ने आईआरएनएसएस-1ए को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया। इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने उपग्रह के प्रक्षेपण के बाद बताया कि आईआरएनएसएस-1ए उन सात उपग्रहों की श्रृंखला में से पहला उपग्रह है जिसे भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली के लिए छोड़ा जाना है। इसके प्रक्षेपण में करीब 125 करोड़ रुपये की लागत आई। सात उपग्रहों की यह श्रृंखला ‘स्पेस सेगमेंट’ और ‘ग्राउंड सेगमेंट’ दोनों के लिए है। आईआरएनएसएस के तीन उपग्रह भूस्थिर कक्षा (जियोस्टेशनरी ऑर्बिट) के लिए और चार उपग्रह भूस्थतिक कक्षा (जियोसिन्क्रोनस ऑर्बिट) के लिए हैं। यह श्रृंखला वर्ष 2015 से पहले पूरी होनी है। राधाकृष्णन ने बताया कि 300 करोड़ रुपये ‘ग्राउंड सेगमेंट’ के लिए अलग रखे गए हैं। इस प्रक्षेपण को ‘अत्यंत सटीक’ बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका उच्चतम लक्ष्य 20,650 किमी के आसपास रखा गया था और इसने उसे 20,625 किमी तक प्राप्त कर लिया। भारत द्वारा विकसित आईआरएनएसएस-1ए अगले 10 साल तक काम करेगा। इस उपग्रह से मिले आंकड़े देश में विभिन्न क्षेत्रों जैसे आपदा प्रबंधन, वाहनों का पता लगाने, समुद्री नौवहन में मदद करेंगे। |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|