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..तो काशी नहीं बनेगी पर्यटन नगरी?

..तो काशी नहीं बनेगी पर्यटन नगरी? लखनऊ: विश्व का सबसे प्राचीन शहर कहे जाने वाले काशी यानि वराणसी के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से हर कोई परिचित है। उत्तर भारत के सांस्कृतिक एवं धार्मिक केंद्र कहे जाने वाले इस शहर में आज भी कई विरासत अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं, लेकिन इनके बावाजूद इस विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल को विकसित करने के लिए राज्य सरकार के पास कोई योजना नहीं है।

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। वाराणसी, भारत के कई दार्शनिकों, कवियों, लेखकों, संगीतज्ञों एवं कलाकारों की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली रहा है, जिनमें कबीर, रविदास, स्वामी रामानंद, तैलंग स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, भारत रत्न पंडित रविशंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चैरसिया एवं भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां जैसे विश्वविख्यात नाम हैं।

इनके अलावा गोस्वामी तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' भी यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन बनारस के ही सारनाथ में दिया था।वाराणसी के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों की बात करें तो यहां प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक तीर्थ यात्री आते हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण काशी विश्वनाथ मंदिर है, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिगों में से प्रमुख ज्योतिर्लिग है।

इसके अलावा अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन करने भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। बावजूद सरकार ने कहा है कि वाराणसी नगर पर्यटन स्थल होने के कारण इसको विकसित करने की उसके पास कोई विशेष योजना नहीं है।

सरकार के मुताबिक, वाराणसी को विकसित किए जाने की कोई विशेष योजना पर्यटन विभाग के समक्ष विचाराधीन नहीं है, इसलिए इस पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
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